झारखण्ड : अनुसूचित जनजाति के प्रति हेमन्त सरकार की बेहतरीन सोच अब धरातल पर दिखेगी. झारखंडी समाज के विकास के मद्देनजर राज्य में पहली बार खींचा जा रही है गाढ़ी लकीर.
- सीएम हेमन्त सोरेन सरकार की सोच के मद्देनजर जनजाति समाज का हो विकास.
- अति संवेदनशील आदिवासी समुदाय (पीवीटीजी) के लिए पहली बार निःशुल्क आवासीय कोचिंग प्रोग्राम की शुरूआत.
- जनजातीय समाज का पहली बार बनने जा रहा ट्राइबल डिजिटल एटलस.
- जनजातियों की आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने हेतु लिए गए कई अहम निर्णय, जैसे 20,000 आदिवासी महिला के विकास के लिए एटलस प्रोजेक्ट की पहल.
जनजातीय अब अपनी आर्थिक, सामाजिक, शैक्षणिक और संख्या जान पाएगी डिजिटली
रांची : बीजेपी शासनों के नीतियों के अंतर्गत हासिए के अंतिम छोर पर आ खड़ा हुआ झारखण्ड मौजूदा हेमन्त शासन में खुद को सुरक्षित महसूस कर रहा है, विशेष कर जनजातीय समाज. ज्ञात हो, भाजपा की नीतियाँ झारखण्ड में अल्पकालिक मुखौटा आदिवासी मुख्यमंत्री के आसरे झारखंडी समाज का शोषण का सच लिए है. और दिशोम गुरु शिबू सोरेन जैसे जनजातीय, झारखण्ड आन्दोलन के आन्दोलनकारी नेता जब मुख्यमंत्री बने, तो मौजूदा दौर के सामन्ती षड्यात्रों की भांति उनके सरकार को भी अस्थिर करने का भी सच लिए है.
मौजूदा दौर में भी प्रदेश में हेमन्त सोरेन बतौर एक आदिवासी-मूलवासी सीएम की सरकार है. और इनका कार्यकाल भी व्ही सामन्ती षड्यंत्र का सच लिए हुए है. लेकिन, सीएम हेमन्त तमाम सामन्ती बाधाओं के बीच भी जनजातीय समेत सभी वर्गों के सामूहिक हित को धरातल धरातल पर उतारने में सफल हो रहे हैं. यह कहा जा सकता है कि उनके कार्यकाल में झारखंड उन प्रदेशों में शामिल हो सका है जहाँ सभी वर्गों के हित के साथ जनजातीय समाज के विकास में गाढ़ी मोटी लकीर खींचने का मानवीय प्रयास हो रहा है.
छत्तीसगढ़ और ओडिशा की भांति झारखण्ड प्रदेश के जनजातीय समाज के लिए ट्राइबल डिजिटल एटलस बनाने का फैसला लिया गया है. उड़ीसा और छत्तीसगढ़ के बाद झारखण्ड तीसरा ऐसा राज्य होगा, जो जनजातीय हित में यह पहल होने जा रहा है. हेमन्त सरकार के इस फैसले से राज्य की जनजातीय आबादी अब अपनी आर्थिक, सामाजिक, शैक्षणिक और संख्या डिजिटली जान पायेंगे. हालंकि, सामन्ती नेताओं द्वारा इसका प्रचार भ्रम फैलाने के लिए किया जा रहा है लेकिन अंतिम सच यही है कि हासिये पर खड़ी जनजातीय आबादी के संरक्षण में यह एक नितांत ज़रुरी कदम है.
पीवीटीजी के लिए हेमन्त सरकार में “निःशुल्क आवासीय कोचिंग” योजना
हेमन्त सरकार में जनजातीय समाज के संरक्षण में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं. राज्य के अति ग़रीब आदिवासी समुदाय के हित में सरकार ने (पीवीटीजी) “निःशुल्क आवासीय कोचिंग” योजना शुरू की है. आदिवासी समुदाय के लिए यह प्रोग्राम मील का पत्थर साबित होगा. TRI यानी रामदयाल मुंडा जनजातीय कल्याण शोध संस्थान के द्वारा आठ आदिम जनजाति समुदाय असूर, बिरहोर, माल पहाड़िया, सौरिया, पहाड़िया आदि जनजातीय युवाओं को UPSC, JPSC, JSSC, SSC जैसी प्रतियोगिता परीक्षा के लिए नि:शुल्क तैयारी करागी.
एटलस प्रोजेक्ट 20,000 आदिवासी महिलाओं को उन्नत खेती से जोड़ेगा
हेमन्त सरकार में राज्य की आदिवासी महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से हेमन्त सरकार ने साल 2021 में झारखण्ड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी और डिजिटल ग्रीन के बीच एटलस (एडवासिंग ट्राईबल लाइवलीहुड एंड सेल्फ रिलायंस- ATLAS) प्रोजेक्ट के लिए एमओयू किया गया था. इसके जरिये 20,000 आदिवासी महिलाओं को उन्नत एवं तकनीक आधारित खेती से जोड़ा जाना है. वर्षों से अपने अस्तित्व के लिए संघर्षरत जनजातीय समाज को हेमन्त सोरेन के रूप में अंतिम ठोर मिला है.
ट्राइबल डिजिटल एटलस जनजातीय समाज को उनकी वास्तविक स्थिति बतेगा
ज्ञात हो, देश के मान्हं इतिहास के वारिस आदिवासी 21वीं सदी में भी सबसे गरीब, अशिक्षित, प्रताड़ित, विस्थापित एवं शोषित वर्ग है. और झारखण्ड की स्थिति पूर्व के बीजेपी सरकार में और भी बदतर रही है. आदिवासियों में अनेक क्रांतिकारी वीर, विद्वान, चिंतक हुए, लेकिन मनुवादी मानसिकता इस समुदाय के मुख्य धारा से जुड़ने की राह में बाधक बना है. मजुदा दौर में इस समुदाय की स्थिति यह हो चली है कि देश के पीएम से भी इन्हें संरक्षण नहीं मिल रहा है. ऐसे में सीएम हेमन्त सोरेन के नेतृत्व में उठाया गया यह मानवीय कदम इन्हें लोकतांत्रिक संरक्षण प्रदान करेगा.