भारत के गैर बीजेपी शासित राज्यों में फीकी रही इस बरस होली 

केन्द्रीय शासन के अक्स में राजनितिक परम्पराओं की तिलांजलि दी जा चुकी है, सत्ता लोभ में विपक्षी नेताओं की गिराफ्तारी हो रही है. नतीजतन, गैर बीजेपी शासित राज्यों में इस बरस होली रही फीकी. 

रांची : भारत में रंगों का त्योहार ‘होली’ और प्राकृत ‘बाहा पोरोब’ परिवार के बीच खुशियाँ बाँट मनाई जाती है. लोग आपसी मनमुटाव भूल समाजिक प्रेम का संचार करते हैं. ज्ञात हो, देश में राजनीतिज्ञ भी राजनितिक पैंतरे भूल एक दुसरे के गले लगते हैं और नागरिकों के बीच भाईचारगी का सन्देश देते हैं. झारखण्ड प्रदेश में पिछले वर्ष विधानसभा सत्र के समाप्ति के उपरान्त पूर्व सीएम हेमन्त सोरेन ने सभी पक्ष-विपक्ष के संग होली खेल कर इस परंपरा की स्पष्ट तस्वीर भी पेश की थी.

गैर बीजेपी शासित राज्यों में फीकी रही इस बरस होली 

लेकिन, मौजूदा केन्द्रीय सामंती शासन के अक्स में न केवल इस राजनितिक परम्परा की तिलांजलि दी जा चुकी है, सत्ता के लालसा में भारतीय जांच एजेंसियों के शक्तियों के प्रभाव में विपक्षी नेताओं को बिना सर-पैर के आरोपों के तहत गिराफ्तारी हो रही है. इस फेहरिस्त में राज्यों के सीएम तक शामिल हैं. जिसकी पीर गिरफ्तार हुए नेताओं के परिवारों, नेता, कार्यकर्ता और जनता के बीच देखी जा रही है. नतीजतन, गैर बीजेपी शासित राज्यों में इस बरस होली की ख़ुशी फीकी देखी गई. 

झारखण्ड : कल्पना मुर्मू सोरेन का ट्विट इसका स्पष्ट उदाहरण 

शादी के बाद आज पहली बार मैं हेमन्त जी के बिना होली के पर्व में अपने ससुराल नेमरा स्थित घर पर हूं. तानाशाही शक्तियों ने झूठे केस मुक़दमों में फंसा आज हेमन्त जी को भले ही राज्यवासियों, मुझसे, परिवार और बच्चों से दूर कर रखा है. पर तानाशाही शक्तियां ये दमन ज्यादा दिन कर नहीं पायेंगी. भगवान के घर देर है, अंधेर नहीं. मैं होली उसी दिन मनाऊंगी जब हेमन्त जी वापस हमारे बीच होंगे.

सभी राज्यवासियों को प्रकृति पर्व बाहा की हार्दिक शुभकामनाएं और जोहार. यह पर्व, प्रकृति और समृद्ध आदिवासी विरासत के मूल नियमों में निहित है. आज गांव में हेमन्त जी की अनुपस्थिति में राज्यवासियों के कल्याण की कामना करते हुए बाहा पर्व से संबंधित अनुष्ठान को किया गया. आज हम उदास ज़रूर हैं पर दृढ़ विश्वास है कि कोई भी तानाशाही ताकत हेमन्त जी के हौसले को कमजोर नहीं कर सकती.

बाहा पर्व हमें पर्यावरण संरक्षण और भविष्य के लिए संतुलित अनुशासन की महत्वपूर्णता को समझने के लिए प्रेरित करता है. जलवायु परिवर्तन के इस दौर में जब हम प्रकृति पर्व को मनाते हैं तो प्राकृतिक संसाधन और समाज के संरक्षण के लिए अपनी प्रतिबद्धता को दोहराते हुए उसे आगामी पीढ़ी के लिए संरक्षित करने का संकल्प भी लेते हैं.

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