बीजेपी – ईडी पर्यायवाची -बाबूलाल जी का पत्र दे रहे संकेत 

झारखण्ड : पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी को ज्ञात नहीं कि झूठा आरोप संवैधानिक व्यवस्था खत्म होने का आधार नहीं. राज्य के अधिकारी का उनके आरोपों का खंडन, पेश की उनके झूठे होने का सबूत. 

रांची : प्रधानमंत्री पर झूठ बोलने के आरोप लगे हैं. भाजपा नेता पर झूठ बोलने के आरोप लगना आम हो चला है. लेकिन, बीजेपी-संघ के वनवासी के अक्स में बतौर आदिवासी बाबूलाल मरांडी का झूठ बोलना झारखण्ड को ही नहीं देश को चकित कर रहा है. ज्ञात हो, अपनी महान परम्परा के सराबोर एक आदिवासी झूठ नहीं बोलता. लेकिन, आरएसएस दर्शन और वनवासी के अक्स में बाबूलाल मरांडी का ऐसा व्यक्तिव उभरना निश्चित रूप से उनके मौकापरस्ती के सच को प्रदर्शित कर दिया है.

बीजेपी - ईडी पर्यायवाची -बाबूलाल जी का पत्र दे रहे संकेत 

ज्ञात हो, संवैधानिक लकीरों को बिगड़ने का आरोप लगाते हुए पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी के द्वारा राज्यपाल को एक पत्र लिखा गया. उनके द्वारा केंद्रीय जांच एजेंसी ईडी के द्वारा राज्य सरकार को भेजे गए रिपोर्ट को आधार बताते हुए राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की. पत्र में बाबूलाल ने बिना ठोस सबूत और आधार के हेमन्त सरकार पर आरोप लगाए हैं. जिससे यह प्रतीत हो चला है कि बीजेपी और ईडी एक दूसरे पर्यायवाची हो चुके हैं. दोनों का टारगेट पर केवल हेमन्त सरकार है.

क्या पूर्व सीएम बाबूलाल को राष्ट्रपति शासन लगाने का आधार तक ज्ञात नहीं?

ईडी ने 10 मामलों में राज्य सरकार द्वारा की जा रही कार्रवाई पर सवाल पूछा गया है. हमेशा की भांति मुद्दों के आभाव में बीजेपी ने इसे संवैधानिक संकट करार दिया है. मणिपुर की स्थिति से आँखे मूंद रखे बाबूलाल जी के द्वारा आरोप लगाया गया है कि हेमन्त सरकार ने जांच एजेंसी को न तो जवाब दिया गया है और न ही कार्रवाई की है. मसलन, बाबूलाल मरांडी ने भी बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे की भांति अपने अंतर्ज्ञानी होने का सबूत आखिरकार पेश कर दिया है. 

ज्ञात हो, बाबूलाल मरांडी के मुताबिक उन्होंने भी अपने साथी नेता के भांति ईडी जांच की गुप्त जानकारी को अपने स्तर पर अपने उचित सूत्रों से जानने का प्रयास किए हैं. और आरोपों को सत्य पाया है. अगर बाबूलाल मरांडी यह दावा कर रहे हैं, तो सबूत पेश नहीं करना चाहिए. बाबूलाल स्वंय झारखण्ड के मुख्यमंत्री को सुशोभित कर चुके हैं. उन्हें पता होना चाहिए कि केवल हवा-हवाई आरोप राज्य की संवैधानिक व्यवस्था खत्म होने का आधार नहीं हो सकता.  

बाबूलाल के आरोपों का राज्य के अधिकारी ही कर रहे हैं खंडन 

मणिपुर पर पत्र ना लिख पाने वाले पत्रवीर के द्वारा हमेशा ही पत्र के आसरे हेमन्त सोरेन पर आरोप लगाने वाले का वर्तमान आरोप भी दम तोड़ दिया है. उनके आरोपों को राज्य के अधिकारी ने ही खंडन कर दिया है. ज्ञात हो, झारखण्ड ऊर्जा संचरण निगम लिमिटेड (जेयूएसएनएल) द्वारा दो ग्रिड सब स्टेशन यथा चांडील व कोडरमा के लिए निकाले टेंडर को लेकर भी बाबूलाल ने आरोप लगाए हैं. ऊर्जा विभाग ट्रांसमिशन निगम के एमडी ने टेंडर कॉपी को पढ़ लेने की सलाह दी है.

बाबूलाल से ऐसी हल्की बात की उम्मीद नहीं की जा सकती – के.के.वर्मा 

बिजली विभाग पर लगाएं आरोप पर ऊर्जा विभाग ट्रांसमिशन निगम के एमडी ने पक्ष रखते हुए कहा है कि बाबूलाल मरांडी पूर्व सीएम रह चुके हैं. यह आरोप लगाने से पहले उन्हें पूरा टेंडर कॉपी एक बार पढ़ लेना चाहिए, या फिर किसी जानकार से पढ़वा लेना चाहिए. उनसे इतनी हल्की बात की उम्मीद नहीं की जा सकती है. क्योंकि वर्ष 2016 में ही नियामक आयोग ने इसे रूल एंड रेगुलेशन के तहत एप्रूव किया था. बिजली दर और टैरिफ की रेट 3.10 रुपये तक फिक्स हो चुकी है.

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