गुजरात लॉबी की घुसपैठ न केवल देश के नीति-नियमों में है, BJP-RSS पर भी उसका एकाधिकार है. गैर बीजेपी दलों का गठबंधन देश समेत BJP-RSS को भी गुजरात लॉबी के बर्चस्व से मुक्ति देगा.
रांची : लॉबी ऐसे समूह को कहा जाता है जो सरकारी व संस्थानिक मानवीय नीतियों और नियमों को ध्वस्त कर अपने हित के निति-नियम को प्रभावी बनाने का पर्यास करता है. यह लॉबी अपने नीतियों से मेल खाते संस्थान में आश्रय लेता है और उसके शक्तियों, भ्रम व धनबल के आसरे सरकार में घुसपैंठ करता है. फिर वह धीरे-धीरे अपने आश्रय समेत सरकार में बर्चस्व कायम करता है. मौजूदा दौर में बिलकुल यही परिदृश्य तथाकथित गुजरात लॉबी के कार्यप्रणाली में देखा जा सकता है.
गुजरात के महज दो नेता व पूंजीपतियों के गठजोड़ की लॉबी ने पहले ना केवल पूरी आरएसएस व बीजेपी के विचारधारा पर एकाधिकार कब्जा किया. अब धन बल व संस्थानों के दरुपयोग के आसरे पूरे देश पर अपनी कण्ट्रोल स्थापित करने की दिशा में बढ़ चला हैं. एक तरफ मणिपुर व महाराष्ट की राजनीतिक उथल-पुथल इसका स्पष्ट उधाहरण है. तो वहीं जैन समाज जैसे मित्र व बीजेपी के मार्गदर्शक मंडल, गडकरी, राजनाथ सिंह जैसे मूल नेताओं का परित्याग इसी तथ्य का सच भर है.
इस सच्चाई को न केवल नितीश कुमार, उद्धव ठाकरे, बाल ठाकरे, लालू यादव, राहुल गाँधी, हेमन्त सोरेन समेत सभी गैर बीजेपी दल के नेता समझ रहे है, बीजेपी-आरएसएस के थिंक टैंक भी अब समझ पा रहे हैं. कि गुजरात लॉबी दागी व मौकापरस्त नेता-पूंजीपतियों के आसरे देश पर अपना अधिपत्य स्थापित करना चाहते हैं. ऐसे में गैर भाजपा दलों का गठबंधन बनाने का प्रयास देश हित में जितना जरुरी है उतना ही जरुरी बीजेपी-आरएसएस को इस लॉबी के बर्चस्व से बचाने के लिए हो चला है.