झारखण्ड : पूर्व सत्ता संविदा महिला कर्मियों को मातृत्व अवकाश न देने का भी सच लिए है. जो कुपोषण की एक वजह है. सीएम का इन बहनों को मातृत्व अवकाश देने का निर्णय -मानवीय पहल.
रांची : मातृत्व अवकाश (Maternity Leave) महिलाओं को पेशेवर जिम्मेदारी, नौकरी से दूर रहकर देश के भविष्य, अपने नवजात शिशु की देखभाल करने हेतु प्रयाप्त समय प्रदान करता है. साथ उन्हें अपनी शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखने एवं शिशु के साथ मातृत्व बंधन को मजबूत करने, ताकि नवजात को संतुष्ट और सुरक्षित महसूस हो. जिससे शिशु का एक आदर्श वातावरण में विकास संभव होता है.
एक महिला को मातृत्व अवकाश के दौरान शारीरिक और मानसिक रूप से आराम मिलता है. जिससे वह शिशु को पूरी तरह से पोषण दे पाती है. और खुद को व अपने शिशु को कुपोषण जैसे अभिशाप से भी संरक्षित कर पाती है. वह अपने मनोबल का संरक्षण करती है और परिवार के आदर्श विकास को संभव बना एक स्वस्थ समाज की रचना में अहम भूमिका निभाती है. और फिर नई ऊर्जा, स्थिरता और आत्मविश्वास के साथ पेशेवर जिम्मेदारियों को न्याय देती है.
संविदा महिला कर्मियों को मिलेगा 180 दिन का मातृत्व अवकाश
ज्ञात हो, झारखण्ड में पूर्व के सत्ताओं के सामन्ती नीतियों के अक्स में रिक्त पदों के रहते न केवल संविदा पर महिलाओं की भी नियुक्तयां हुई, उन्हें मातृत्व अवकाश के अधिकार से भी वंचित किया गया. लेकिन सीएम हेमन्त सोरेन के शासन में इन बहनों को न्याय मिला है. ज्ञात हो, सीएम के द्वारा संविदा के आधार पर नियुक्त महिला कर्मियों को मातृत्व अवकाश की अनुमन्यता प्रदान करने वाली प्रस्ताव पर स्वीकृति दी गई है. अब इन महिला कर्मियों को भी मातृत्व अवकाश का अधिकार प्राप्त हो सकेगा.
यह गंभीर मामला संज्ञान में आते ही सीएम हेमन्त के द्वारा तत्काल इसके निराकरण की दिशा में कदम बढ़ाया गया. जिससे अब पात्र संविदा महिला कर्मियों को 180 दिन का मातृत्व अवकाश मिलना संभव हो सका है. यह स्वीकृत प्रस्ताव वैसी महिला कर्मी पर लागू होगा जो पिछले 12 महीनों में 80 दिन तक संविदा पर कार्य कर चुकी हों. और इन महिलाओं को मातृत्व अवकाश के लिए संविदा राशि छुट्टी पर जाने से पहले मिले अंतिम संविदा राशि के बराबर होगा.