हेमन्त सत्ता में JPSC से पहली बार 85% आदिवासी व मूलवासियों को मिली नियुक्ती

झारखण्ड : जहाँ पूर्व की सत्ता 20 वर्षों में JPSC परीक्षा की 6ठी सफर तक पूरा ना कर पाई वहीं हेमन्त सत्ता में 10वीं का सफ़ल आयोजन हुआ. 252 सफल अभ्यर्थियों की नियुक्ति हुई. पहली बार 85% मूलवासियों की नियुक्ति हुई.

रांची : झारखण्ड में 20 वर्षों का बीजेपी शासनकाल JPSC के लिए कोढ़ रहा है. क्योंकि उसके लिए JPSC परीक्षा केवल राजनीतिक विषय रहा. जिसके अक्स में बाहरियो की दसों उंगलियां घी में रही और झारखण्ड के मूल युवा अपने अधिकारों से वंचित रहे. बीजेपी के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास का नेतरहाट कैबिनेट में लिये गए फैसले तथ्य की पुष्टि कर सकती हैं. और दूसरा सच यह भी हो सकता है 20 वर्ष के बीजेपी कालखण्ड में JPSC परीक्षा अपनी छठी सफ़र भी पूरी ना कर पाई. 

हेमन्त सत्ता में JPSC से पहली बार 85% आदिवासी व मूलवासियों को मिली नियुक्ती

सीएम हेमन्त सोरेन के कार्यकाल में जेपीएससी परीक्षा में, 20 सालों से चल रहे विवादों को खत्म करने की ऐतिहासिक पहल हुई. हेमन्त कैबिनेट ने ‘झारखंड कंबाइंड सिविल सर्विसेज परीक्षा रूल्स-2021’ के प्रस्ताव को मंजूरी दी. रिजर्व कैटेगरी को अनरिजर्व्ड कैटेगरी से वाप[सी हुई. न्यूनतम उम्र सीमा 21 वर्ष व शैक्षणिक योग्यता स्नातक निर्धारित हुई. कोरोना कालके बावजूद पहली बार जेपीएससी के परीक्षा संचालन को लेकर नियमावली का गठन हुए और एक साथ सभी परीक्षाएं आयोजित हुई.

252 सफल अभ्यर्थियों की नियुक्ति 11 सेवाओं में विभिन्न पदों पर हुई

सातवीं से 10वीं जेपीएससी का सफल आयोजन हुआ. खेलगांव, रामदयाल मुंडा कला भवन में 252 सफल अभ्यर्थियों की नियुक्ति 11 सेवाओं में विभिन्न पदों पर हुई. नियुक्ति पत्र सीएम सोरेन के हाथों सौंपी गई. अपर समाहर्ता 44, डीएसपी 40, जिला समादेष्टा 16, कारा अधीक्षक 2, सहायक नगर आयुक्त 65, झारखंड शिक्षा सेवा 41, अवर निबंधक 10, सहायक निबंधक कृषि 6, सहायक निदेशक सामाजिक सुरक्षा 2 , नियोजन पदाधिकारी 9 तथा प्रोवेवेशन पदाधिकारी 17 है.

इतिहास में पहली बार JPSC नियुक्ति में 85% मूलवासी अभियार्थियों को मिली नियुक्ती 

ज्ञात हो, संपन्न हुए इस JPSC नियुक्ति प्रक्रिया में दो खूबसूरत पहलू रहे. पहला नियुक्तियां तब हुई जब देश कोरोना त्रासदी से उबरने का प्रयास कर रहा था. जहाँ देश में नौकरियां ख़त्म हो रही थी वहीं हेमन्त सत्ता में राज्य में न्युक्ति हुई. और दूसरा खूबसूरत पहलू यह रहा कि अलग झारखण्ड के इतिहास में यह पहली न्युक्ति प्रक्रिया रही जिसके तहत 85 फीसदी झारखण्ड के मूलवासी अभियार्थियों को नियुक्ती मिली. जो हेमंत सरकार के झारखंडी मानसिकता और मंशा को स्पष्ट परिभाषित कर सकता है.

सीएम सोरेन यहीं नहीं रुके उन्होंने जाँच में पाया कि झारखंड संयुक्त सिविल सेवा प्रतियोगिता परीक्षा नियमावली, 2021 में कुछ कमियां है. इस नियमावली के अनुसार जेपीएससी प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर्ण होने के लिए न्यूनतम 40 प्रतिशत अंक लाना अनिवार्य होता है. आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों को इसमें कुछ छूट मिलती है. मसलन, सरकार ने इसमें संशोधन कर फिर से बहाल करने का निर्णय लिया है. निश्चित रूप से हेमन्त सरकार की यह मानवीय पहल JPSC परीक्षा में मूलवासियों के अधिकार सुनिश्चित करेगा. 

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