झारखण्ड : जिस एचईसी के मज़दूरों ने चन्द्रयान-3 बनाया, उन्हें मोदी सरकार में 17 माह से वेतन नहीं मिला. फिर भी चन्द्रयान-3 का क्रेडिट लेने के लिए मोदी जी स्क्रीन पर प्रकट होना हास्यास्पद.
रांची : बीजेपी के मोदी सत्ता की पूरी राजनीति पूर्व के नेताओं के आईडिया कॉपी-पेस्ट करती दिखी है. गाँधी का चरखा हो. नेहरु का प्रधानसेवक का आईडिया हो या अडवानी का कमंडल के अक्स में रथ यात्रा हो. गोदी मीडिया, बेरोजगारी, महंगाई, अडानी, मणिपुर, महिला उत्पीडन जैसे त्रासदी के अक्स में मोदी एवं गुजरात लॉबी का नाव चुनाव के बीच मझधार में डगमगा रहा हैं. लोकतंत्र बचाव के अक्स में एकजुट इंडिया गठबंधन पूरी मोदी लॉबी के जिनविरोधी नीतियों पर भारी पड़ रहा है.
ऐसे में सत्ता डूबने के बौखलाहट में मोदी जी को चुनाव जीत के अक्स में जो तिनका मिल रहा है उसी के आसरे चुनावी वैतरणी पार करने पर आमादा दिख रहे है. G20, राम मंदिर, साम्प्रदायिक हिंसा जैसे तिनकों का बेकाम होने के बाद मोदी जी अब चन्द्रयान-3 के रथ के आसरे लोकसभा चुनाव की बैतरनी पार करने का प्रयास करते दिख रहे हैं. ज्ञात हो, भारत के राजनीतिक इतिहास में किसी भी पीएम ने देश के अन्तरिक्ष कार्यक्रमों की उपलब्धि का राजनीतिकरण करने का प्रयास नहीं किया.
भारत की राजनीति में यह पहला मौक़ा नहीं है जब देश के मेहनती वैज्ञानिकों ने बड़ी उपलब्धि हासिल की हो. लेकिन, मोदी जी के भांति देश के किसी भी प्रधानमंत्री ने वैज्ञानिकों के कन्धे पर सवार हो वोट उगाही करने का प्रयास नहीं किया. जबकि महान चन्द्रयान कार्यक्रम की शुरुआत कोंग्रेस के मनमोहन सिंह के सरकार में हुई थी. लेकिन मनुवादी सनातनी मोदी सरकार विज्ञान के रथ पर सवार हो 2024 लोकसभा की चुनावी वैतरणी पार करने प्रयास करते स्पष्ट दिख रही है.
भारतीय वैज्ञानिकों ने असफलता से सीख महान सफलता हासिल की
असफलता सबसे बड़ी शिक्षक होती है और सफलता की जननी होती है. भारतीय वैज्ञानिकों ने यह सच कर दिखाय है. पिछली असफलता से सीख महान सफलता हासिल की हैं. ज्ञात हो, झारखण्ड प्रदेश की जिस एचईसी (हेवी इंजीनियरिंग कारपोरेशन) के मज़दूरों ने चन्द्रयान-3 को बनाया, उन्हें मोदी सरकार में तकरीबन 17 माह से वेतन तक नहीं मिली है. लेकिन फिर भी चन्द्रयान-3 की सफलता का क्रेडिट लेने के लिए मोदी जी स्क्रीन पर प्रकट हुए. जो हास्यास्पद है.