बाबूलाल जी के दौर में हुए JPSC परीक्षा में भी हुई थी गड़बड़ियां

झारखण्ड: BJP शासन में हुए JPSC के प्रथम-द्वितीय परीक्षा तक में गड़बड़ी हुई. एकलपीठ ने नियुक्ति रद्द के आदेश को निरस्त कर दिया था. एकलपीठ के खिलाफ हेमन्त सरकार ने अपील की है.

रांची : बाबूलाल मरांडी की सामन्ती मानसिकता के अक्स में उनकी काबिलियत की पोल तब खुलती है जब झारखण्ड को पता चलता है कि वह अपने कार्यकाल में JPSC की एक भी सफल परीक्षा नहीं करवा पाए. या उन्हें करवाने नहीं दिया गया. और बीजेपी 20 वर्षों में छठी JPSC की नियुक्ति प्रक्रिया भी पूरी नहीं कर पाई. ज्ञात हो, बीजेपी शासन में हुए जेपीएससी के प्रथम और द्वितीय सिविल सेवा परीक्षा पर भी गड़बड़ी के आरोप लगे. जिसपर वर्ष 2011 में एसीबी जांच का आदेश दिया गया था.

बाबूलाल जी के दौर हुए JPSC परीक्षा में भी हुई थी गड़बड़ियां

एसीबी ने जांच के बाद 15 सफल उम्मीदवारों के चयन में गड़बड़ी पाते हुए उनकी नियुक्ति रद्द करने की सिफारिश की थी. सरकार ने एसीबी की सिफारिश के बाद सभी की नियुक्ति रद्द कर दी. नियुक्ति रद्द करने के आदेश के खिलाफ सफल उम्मीदवारों ने एकलपीठ में याचिका दायर की थी. और कॉलिजियम सिस्टम के अक्स में एकलपीठ ने सरकार के नियुक्ति रद्द करने के आदेश को निरस्त कर दिया था. एकलपीठ के आदेश के खिलाफ हेमन्त सरकार ने खंडपीठ में अपील दायर की है.

ज्ञात हो, ख़बरों के अनुसार सीबीआइ जांच में पता चला है कि बीजेपी शासन में हुए JPSC परीक्षा की प्रथम सिविल परीक्षा की कापियों में ओवर राइटिंग व काट-छांट हुए हैं. कॉपियों में पहले मिले नम्बरों को काट कर बढ़ाया गया है. इंटरव्यू में भी भारी गड़बड़ी का पता चला है. सीबीआइ के स्टेटस रिपोर्ट में प्रथम व द्वितीय JPSC आंसर सीट की दुबारा जांच की बात कही गयी थी. जिसके लिए न्यायालय से 4 माह का वक़्त भी दिया गया था.

  • प्रथम JPSC परीक्षा : 2004
  • द्वितीय JPSC परीक्षा : 2005 
  • तृतीय JPSC परीक्षा : 2006-2009 
  • चतुर्थ JPSC परीक्षा : 2010-2012 
  • पांचवीं JPSC परीक्षा : 2013-14 
  • छठी सिविल सेवा परीक्षा : 2014-15 में शुरू, हेमन्त सरकार में पूरी हुई.

सीबीआइ ने भी आरोपों को सही पाया और की कार्रवाई 

जेपीएससी की प्रथम और द्वितीय सिविल सेवा परीक्षा में गड़बड़ी मामले के आरोपियों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति पर हाईकोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा है. अदालत ने जनहित याचिका पर राज्य सरकार से आरोपियों के खिलाफ मिले अभियोजन स्वीकृति जानकारी पांच अक्तूबर तक माँगी है. मामले में सीबीआई को भी स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया गया था. जांच में सीबीआइ ने भी आरोपों को सही पाते हुए तत्कालीन अध्यक्ष, सचिव व सदस्यों के विरुद्ध कार्रवाई की है.

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