27 वर्षों से रांची BJP के पास, लोग कुड़े के पहाड़ के समीप जीने को विवश

झारखण्ड : 27 सालों से रांची भाजपा के पास है. अरबों के बंदरबाट के बीच लोग कूड़े के पहाड़ के समीप जीने को मजबूर. लेकिन हेमन्त सरकार के झिरी कंप्रेस्ड बायोगैस प्लांट जैसे प्रयासों से रांची को मिल रही मुक्ति.

भाजपा शासन में विकास से कोसों दूर रहा शहर रांची. नगर विकास मंत्री रहते रांची वासियों को विकास के दावों से कोसों दूर रखना शहर दुर्भाग्य. ऐसे में उनका आंदोलन करना शर्मनाक और भ्रम.

झारखण्ड : 27 सालों से रांची के विधायक कौन सीपी सिंह. हटिया विधायक कौन नवीन जायसवाल. किस दल के विधायक बीजेपी के. झारखण्ड में सबसे अधिक सत्ता किसकी रही बीजेपी की. ऐसे में राजधानी रांची की सड़कों की बदहाल स्थिति के अक्स में प्रदेश भाजपा सांसद संजय सेठ के नेतृत्व में आंदोलन, शहर के जनता के लिए हास्यास्पद की स्थिति नहीं तो और क्या हो सकती है? बतौर विपक्ष सरकार की ख़ामियाँ दिखाना जितना ज़रुरी है उतना ही जरूरी क्या सच मानना नहीं?

27 वर्षों से रांची BJP के पास, लोग कुड़े के पहाड़ के समीप जीने को विवश

सीपी सिंह के नगर विकास मंत्री रहते रांची वासियों को कूड़े के पहाड़ के बीच में रहने को मजबूर होना पड़ा. विकास के नाम पर अरबों रूपए की बंदरबाट,यही उस डबल इंजन सरकार का अंतिम सच नहीं है? बीजेपी मेयर और वर्तमान बीजेपी विधायकों की लंगडी राजनीति के बीच भी सीएम हेमन्त के नेतृत्व में रांची की भौगोलिक डेमोग्राफी में सकारात्मक बदलाव हो रहे हों. तो एसे में बीजेपी का आन्दोलन कोरा झूठ और राजनीतिक ज़मीन बचाने की कवायद क्यों नहीं माना जाए?

राजधानी रांची के विकास के अक्स में हेमन्त सरकार की पहली उपलब्धि ही रिंग रोड, झिरी के कूड़े के पहाड़ की समस्या का हल का सच लिए हो. शहर को जाम मुक्त करने के लिए सड़कों का सर्वे कराया जा रहा हो. सर्वे के अक्स में शहर के अंदर वैकल्पिक सड़कों के निर्माण पर चिंतन-मंथन का सच हो. शहर के विभिन्न इलाकों में सड़कों का सौंदर्यीकरण और प्लाई ओवर का निर्माण कार्य तेजी कराया जा रहा हो. तो बीजेपी के तमाम आरोप आधारहीन नहीं तो और क्या हो सकता है?

27 सालों से रांची में बीजेपी. नगर विकास मंत्री के छत्रछाह में अरबों की बर्बादी 

सीपी सिंह लगातार छह बार, वर्ष 1996, 2000, 2005, 2009, 2014 और 2019 में रांची विधायक चुने गए. 2014 से 2019 तक नगर विकास मंत्री भी रहें. जिसके अक्स में 85 करोड़ हरमू नदी सौंदर्यीकरण पर, 16 करोड़ बड़ा तालाब (रांची झील) के विकास पर, 5 करोड़ कांके अर्बन हाट पर, 14 करोड़ कांटा टोली प्लाइओवर पर, फूके जाने का सच हो. और कोई भी कार्य पूरा ना होने का सच लिए हो, प्लाइओवर का एक पिलर तक खड़ा ना हो पाए. तो बीजेपी और वह कैसे जिम्मेदार नहीं?

ज्ञात भाजपा शासन में रिंग रोड स्थित झिरी में पूरी रांची का कचरा डंप करने के कारण आसपास रहने वाले लोगों की जिंदगी नारकीय बनी. दुर्गंध और कूड़े के पहाड़ में आग लगने से निकलने वाले जहरीले धुएं से लोग त्रस्त थे. और सीएम हेमन्त के निर्देश पर गेल इंडिया के दो बायोगैस प्लांट के आसरे हल निकला. गेल के अनुसार प्लांट निर्माण का काम दिसंबर 2023 तक पूरा कर लिया जाएगा. तो बीजेपी बताये हेमन्त शासन पूर्व के बीजेपी शासन से अधिक हितकारी कैसे नहीं?

हेमन्त सरकार में रांची के किन सड़कों का होगा कायाकल्प

ज्ञात हो, रांची शहर के विकास के लिए आर्थिक उपलब्धता के अक्स में, हेमन्त सोरेन सरकार में सुनियोजित ढंग से काम हो रहा है. जल्द ही रांची के कई सड़कों का कायाकल्प होगा- 

  1. कचहरी चौक से कांटाटोली चौक तक फोरलेन रोड का काम. भूमि अधिग्रहण एवं सड़क चौड़ीकरण में 70 करोड़ खर्च का अनुमान है. डिवाइडर और पक्के नाले का भी इसमें प्रावधान है. कुल लंबाई 2.72 किलोमीटर है. 
  2. अल्बर्ट एक्का चौक से कचहरी चौक तक सड़क की चौड़ाई बढ़ेगी. सौंदर्यीकरण भी होगा. जुडको ने इसे लेकर जोनल ब्यूटीफिकेशन एंड री-डवलपमेंट आफ एक्जिस्टिंग स्ट्रीट एंड रिलेटेड इंफ्रास्ट्रक्चर फ्राम अल्बर्ट एक्का चौक टू कचहरी चौक एंड सराउंडिंग एरियाज इन रांची योजना का प्रस्ताव तैयार किया है. 
  3. रांची के बूटी मोड़ के पास बड़गाईं से बोड़ेया का सौंदर्यीकरण.
  4. कांके रोड से पंडरा तक की सड़क का सौंदर्यीकरण.
  5. 21.28 करोड़ की लागत से अरगोड़ा से कटहल मोड़ तक सड़क चौड़ीकरण होगा. यह सड़क रिंग रोड और नेशनल हाईवे 23 को जोड़ती है.
  6. रांची रिंग रोड (नेवरी विकास विद्यालय) से बूटी मोड़ होकर कोकर चौक, कांटाटोली चौक होते हुए नामकोम आरओबी तक कुल 15.214 किमी फोरलेन का निर्माण.जिसकी लागत 129.16 रुपये है. 

एक प्लाईओवर राजनीति की भेंट चढ़ी तो दूसरा रहा अधूरा छोड़ा, हेमन्त की कुशलता ने निकाला हल

ज्ञात हो, भाजपा शासन में हरमू रोड प्लाईओवर राजनीति की भेंट चढ़ी. कांटा टोली प्लाइओवर अधूरा ही छोड़ दिया गया. हेमन्त सरकार में दोनों प्लाईओवर पर तेजी से काम चल रहा है. आखिरी सच तो यही है. जो बीजेपी राजनीति को डरा रही है. 

  1. सिरमटोली चौक से राजेंद्र चौक होकर मेकॉन गोलचक्कर तक 2.34 किलोमीटर का फोरलेन फ्लाईओवर और एलिवेटेड आरओबी पर. कुल लागत 339.69 करोड़ रुपये है.
  2. 224 करोड़ की लागत से कांटाटोली फ्लाईओवर. योगदा सत्संग आश्रम-कांटाटोली-कोकर फ्लाईओवर. फ्लाईओवर का निर्माण प्रगति पर है. इसकी कुल लंबाई 2240 मीटर है. फ्लाईओवर निर्माण की योजना 2016 में बनी थी.

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