सुदेश महतो के अनुसार वह नाराज बड़ा वर्ग कहीं बाहरी तो नहीं 

झारखण्ड : आजसू सुप्रीमों के अनुसार हेमन्त सरकार से नाराज वर्ग केवल बाहरी ही हो सकता है. इसकी पुष्टी नियोंजन नीति के रद्द होने में विपक्ष की हडबडाहट से होती है. और आजसू के बाहरियों की वकालत को स्वतः परिभाषित करता है. 

रांची : झारखण्ड में बीजेपी की कार्यप्रणाली व राजनीति बाहरियों के पैरोकार के रूप मानी जाती है. और मौकापरस्ती के अक्स में आजसू की कार्यप्रणाली व राजनीति को बीजेपी के प्रबल हथियार के रूप में देखा गया है. क्योंकि बीजेपी से मूलवासियों के मोहभंग के परिस्थिति में आजसू बीजेपी व सामंतियों के एजेंडे को झारखण्ड के धरती पर उतारने में सटीक माध्यम साबित हुआ है और होता आ रहा है. जिससे दोनों ही पार्टी की राजनीति की दूकान आसानी से चलती रहती है.

सुदेश महतो के अनुसार वह नाराज बड़ा वर्ग कहीं बाहरी तो नहीं 

ज्ञात हो, हेमन्त सरकार में झारखण्ड राज्य के मूलवासियों के हित में लगातार नीतिया धरातल पर उतारी जा रही है. इस फेहरिस्त में स्थानीय नीति, नियोजन नीति, OBC आरक्षण, सरना धर्म कोड चार बड़े व महत्वपूर्ण मुद्दा समेत शिक्षा, कर्मचारी, नियुक्ति, अनुबंध समस्या, ग्रामीण अर्थवयवस्था जैसे नीतियां शामिल है. ऐसे में राज्य के मूलवासी विपक्षी षड्यंत्रों के अक्स में परेशान हो सकते है लेकिन नाराज तो कतई नहीं हो सकते हैं.

ऐसे में आजसू सुप्रीमों के द्वारा कहा जाना की राज्य का एक बड़ा वर्ग हेमन्त सरकार के नीतियों से नाराज है केवल तभी सही हो सकता है जब वह वर्ग बाहरी हो. इसकी पुष्टी हेमन्त सरकार के नियोंजन नीति के रद्द होने में बीजेपी नेता व बाहरियों की हडबडाहट स्पष्ट रूप से करती है. और आजसू सुप्रीमों का मामले में दुखी होना न केवल बाहरियों के वकालत के रूप में, उनके कथनी और करनी रूप में भी जनता के बीच स्वतः परिभाषित हो सकता है.

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