स्थानीय भाषा झारखण्ड की जीवन रेखा है. हेमन्त सरकार में स्थानीय भाषा को मिली प्राथमिकता. स्थानीय भाषा में योजनाओं के प्रचार-प्रसार से आम जन को हो रही सहुलियत. सरकारी स्कूलों में भी मातृभाषा आधारित शिक्षा.
रांची. झारखण्ड एक विभिन्न भाषाओँ वाला राज्य है, लेकिन इसके मजबूतीकरण की दिशा में पूर्व की सरकारों इच्छाशिक्ति नहीं दिखी. साथ ही उनके द्वार बाहरी प्रदेशों के स्थानीय भाषाओं तरजीह देने का प्रयास हुआ. लेकिन, सीएम हेमन्त सोरेन झारखण्ड के स्थानीय भाषाओँ के पक्षधर हैं. विभिन्न अवसरों पर वह राज्य की परंपरा, संस्कृति और भाषा को साथ लेकर आगे बढ़ने की इच्छुक दिखें हैं.
ज्ञात हो, झारखण्ड एक गरीब व जंगले झाड वाला प्रदेश है और अधिकाँश जनता अपने आम जीवन में स्थानीय भाषा का प्रयोग करते हैं. ऐसे में वह सरकार की योजनाओं का शत प्रतिशत लाभ नहीं ले पाते. लेकिन, हेमंत सरकार में स्थानीय भाषा में प्रचार-प्रसार कर लोगों को योजनाओं की जानकारी दी जा रही है. जिसे उनका संवाद आसानी से पदाधिकारियों हो रहा है. साथ ही सीएमके पहल पर राज्य के अधिकारी और कर्मचारी अब जोहार शब्द से संवाद शुरू करने लगे हैं.
स्थानीय भाषा का प्रयोग कर सरकार कर रही प्रयास
अधिक लोगों को योजनाओं का लाभ देने के लिए सरकार स्थानीय भाषाओं में प्रचार-प्रसार कर रही है. और योजनाओं की जानकारी अधिक लोग पहुचाने का प्रयास कर रही है. अभी हाल में 100 यूनिट मुफ्त बिजली योजना की जानकारी हिंदी, नागपुरी, हो, संथाली, मुंडारी और कुडुख भाषा में प्रचारित-प्रसारित किया गया, ताकि अधिक लोगों को योजना की जानकारी के साथ योजना का लाभ मिल सके.