हाथी उड़ान नहीं, 6000 बंद उद्योगों के फिर शुरू होने से बदलेगी झारखंड की तस्वीर

राज्य में बंद पड़े उद्योगों में फिर से जान फूंकने की मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की नयी सोच ही एक मात्र झारखंड की नयी उम्मीद

रोजगार सृजन के लाखों अवसर से पलायन पर भी लगेगा विराम 

रांची। विपक्ष के दौर में ही नेता प्रतिपक्ष रहते मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा था। झारखंड राज्य में उद्योग लगाने के मद्देनजर भाजपा का विदेशों में रोड शो का नया सांस्कृतिक पहल। तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास का मोमेंटम झारखंड के तहत हाथी उड़ाना। झारखंड की संकरी गलियों के उस हकीकत को उभारती है जहाँ मोटे हाथी का प्रवेश हिरनों को रौंद देगी। जिसके अक्स में राज्य के छोटे उद्योगपतियों के उद्योग लगाने की सोच को झलके। तो निश्चित रूप से यह संकेत राज्य के विकास के मद्देनजर बदलती तस्वीर की महीन लकीर हो सकती थी। 

विधानसभा चुनाव के दौरान हेमंत सोरेन का सवा तीन करोड़ जनता से वादा। अगर बड़े उद्योगपतियों के लूट पर रोक व स्थानीय उद्योगपतियों के नयी पहचान से जा जुड़े। उनकी नीतियां इस सच पर मुहर लगाए। बजट सत्र के दौरान उनकी घोषणा। राज्य में छोटे-बड़े 6000 उद्योग, जो बंद पड़े हैं।  फिर से चालू किये जाने, उनमे नयी जान फूंकने की उम्मीद जगाए। तो निश्चित रूप वह शब्द  झारखंडियों के उस उज्जवल भविष्य से अपना जुड़ाव बना सकता है। जहाँ लाखों रोजगार सृजन के अवसर झारखंड में पलायन जैसे त्रासदी पर स्थायी विराम के मुहर लगा सकती है। 

कतिपत औद्योगिक घरानों को ही भाजपा ने राज्य में दिया था बढ़ावा 

राज्य में उद्योगों को विकसित करने की पहल को हेमंत सोरेन की सोच से भी समझा जा सकता है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि उनकी सरकार अडाणी-अंबानी के अलावा राज्य में उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय संसाधनों को भी देख रही है। बता दें कि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के समय उपरोक्त औद्योगिक घरानों को ही राज्य में उद्योगों के लिए विशेष तौर पर प्रमोट किया जाता था। 

लघु वनोपज (कृषि क्षेत्र) और लघु व कुटीर बन सकता है उद्योगों का आधार  

बता दें कि झारखंड में दो तरह के उद्योगों को प्रोत्साहित करने से राज्य के लोगों को रोजगार मिल सकती है। पहला लघु वनोपज (कृषि क्षेत्र) और दूसरा लघु व कुटीर आधारित उद्योग। लघु वनोपजों की पर्याप्तता एवं उसके उपयोगों को ध्यान रखते हुए इससे जुड़े उद्योग स्वरोजगार के लिए अत्यंत ही लाभदायक क्षेत्र है। इसमें मुख्य रूप से करंज, सवाई घास, गोंद राल, महुवा फूल, साल बीज, कुशुम, तेंदू पत्ता, पलास इत्यादि शामिल है। 

वहीं लघु एवं कुटीर उद्योग में मत्स्य व्यवसाय, मुर्गी पालन, बकरी-बकरा, बत्तख पालन, दूध डेयरी व्यवसाय व जंगलों के उत्पादों एवं खनिज संस्थान प्रमुखता से शामिल हैं। इन्हें उद्योगों के रूप में विकसित करने से राज्य को विकास की मार्ग में पहुंचाया जा सकता है। इसके अलावा बड़े उद्योगों के राज्य में खनिज संसाधनों की भरमार भी झारखंड में है। इसके लिए बड़े-बड़े निवेशकों को उद्योग लगाने के लिए आकर्षित किया जा सकता है। 

आवश्यक एवं मूलभूत सुविधाएं है पहले से मौजूद, सरकार बहाल करेगी व्यवस्थाएं 

निवेशकों को आर्कषित करने के लिए नई दिल्ली में स्टेक होल्डर्स मीट का आयोजन किया गया था। इस दौरान मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में आए निवेशकों से विशेष तौर पर कहा कि झारखण्ड में वो सभी आवश्यक एवं मूलभूत सुविधायें मौजूद हैं, जो एक उद्योग को पनपने के लिए जरुरी हैं। झारखंड में आने वाले समय हर वह व्यवस्थायें स्थापित की जाएगी, जिससे झारखण्ड के विकास को दिशा मिले। समाज के हर तबके के लाभ के मद्देनजर माईन्स एवं मिनरल्स सेक्टर में उद्योगों को लगाने के अलावा अन्य क्षेत्रों जैसे – कृषि, मोटरवेहिक्ल्स, इलेक्ट्रॉनिक मैनूफैक्चरिंग और फूड प्रोसेसिंग के क्षेत्र में भी ध्यान दिया जा रहा है। 

नयी औद्योगिक पॉलिसी सरकार और उद्यमियों के बीच बनाएगा नया सेतु 

उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए हेमंत सरकार ने झारखण्ड औद्योगिक और निवेश प्रोत्साहन नीति 2021 लाने का फैसला किया है। एक निजी कार्यक्रम में उन्होंने बुधवार को कहा कि राज्य में नयी औद्योगिक पॉलिसी बनाई जाएगी। यह उद्योग पॉलिसी राज्य सरकार और उद्यमियों के बीच सेतु का काम करेगी। इसी तरह उद्योगों के विकास में विशेष भूमिका निभाने वाले जलमार्ग को बढ़ावा देने की बात मुख्यमंत्री ने की है। हालांकि राज्य के निकट ही बंगाल में हल्दिया पोर्ट और ओडीसा में पारादीप पोर्ट है, जिससे उद्योगों को बढावा मिलेगा। इसी तरह साहेबगंज में गंगा नदी पर निर्माणाधीन पोर्ट है, जो जल्द ही शुरू हो जायेगा।

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