झारखण्ड : 5% लोग 95% लोगों को बना रहे हैं बेवकूफ -सीएम

सीएम सोरेन : राज्य के पीढ़ी को सुरक्षित की लड़ाई अगर हम नहीं लड़ेंगे तो आने वाली पीढ़ी फिर सड़कों पर आ जाएगी. उसमें शिबू सोरेन और भगवान बिरसा मुंडा फिर से जन्म नहीं लेंगे.

सरायकेला खरसाँवा : सीएम हेमन्त सोरेन ने कहा कि अपनी पीढ़ियों को, अपने वजूद को बचाने का कार्य हमारे पूर्वजों ने किया है. जब देश के लोग आजादी के सपने नहीं देखते थे उस समय से हमारे पूर्वजों ने झारखण्ड के हक अधिकार के लिए आवाज उठाई थी. राज्य सरकार के सोच के विपरीत महामहिम का जाना नई बात नहीं है, जहां भी भाजपा की सरकार नहीं है वहां के सरकार व जनता को परेशान करने का कार्य किया जा रहा है. 

झारखण्ड : 5% लोग 95% लोगों को बना रहे हैं बेवकूफ -सीएम

भारत सरकार का गरीबों के आवास का पैसा नहीं देना क्या यह संवैधानिक है. 

ये झारखंड है. यहां के आदिवासियों और मूलवासियों ने सरकार बनाया है. इसलिए यहां जो आदिवासी मूलवासी चाहेंगे वही होगा, गवर्नर जो चाहेंगे वह नहीं होगा. अभी राज्य का बागडोर आदीवासी मूलवासी के हाथ में है. विपक्ष कहता हैं कि हेमंत सरकार का नियम कानून सही नहीं है और राज्य वासी को किसी तरह का ज्ञान नहीं है. आखिर ये लोग कितने दिनों तक राज्य वासियों को यह लोग मूर्ख समझेंगे.

आदिवासी, पीड़ित, दलित जब जब अपने हक-अधिकार का आवाज उठाता है तब-तब विपक्ष के पेट में दर्द तो होता है. आज आदिवासी-मूलवासी, यहां के खतियानधारी को प्राथमिकता के आधार पर नौकरी देने में क्या असंवैधानिक है.. हमें अपना अधिकार इनसे छीनना होगा. ये लोग संवैधानिक और असंवैधानिक की बात करते हैं. भारत सरकार से 8 लाख से अधिक गरीबों को आवास नहीं दिया. क्या भारत सरकार का पैसे नहीं देना क्या यह संवैधानिक है. 

आदिवासी मूलवासी को नौकरी में पहली प्राथमिकता मिलनी चाहिए

सरायकेला के कुछ जगहों में बाहर से आए लोग पारा टीचर बने हुए हैं और यह कार्य पूर्व की सरकार में हुआ. लेकिन जब हमारी सरकार बाहर के लोगों का रास्ता बंद कर स्थानीय लोगों को प्राथमिकता देना चाह रही है तो इन्हें तकलीफ हो रही है. विपक्ष ने सुनियोजित तरीके से बड़े बड़े व्यापारियों के साथ मिलकर इस राज्य को लूटने का अड्डा बनाया था. इन लोगों का जेब भरने का कार्य विगत डबल इंजन की सरकार में होता रहा. वह बंद हो गया. तो अब सरकार को अस्थिर कर रोकने में लगे हैं.

30 साल से अधिक समय से कोई पदाधिकारी बूढ़ा पहाड़ नहीं गया था. मैंने दिन भर बूढ़ा पहाड़ में बिताया. ग्रामीणों के साथ खाना खाया. बड़ी पीड़ा हुई यह देखकर कि वह बूढ़ा पहाड़ ऐसे पंचायत का हिस्सा रहा है जहां हमारे इस राज्य के आंदोलनकारी नीलांबर पीताम्बर का गांव भी वहीं है. 6 माह के अंदर बूढ़ा पहाड़ के दो पंचायत का विकास किया जाएगा.

95% लोगों को 5% लोग बना रहे हैं बेवकूफ 

मुट्ठी भर लोग पूरे राज्य को चुनौती दे रहे हैं. यहां के 95% लोग को 5% लोग बेवकूफ बना रहे हैं. विपक्ष के लोग का रिमोट महाराष्ट्र गुजरात से चलता है. हिंदू मुस्लिम के नाम पर, आदिवासी गैर आदिवासी के नाम, ईसाई सरना के नाम पर लड़वाते रहो और अपना राजनीतिक रोटी पकाते रहो.

आज हम लोग से सरना धर्म कोड को लागू करने के लिए बोलते हैं तो यह असंवैधानिक हो गया.

हम चुनौतियों से घबराते नहीं. अभी हमें कई लड़ाईयां लड़ना है

इनकी सोच आदिवासी-मूलवासी सरकार ने समझ लिया है. इसलिए राज्य के पीढ़ी को सुरक्षित करने के लिए यह हमारी लड़ाई है. अगर यह लड़ाई हम नहीं लड़ेंगे तो आने वाली पीढ़ी फिर सड़कों पर आ जाएगी. उसमें शिबू सोरेन और भगवान बिरसा मुंडा फिर से जन्म नहीं लेंगे. हमें चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा. हम चुनौतियों से घबराते नहीं. अभी हमें कई लड़ाईयां लड़ना है.

सामंती सरकार कानून बनाए, जिससे यहां के आदिवासी खत्म हो जाए. वह संवैधानिक है. और हम यहां के मूलवासी आदिवासियों के हकों की रक्षा करें तो वह  बेमानी है असंवैधानिक है. हम लोग की खबर, टीवी यहां की जनता है. हम गांव-पंचायत जिपहुँच ग्रामीणों चेहरे से खबर पढ़ लेते हैं. और उसका समाधान करने का प्रयास करते हैं. लेकिन आज खबरों के माध्यम से पता चला है कि 1932 का खतियान से संबंधित विधेयक को वापस कर दिया गया.

देश के आंदोलनकारियों व उनके वंशजों को बदनाम करने में लगे हैं. इसकी भी लड़ाई हम लोग लड़ेंगे और लड़ाई छोटी नहीं लंबी चलेगी. देश के सबसे ऊंची कुर्सी बैठे लोगों तक आवाज पहुंचाने के लिए जुटान अधिक करना होगा. अभी तो जोहार यात्रा के माध्यम से संदेश दिया जा रहा है. सरकार राज्य के भावना के अनुरूप ही काम करेगी. आप संचालित विकास योजनाओं का लाभ लें. ताकि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत हो.

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