आम बजट 2023 : SC, ST व गरीब से अधिक गोबर-गौमूत्र को तरजीह

आम बजट 2023 : महिला शक्ति को आगे कर बाजीगरी के आसरे बेरोजगारी, डूबती अर्थव्यवस्था, गरीबों की शिक्षा, सामाजिक सुरक्षा जैसे मूल-भूत आयाम को किया गया सिरे से ख़ारिज.

रांची: केन्द्रीय आम बजट 2023, मोदी सरकार के द्वारा एक बार फिर आदिवासी, दलित, पिछड़े व गरीबों से अधिक गोबर-गौमूत्र को तरजीह दिया गया है. आदिवासियों को वनवासी बनाने के संघी एजेंडे को आगे बढ़ाया है. इस आम बजट में बाजीगरी के आसरे बेरोजगारी, डूबती आर्थिक व्यवस्था, गरीबों की शिक्षा, सामाजिक सुरक्षा जैसे मूल भूत आयाम को सिरे से ख़ारिज किया गया है. और इस बार महिला शक्ति के आड़ में यह खेल खेला गया है . साथ ही पूर्व में एलान योजनाओं के क्रियान्वयन का भी कोई आंकडा पेशा नहीं किया गया है.

आम बजट 2023 : SC-ST व गरीब से अधिक गोबर-गौमूत्र को तरजीह

स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार में विशेष प्रबंध करने के बजाय बजट में कटौती चिंताजनक 

झारखण्ड के सीएम हेमन्त सोरेन के द्वारा केंद्रीय बजट पर कहा गया कि यह आम बजट हतोत्साहित करने वाला है. इसमें गरीब व मध्यम वर्ग के भविष्य को सुरक्षित करने को लेकर कोई उपाय नहीं किया गया है. झारखण्ड प्रदेश के लिए कुछ भी नहीं हैं. सीएम ने स्पष्ट कहा कि बजट में गरीबों के जेब से पूंजीपतियों को सहूलियत दी गई है. कोरोना त्रासदी के बाद आदिवासी, दलित, पिछड़े, किसान, युवा, मजदूर के उम्मीद को झटका लगा है.

सीएम ने कहा कि वह आशावादी व्यक्ति हैं, उन्हें उम्मीद थी कि स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार को लेकर विशेष प्रबंध किये जाएंगे. लेकिन बजट में इनमें कटौती की गयी. जीएसटी कंपनसेशन का समय सीमा नहीं बढ़ाया गया. नौकरी, रोजगार, मंहगाई पर चुप्पी चिंताजनक है. प्रति किमी. रेल पटरी के आधार पर सबसे ज्यादा मुनाफा देने वाले झारखण्ड को नई रेल लाइन और नई ट्रेनें नहीं मिली. एयरपोर्ट युग से किनका भला होगा, गरीब समझ सकते हैं.

प्रदेश कांग्रेस ने बजट को कुल मिला कर बोगस बजट बताया  

झारखण्ड प्रदेश कांग्रेस ने बजट पर कहा कि कुल मिला कर देखा जाए तो बजट बोगस है. बजट में घोषणाओं के क्रियान्वयन में पीछे रहना बीजेपी का इतिहास रहा है. इनकम टैक्स राहत के मामले में सरकार ने मिडिल और सैलरीड क्लास को झुनझुना थमाया है. अमृत काल के बजट में अमृत किसके हिस्से और किसे विषपान करना होगा, यह समझा जा सकता है. 

माकपा ने कहा कि कथित अमृत काल का बजट आम जन के उमीदों पर एक और हमला है. इस बजट में आम जनता के लिए केवल बड़ी-बड़ी घोषणाएं हैं. खाद्य सुरक्षा अनुदान को घटा दिया गया है. सीपीआई ने कहा कि यह आम बजट 120 करोड़ जनता को दिग्भ्रमित करने वाला है. यह बजट आम न होकर एक खास तबके के लिए है.

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