CAA और NRC समर्थन रैली घटना संदेहास्पद

हमारे देश की मिट्टी में ‘फूट डालो और राज करो’ का बीज अंग्रेज़ों द्वारा बोया गया था। उन्हें तब्लीगी जमात, हिन्दू महासभा, मुस्लिम लीग और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसे सहायक भी मिल गये थे। इतिहास गवाह है यह फूटपरस्ती हमारे देश को ख़ूनी विभाजन तक लेकर पहुँची। लाखों लोगों ने अपनी जान गवाएं और करोड़ों मासूम अपनी जगह-ज़मीन-संस्कृति व भाषा से कट गये। अंग्रेज़ तो चले गये लेकिन आपस में लड़ाने की राजनीति देश में CAA और NRC जैसे रूप में ब दस्तूर जारी है।

CAA और NRC उसी फूट की अगली कड़ी के रूप सामने परोसने का प्रयास भर है। समाज के इसके ख़िलाफ़ बुद्धिजिवियों द्वारा जनांदोलन शहरों से लेकर कस्बों तक व्यापक तौर किये जा रहे हैंI ऐसे भारी विरोध-प्रदर्शन से परेशान सत्ता भाजपा शासित राज्यों में पुलिस तंत्र के माध्यम से दमन कर रही है। वहीँ  गैर शासित राज्यों में प्रचार तंत्र, नेता, प्रशासन, समर्थक व अनुषंगी दलों की सहायता से पूरे मामले को सम्प्रदायाकी करण करने पर जोर दे रही है।

उदाहरण के तौर पर झारखंड के लोहरदगा में तथाकथित समर्थकों द्वारा (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी), CAA और NRC के समर्थन में रैली निकाली गयी, जिसपर विरोधी गुट के लोगों द्वारा पथराव किये जाने की खबर सामने आयी है। इस खबर का दूसरा पहलू यह है कि यदि एसडीओ द्वारा सही रूट का चयन किया गया होता तो इस घटना को रोकी जा सकती थी। झारखंड खबर के पास इस तथ्य के साक्ष्य मौजूद है, एसडीओ ने रैली के रूट निर्धारण में लापरवाही बरती है।

मामले में पुलिस के रूप

साक्ष्य के मुताबिक़ एक शुभचिंतक ने एसडीओ को फोन कर सूचित किया कि जो रूट उनके द्वारा निर्धारित किया गया है वह संदेहास्पद है। शुभचिन्तक ने कुछ अप्रिये घटना होने की आशंका भी जताई लेकिन उसे भी मोहदय द्वारा नजर अंदाज कर दिया गया। बाद में ऐसे वीडिओ भी वायरल हुए जिसमे पुलिस खुद ही गाड़ी को नुकसान पहुँचाते दिखे, जो पूरे प्रकरण में पुलिस-प्रशासन के कार्यप्रणाली को कठघरे में खड़ा करती है। झारखंड सरकार से झारखंड खबर नुरोध करता है कि मामले की निष्पक्षता से जांच कर दोषियों कड़ी कार्रवाई करे।

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