जेटेट में झारखंडियों को रोकने के लिए बाहरियों की फिर एक नयी चाल

झारखंड के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग में बैठे हुए बाहरियों को यह हजम नहीं हो रहा कि इस बार बाहरियों को बाहर का रास्ता दिखा कर केवल झारखंड के अभ्यर्थी कैसे प्राथमिक शिक्षक बन सकते हैं। क्योंकि इस बार तीर्थ-चतुर्थ वर्ग की जेटेट भर्ती प्रक्रिया में अन्य राज्य के अभ्यर्थीयों को स्थान नहीं दिया गया है। इसलिए झारखंड के बच्चों को फिर से अयोग्य साबित करने के लिए झारखंड में बैठे हुए बाहरी बाबूओं ने नई चाल चली है। जेटेट के नियमों में जानबूझकर बदलाव कर टेट परीक्षा को और कठिन बना दिया गया है जैसे:

  • जब झारखंड के टेट परीक्षाओं में बाहरी शामिल थे, तब टेट के परीक्षाओं में पूछे जाने वाले प्रश्न केवल हाईस्कूल स्तर के ही होते थे, लेकिन अब चूँकि यह परीक्षा केवल झारखंडी अभ्यर्थीयों के लिए है तो उनके लिए प्रश्न स्नातक स्तर के होंगे।
  • जब तक टेट के अंतर्गत बाहरियों को नौकरी देनी थी तब तक अभ्यर्थीयों को पास होने के लिए कुल अंक का केवल 60% ही अंक लाना होता था, लेकिन अब झारखंडी अभ्यर्थीयों के लिए 60% के साथ-साथ हर खंड में 40% अंक लाना अनिवार्य होगा, नहीं तो आप टेट पास नहीं हो सकते।
  • इसी प्रकार पहले ऑनर्स की अनिवार्यता नहीं थी, लेकिन अब एक विषय में ऑनर्स होना अनिवार्य कर दिया गया है। ऐसे में यह सवाल लाज़मी हो जाता है कि झारखंड में ऑनर्स के साथ फिर सामान्य कोर्स क्यों चलाए जाते हैं? 

अलबत्ता, इसका मतलब साफ है कि परीक्षा कठिन करके बाहरी बाबू टेट परीक्षा में झारखंडियों फेल करेंगे और प्रवासी मुख्यमंत्री जी से कहेंगे कि झारखंडी बच्चे अयोग्य हैं, इसलिए खाली पदों को भरने के लिए बाहरी अभ्यर्थीयों को फिर से नौकरी के लिए बुलाना ही पड़ेगा। सरकार अयोग्यता के आड़ में फिर से झारखंड में बाहरियों को नौकरी बाटेगी, यहाँ के बच्चे बस देखते रह जायेंगे। विडंबना यह है कि आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो इस बार भी चुप हैं। इसलिए झारखंडी बच्चों को चाहिए कि अभी से ही सावधान हो जाएँ और विपक्ष को इस मुद्दे पर आवाज़ उठाने को मजबूर करें, नहीं तो यह फैसला उनके लिए घातक परिणाम ले कर आएगी।

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