डिग्रीधारी को नौकरी न देने वाले मुख्यमंत्री कहते हैं कि वे हर कदम छात्रों के साथ हैं!

मुख्यमंत्री ने महज चंद दिनों पहले कहा था कि डिग्रीधारी को झारखंड में नौकरी नहीं मिलेगी 

यह सत्य है कि किसी बच्चे को अक्षर ज्ञान सही मायने में स्कूल में जाने के बाद ही होता है। इसलिए स्कूल को बच्चों के ज्ञान का स्रोत कहा जाता है। स्कूल समाज का एक ऐसा अंग होता है, जहाँ बच्चों में सामूहिकता की भावना, कला  व सामाजिक संस्कृति पैदा होती है। एक स्कूल केवल शिक्षा का ही केन्द्र बल्कि वह बच्चों के मानसिक और शारीरिक जैसे जरूरी आयामों को विकसित करने वाला स्थान होता है। इसलिए किसी भी सरकार की ज़िम्मेदारी होती है कि स्कूलों की अहमियत को समझते हुए बच्चों को शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाएँ मुहैया करवाये।

मौजूदा वक़्त में झारखंड की विडंबना यह है कि यहाँ के मुख्यमंत्री ने राज्य के 14 हजार स्कूलों को बंद कर, राज्य के तमाम डिग्रीधारी युवाओं के भविष्य को अधर में लटका कर व राज्य के शिक्षकों को पुलिसिया लाठी मार प्रवचन देते हैं कि छात्रों के बीच आना उनके लिए सदैव ऊर्जा स्रोत एवं प्रेरणादायी होता है। यह भी कहते हैं कि छात्र राज्य का भविष्य व नये भारत की नींव हैं। यही नहीं चुनाव को देखते हुए छात्रों का आह्वान करते हुए कहते हैं कि आप आगे बढ़ें, सरकार हर कदम पर उनके साथ है।

मसलन,  महज चंद दिनों पहले आशीर्वाद यात्रा दौरान अपने बयान -डिग्रीधारियों को झारखंड में नौकरी नहीं मिलेगी, से खुद की किरकिरी करवाने वाले मुख्यमंत्री के मुख से क्या दीक्षांत समारोह के मंच से झूठ बोलना शोभनिय है? जो मुख्य मंत्री गलत स्थानीय नीति परिभाषित कर यहाँ के युवाओं का अधिकार बाहरियों को बेच दे, उनके लिए तो यह कतई शोभनीय नहीं हो सकता। साथ ही यह कहना कि उनकी सरकार यहाँ के छात्रों को गुणवत्तापूर्ण और रोज़गार परक शिक्षा उपलब्ध करवा रही है और इसके लिए वे प्रतिबद्ध है, सरासर मिथ्या वचन है। बिरसा मुंडा की पावन धरती इसका गवाह है। इनका ऐसा झूठ बोलना केवल राज्य की सबसे बड़ी शक्ति,  युवा शक्ति को भरमाने व लुभाने के अतिरिक्त कुछ नहीं हो सकता। 

Leave a Comment