रघुवर सरकार अपने दल के पीड़िता को न्याय दिलाती है या अपने विधायक को…

रघुवर सरकार इस सम्बन्ध में क्या करेगी?

भाजपा नेताओं का सदाचार से सम्बन्ध दरअसल “मानसि अन्यत्-वचसि अन्यत्” का पक्का अनुयायी दिखाई पड़ता है। भीतरी पोल को ये कितनी तन्मयता से धार्मिक चादर के तहत ढक देते हैं! मालूम होता है कि भाजपा नेताओं की अवहेलना करने वाला कोई है ही नहीं! या, हम किसी दूसरे ग्रह में बैठकर वार्तालाप कर रहे हैं। निश्चय ही हम लोग जब वास्तविक स्थिति पर विचार करते हैं, तब इनका सदाचार एक भारी ढकोसला से बढ़कर कोई महत्व नहीं रखता। ‘मर्ज ज्यों-ज्यों बढ़ता गया इनकी दवा का तल भी नीचे गिरता गया है।

ज्ञात हो कि जिस भाजपा नेता ढुलू महतो पर पहले से ही 28 केस मामले दर्ज हैं तो आखिर भाजपा नेत्री के मामले में पुलिस इनपर प्राथमिकी दर्ज क्यों नहीं कर रही? जबकि प्रदीप यादव पर आरोप लगते ही केस दर्ज हो सकता है। ऐसा केवल इसलिए है, ये भाजपा के विधायक हैं और पुलिस उनके इशारे पर काम कर रही है यही वजह तो हो सकता है कि पीड़िता की शिकायत पर तहकीकात तक नहीं हुई, केस दर्ज किया जाना तो दूर की कोड़ी है इस मामले में झारखंड उच्च न्यायालय को डीजीपी और धनबाद के एसएसपी से पूछना पड़ा कि पीड़िता के नाै माह पूर्व ऑनलाइन शिकायत करने के बावजूद आखिर आरोपी विधायक के खिलाफ नियमित एफआइआर दर्ज क्यों नहीं हुई? 

पीड़िता के अधिवक्ता राजीव कुमार ने अदालत को बताया कि ढुलू महतो द्वारा बार-बार जबरन शारीरिक संबंध बनाने के प्रयास के बावजूद पुलिस आरोपी विधायक के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने पक्ष में नहीं दिख रही है। मसलन, पीड़िता का पक्ष सुनने के बाद अदालत ने राज्य सरकार को शपथ पत्र के माध्यम से जवाब देने का निर्देश दिया है मामले की अगली सुनवाई 22 सितंबर को होनी है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि राज्य की रघुवर सरकार इस मामले में क्या कदम उठती है, अपने ही दल के पीड़िता को न्याय दिलाती है या फिर अपने विधायक को…

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