मुख्यमंत्री जी के लिए अच्छा होता यदि दूसरों के बजाय अपने कार्यकाल का ब्यौरा देते

प्रतीत ऐसा होता है कि केंद्र में भाजपा की सरकार फिर बनने से झारखंड के प्रवासी मुख्यमंत्री जी कुछ और अधिक अहंकारी होते दिख रहे हैं और इसी की आड़ में अपना भी बेड़ा पार कर लेना चाहते हैं। मुख्यमंत्री जी ने अपने बयान में कहा है कि झारखंड के तमाम विपक्षी दल विकास विरोधी हैं। उन्होंने यह भी कहा कि विपक्ष ने कोलहान और संथाल के लोगों को बहकाया था और अब वे समझ चुके हैं, इसलिए संथाल की जनता ने गुरूजी को चुनाव में इस बार हराया है।

मुख्यमंत्री जी ने अपने बयान में यह भी कहा कि संथाल से तीन-तीन मुख्यमंत्री हुए, लेकिन किसी ने संथाल का विकास नहीं किया। यह कहने से पहले वह भूल गए कि झारखंड का पहला मुख्यमंत्री संथाल से थे जरूर, लेकिन थे तो उन्हीं के पार्टी से! इसका सीधा मतलब है कि भाजपा ने संथालियों के विकास के लिए कुछ भी किया। हालांकि जब बाबूलाल जी ने स्थानीयता की बात छेडी तो उन्हें अयोग्य कारार दे मुख्यमंत्री पद से ही हटा दिया गया था।

अब रही बात दूसरे मुख्यमंत्री गुरुजी की तो कोई भी उनके कार्यकाल पर उंगली नहीं उठा सकता। तीसरे मुख्यमंत्री हेंमत सोरेन के बारे में मीडिया व झारखंडी जनता का कहना है कि झारखंड के अबतक के 19 साल के इतिहास में सबसे प्रभावशाली कार्यकाल एक मुख्यमंत्री के तौर पर इन्हीं की चौदह महीने की सरकार रही है। अब जरा मुख्यमंत्री जी बताएं कि किस आधार पर उनके बयान को अहंकारी भरा बयान न कहते हुए सत्य ठहराया जाए। वैसे भी झारखंड में सबसे अधिक इन्हीं की सरकार रही है फिर ये विकास का ठीकरा दूसरों के मत्थे क्यों मढना चाहते हैं?

मसलन, मुख्यमंत्री जी को दूसरों के कार्यकाल पर उँगलियाँ उठाने से पहले अपने कार्यकाल की समीक्षा करनी नहीं चाहिए! क्यों ये अपने कार्यकाल की सच्चाई को नहीं परखते? इन्हें जनता को बताना चाहिए कि अगर ये झारखंडियो के हितैसी हैं तो क्यों स्कूलें बंद हई? लैंड बैंक की ज़मीनों के तो बंदरबांट हुए, लेकिन फिर भी हाथी क्यों नहीं उड़ा? क्यों सरकार खुद शराब बेचने लगी थी? क्यों पारा शिक्षक समेत तमाम कर्मचारी वर्ग सड़क पर हैं? क्यों सीएनटी/एसपीटी एक्ट से छेड़-छाड़ करने का प्रयास हुआ? क्यों भूमि अधिग्रहण संशोधन बिल पारित हुआ? क्यों झारखंड में मोब-लिंचिंग जैसी घटनाएं? क्यों जंगल से आदिवासियों को खदेड़ने का प्रयास किया गया? क्यों बेटियों के स्मिता से खिलवाड़ हुआ? क्यों झारखंडी जनता भूखों मरे? है कोई जवाब तो दें…!

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