आजसू पार्टी द्वारा NIA जांच की मांग केवल सेंटीमेंट भड़काना है

क्या आजसू पार्टी के सुदेश महतो नहीं पता NIA नहीं बल्कि CBI देश का सर्वोच्च जांच एजेंसी है

पीसी महतो (चक्रधरपुर) की कलम से…

जमात की राजनीति करने का दावा करने वाले आजसू पार्टी के सुप्रीमों सुदेश महतो चुनाव के समय जात की राजनीति में उतर आते हैं। एक जाति विशेष के लोगों का वोट पाने के लिए निर्मल महतो  हत्याकांड की NIA जांच की मांग उठा कर उनके सेंटीमेंट को भड़काते हैं, ताकि उस जाति विशेष का वोट मिल सके। आज इनको सीबीआई ( CBI ) पर भरोसा नहीं है, कल इनको एनआईए ( NIA ) पर भी भरोसा नहीं होगा, फिर कहेंगे कि अमेरिका की एजेंसी एफबीआई (FBI) से जांच कराया जाय।

आजसू पार्टी के लोग निर्मल महतो हत्याकांड में झामुमो के नेताओं को साजिशकर्ता दिखाकर सहानुभूति बटोरने की कुंठित मानसिकता रखते हैं। जबकि सीबीआई  ( CBI ) ने मामले की तह तक जाकर असल दोषियों को सजा दिलाई है।

विदित हो कि निर्मल महतो कुड़मी समुदाय से आते हैं। झारखंड में कुड़मी बहुसंख्यक हैं और कुड़मी समुदाय के लोग झारखंड मुक्ति मोर्चा के परंपरागत समर्थक रहे हैं। सुदेश महतो के दोहरे नीति (सत्ता सुख और सत्ता का विरोध) के वजह से उन्हें कुड़मियों का समर्थन नहीं मिला। जब कुड़मियों को झामुमो से अलग करने में सुदेश महतो कामयाब नहीं हुए तो एनआईए ( NIA ) को हथियार बनाकर कुड़मियों को दिग्भ्रमित करने का प्रयास कर रहे हैं, ताकि कुरमी वोटरों को अपनी ओर खींचा जा सके। सुदेश महतो द्वारा चले गए इस कुत्सित चाल से झारखंड में सामाजिक वैमनस्यता में वृद्धि हुआ है। यहाँ की जो समुदाय सदियों से साथ में रहते आ रहे हैं उनके बीच आजसू पार्टी ने खाई उत्पन्न खोदने का काम किया है। यही खाई झारखंड को लूटने में बाहरियों को ताकत प्रदान कर रही है।

CBI बड़ी है या NIA

इस देश में सीबीआई सर्वोच्च जांच एजेंसी है, और निर्मल महतो हत्याकांड की जांच सीबीआई द्वारा की गई थी। सीबीआई ने दोषियों को सजा दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाई है। एनआईए ( NIA ) जांच की मांग करने वालों को पहले सीबीआई ( CBI ) और एनआईए ( NIA ) की सर्वोच्चता (supremacy) की जानकारी कर लेनी चाहिए। यह पता होना चाहिए कि कौन सी संस्था बड़ी और सर्वोच्च है। क्या कभी ऐसा हुआ है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले को डिस्ट्रिक्ट जज के यहां चैलेंज किया गया हो? ठीक उसी प्रकार सीबीआई ( CBI ) द्वारा जांच किए जाने  के उपरांत एनआईए ( NIA ) जांच का कोई औचित्य बचता है, क्योंकि सीबीआई ( CBI ) एनआईए ( NIA ) से बड़ी संवैधानिक संस्था है। एनआईए ( NIA ) का गठन 2008, मुंबई में हुए आतंकवादी हमलों के बाद 2009 में किया गया था। जिसका उद्देश्य देश में बढ़ते हुए आतंकवादी घटनाओं एवं वामपंथी माओवाद को खत्म करना है। जबकि सीबीआई अंग्रेजों के समय की जांच एजेंसी है।

सुदेश महतो  ने वीर शहीद निर्मल महतो की छवि को धूमिल किया है  

निर्मल महतो जिस कम्युनिटी से संबंध रखते हैं, उस कम्युनिटी के लोगों का मानना है कि सुदेश महतो ने वीर शहीद निर्मल महतो की छवि को संकुचित कर दिया है। निर्मल महतो झारखंड आंदोलन के सर्वमान्य नेता रहे हैं। सभी जाति, वर्ग, संप्रदाय में उनका समान रूप से प्रभाव था, परंतु सुदेश महतो ने निर्मल महतो की छवि सिर्फ कुड़मी नेता के रूप में स्थापित करने का काम किया है। जो उनके पराक्रम को कमत्तर साबित करता है। कुड़मी समुदाय सुदेश महतो के इस करतूत से काफी नाराज  है।

आत्मदाह केवल एक दिखावा।

पार्टी सुप्रीमो की चुप्पी यह साबित करता है कि उनको इस प्रकरण से कोई लेना देना नहीं है। पार्टी में दोयम दर्जा प्राप्त नेताओं द्वारा आत्मदाह करने की चेतावनी सिर्फ एक ढोंग है। आत्मदाह करने के पहले बचाव के उपाय हेतु प्रेस कॉन्फ्रेंस किये जा रहे हैं।

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