सुरक्षा एवं कानून व्यवस्था राज्य में धराशायी

भारत में राज्य सरकार स्वायत्त होते हुए भी केंद्र के अनुशासन में होते हैं। लेकिन राज्य में सुरक्षा एवं कानून व्यवस्था बनाए रखना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। परन्तु पिछले कई दिनों से राज्य में हो रहे अपराधिक गतिविधियों और घटनाक्रमों की निरन्तरता को देखते हुए यह कहना बिल्कुल अनुचित नहीं होगा की रघुबर सरकार राज्य में कानून व्यवस्था कायम रखने में पूरी तरह फिसड्डी हो चुकी है, एक के बाद एक दिए जा रहे अपराधिक घटनाओं के अंजाम राज्य की सुरक्षा एवं कानून व्यवस्था को खुली चुनौती दे रही है।

पिछले महीने सीएम आवास के समीप न्यू पुलिस लाइन के गेट पर एस.पी.ओ को बाइक पर सवार तीन अपराधियों ने गोली मारकर हत्या कर दी। इसकी अभी तक तफ्तीश भी ठीक ढंग से पूरी नहीं हुई है। पुलिस इस मामले में छापेमारी और छानबीन ही कर रही है।

हाल ही में राँची के सबसे व्यस्ततम इलाके सुजाता चौक पर खुलेआम एक प्रतिष्ठित व्यवसायी की गोली मारकर हत्या कर दी गयी। जबकि सुजाता चौक में हमेशा भीड़-भाड़ एवं लोगों की आवाजाही लगी रहती है। घटनास्थल से महज कुछ ही दूरी पर पुलिस चौकी होने के बावजूद पुलिस प्रशासन का मौका-ए-वारदात पर देर से पहुंचना प्रशासन पर सवालिया निशान खड़ी करती है। इसके विरोध में हत्यारों के गिरफ्तारी की मांग को लेकर भारी संख्या में लोग सड़क पर उतर आए, सरकार और प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी, धरना प्रदर्शन भी किया।

अभी तक व्यवसायी की हत्या की गहमागहमी खत्म भी नही हुई थी कि महज दो दिन बाद राजधानी के एक और व्यस्त इलाके में एक गैस एजेंसी में तीन अपराधियों ने पुलिस प्रशासन की सुरक्षा व्यवस्था को धता बताते हुए दिन दहाड़े लूट को अंजाम दे दिया। इन वारदातों ने राँची के लोगों में भय का माहौल बना दिया है। राँची पूरी तरह धराशायी सुरक्षा एवं कानून व्यवस्था के साथ “क्राइम कैपिटल” बनने के कगार पर खड़ी है।

राज्य में चरमराई लचर कानून व्यवस्था और अपराधिक वारदातें भाजपा सरकार का जनता को सुरक्षा की दृष्टिकोण से किए गये वादों की पोल खोलती दिखती है। ऐसा कहना कतई गलत नहीं की रघुबर सरकार का सुरक्षा एवं कानून व्यवस्था के प्रति गैरजिम्मेदाराना रवैया ही अपराधिक गतिविधियों का ज़िम्मेदार है, साथ ही इनको बढ़ावा देने में कहीं न कहीं अग्रिम भूमिका निभा रही है। परिणामस्वरूप अपराधी खुले आम बेखौफ घूमते हैं और आए दिन किसी न किसी घटना को अंजाम देते हैं, उसके बाद जनता को सरकार और प्रशासन द्वारा आश्वासन के अलावा कुछ नही मिलता।

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