डीजल – पेट्रोल की कीमतें थमने का नाम नहीं ले रही

झारखंड सरकार का झारखंडियों के प्रति सौतेला रवैया सिद्ध करता है कि इन्हें झारखंड से कोई लेना-देना नहीं है। यहाँ कि जनता लगातार पेट्रोल डीजल की कीमतों में हुई इज़ाफा से उत्त्पन्न महंगाई से त्रस्त है। झारखंड सरकार किसी भी स्थिति में इनकी सुध लेने के मूड में नहीं दिख रही। एक तरफ सरकार के मंत्री दादा गिरी के साथ कह तो देते हैं कोई भी बस मालिक अपना किराये नहीं बढ़ा सकते। लेकिन जब बात अपने पर आती है तो कहते हैं कि झारखंड के विकास के लिए तेल पर बढ़ी एक्साइज जरूरी है।

इन्हीं लकीरों के बीच झारखंड की स्थिति गंभीर होती चली जा रही है। इस प्रदेश में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी जारी है। मंगलवार 16वें दिन भी पेट्रोल और डीजल के दाम लगातार बढ़े हैं। झारखंड के तमाम जिलों के साथ-साथ राँची में पेट्रोल 10 पैसे और डीजल 09 पैसे और महंगा हो गया है। बढ़ी हुई कीमतों के बाद यहां की जनता पेट्रोल 81.10 रुपये प्रति लीटर जबकि डीजल 78.73 रुपये प्रति लीटर ख़रीद रही है। जबकि कच्चे तेल का भाव मात्र 69.9 डालर है।

ज्ञात हो कि तेल का बाजारीकरण कर दिए जाने से अब सरकार के बजाय तेल कम्पनियाँ इस संदर्भ में मूल्य का निर्धारण करती है।  कंपनियों ने भी साफ कर दिया है कि जब तक कच्चे तेल की कीमतें बढ़ती रहेंगी, उनके लिए पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कमी करना संभव नहीं।

अलबत्ता, पिछले चार साल में भाजपा सरकार ने पेट्रोल और डीजल को दुधारू गाय की तरह दुहा है। जब कच्चे तेल की कीमतों में अत्यधिक गिरी तब भी तेल पर लगातार टैक्स बढ़या जाता रहा। जिसका परिणाम यह हुआ कि चार साल में पेट्रोलियम सेक्टर से सरकार का राजस्व दोगुना हो गया। ऐसा प्रतीत होता है कि केंद्र और राज्य की भाजपा सरकारें पेट्रोल-डीजल को ठीक उसी प्रकार से टैक्स लगाकर भारी कमाई करने का साधन मानती रहीं, जैसा कि शराब में होता है। झारखंड के नेता प्रतिपक्ष को चाहिए कि जनता की स्थिति को देखते हुए चुप ना बैठे। उतरें ज़मीन पर और ताल ठोक कर जनता के साथ खड़े हो जाएँ।

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