रघुवर सरकार ने आदिवासी बच्चों के छात्रवृति रोकी

रघुवर दास जी ने अपने जनसभा कार्यक्रम में बड़ी चालाकी से अपनी नाकामियां छुपाते हुए सभी नाकामियों का ठीकरा दबंगता पूर्वक अधिकारियों के सर फोड़ राज्य की जनता को अपनी सरकार का दामन साफ़ बता दिया है। परन्तु इस प्रकार के कार्यकर्मों का आयोजन कर वे अपना पल्ला झाड़कर यहाँ की जनता के आखों में धूल नहीं झोंक सकते, साथ ही अपनी जिम्मेदारियों से भी नहीं भाग सकते। उन्हें जनता को बताना चाहिए कि राम राज्य लाने वाले वादे के बीच यह सरकार आखिर इतनी फिसड्डी क्यों साबित हुई है।[ads2]

वैसे भी जिस मुख्यमंत्री को अपने राज्य की शिक्षा की बेहतरी स्कूल बंद करने में दिखे उससे और उम्मीद ही क्या किया जा सकता है। जहाँ एक तरफ सरकार स्कूल बंद करने में व्यस्त हैं, वहीँ दूसरी तरफ़ यह सरकार कुछ छात्रों-छात्राओं की छात्रवृति रोक उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है। झारखण्ड मुक्ति मोर्चा की सिल्ली विधायक सीमा देवी ने भी आदिवासी छात्रों की छात्रवृति को बीच में रोक देने के बाबत मुख्यमंत्री जी को पत्र लिखा है?

दरअसल, सिल्ली विधानसभा क्षेत्र के कई आदिवासी छात्र तमिलनाडु के कृष्णगिरी स्थित संत जोसेफ टेक्निकल कॉलेज में शिक्षारत है। ये सभी छात्र राज्य सरकार द्वारा दिए जाने वाली छात्रवृति से अपनी फीस का भुगतान करते आये हैं। अब इन सभी छात्रों की पढाई लगभग पूरी हो चुकी है और इधर राज्य में रघुवर सरकार के कल्याण विभाग ने इन छात्रों का छात्रवृति बंद कर दी है। इन छात्रों की पढाई पूर्ण होने के बाद कॉलेज प्रशासन ने फीस का भुगतान न कर पाने के कारण इनका शैक्षणिक प्रमाण पत्र देने से साफ़ मना कर दिया है। ऐसे हालात में इन गरीब छात्रों का स्थिति सांप-छछूंदर वाली हो गयी है। न कुछ निगलते बन रहा है और ना ही उगलते। इन्हें अपना भविष्य साफ़-साफ़ अधर में लटकता दिख रहा है।

रघुवर सरकार के कल्याण विभाग द्वारा छात्रवृति समाप्त होने वाले छात्रों की उपलब्ध सूची

क्रमांक     नामपताबकाया राशि
1रमेश चन्द्र लोहरासोसो80000.00
2अंकित उरांवगुडीडीह80000.00
3लखीचरण बेदियाअरवाबेड़ा120000.00
4अरुण कुमार बेदियामनसाबेड़ा80000.00
5रामकिष्टो बेदियामनसाबेड़ा80000.00
6शंभु मुंडामुसंगू80000.00
7गुरुचरण बेदियासिताडीह80000.00
8परमेश्वर मुंडागलऊ80000.00
9राजकुमार मुंडामुरुतडीह80000.00
10पंचानन सिंह मुंडासोसो80000.00

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यह सोचनीय है कि रघुवर सरकार का इन आदिवासी बच्चों से क्या दुश्मनी है? क्यों यह सरकार इन गरीब आदिवासी बच्चों के भविष्य के साथ राजनीति कर रही है?

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