BJP मंडल के कब्र पर खड़ा है. मोदी के पीएम बनते ही OBC कार्ड खेला गया. ताकि कमंडल के राख में दबी आग को और 52% आबादी को पार्टी में रोका जा सके. लेकिन, झारखण्ड में OBC के साथ BJP के छल ने उसकी पोल खोल दी.
रांची : बीजेपी का अस्तित्व मंडल के कब्र पर खड़ी है. ज्ञात हो, मोदी जी के प्रधान मंत्री बनते ही संघ व बीजेपी के द्वारा तात्काल OBC कार्ड खेलना शुरू कर दिया गया. ताकि मंडल आन्दोलन के राख में दबी आग को फिर सुलगने से रोका जा सके. और कमंडल विचार के सच के बावजूद देश के इस बहुसंख्यक वोट बैंक को बीजेपी में रोका जा सके. जिसे सामन्तवाद की सत्ता चिर काल तक कायम रह सके. भले देश के तमाम संस्थानों इस OBC की नुमाइंदगी 1% भी न हो.
इसमें मजेदार पहलू तब आया जब विपक्ष को कुचलने जल्दी में बीजेपी ने सभी मोदी सरनेम वाले को OBC सर्टिफिकेट दे दी? इस फेहरिस्त में नीरव मोदी से ललित मोदी जैसे नाम आने से बीजेपी फिर कटघरे में आ खड़ी हुई. और खंडन नहीं होने पर साबित हुआ कि बीजेपी व संघ को देश के लूटेरे, भगौड़े व गद्दारों को अपना शान समझने से गुरेज नहीं. ऐसे में यहीं से महत्त्वपूर्ण सवाल खड़ा है कि बीजेपी इन्हें आपना शान समझती है तो फिर झारखण्ड के OBC विकास को अपना अपमान क्यों मानती है.
ज्ञात हो, संविधान के अक्षरों को रौंदते हुए कोलिजियम के आसरे केन्द्रीय सत्ता के द्वारा आनन् फानन में बिना आंकड़े के EWS आरक्षण पारित करया गया. बीजेपी शासित राज्य कर्नाटक में आरक्षण बढोतरी विधेयक पर भी राज्यपाल की मुहर लगी. लेकिन वहीं झारखण्ड में राज्यपाल के द्वारा हेमन्त सरकार द्वारा पारित आरक्षण बढोतरी विधेयक को बीजेपी के शिष्टमंडल मंडल के मिलने के बाद लौटा दिया गया. और आजसू जैसे समर्थक चुप्पी उसकी भी पोल खोल दी है. ऐसे में OBC वर्ग स्पष्ट तौर पर बीजेपी के छल को समझ गई है.