झारखण्ड में स्थानीय नीति, नियोजन नीति, OBC आरक्षण, सरना धर्म कोड, चार बड़े व महत्वपूर्ण मुद्दे. और बीजेपी व उसके सहयोगी आजसू ने चारों मुद्दों के साथ राज्य के साथ किया छल.
रांची : सीएम हेमन्त सोरेन के नेतृव में सरकार ने स्थानीय नीति, नियोजन नीति, ओबीसी आरक्षण, सरना धर्म कोड, चारों बड़े व महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपने मजबूत कदम बढाए.
1. 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति का विधेयक सदन से पारित किया. राजभवन को भेजा. राज्यपाल ने वापस कर दिया. जबकि सरकार ने इसे केंद्र को भेजकर 9 वीं अनुसूची में शामिल करने की माँग की थी. यह नहीं हो पाया. भाजपा ने चालाकी से लटका दिया.
2. नियोजन नीति – नियोजन नीति सरकार ने बनायी. भाजपा ने कोर्ट में चैलेंज कर दिया. कोर्ट ने असंवैधानिक करार दिया. यहाँ भी भाजपा ने सरकार को फँसा दिया.
3. ओबीसी आरक्षण – झारखण्ड में ओबीसी को 14 प्रतिशत आरक्षण है. इसे 27 प्रतिशत करने का विधेयक सदन से पारित कर राज्यपाल को भेजा गया. राज्यपाल ने विधेयक लौटा दिया. भाजपा ने यहाँ भी होशियारी कर दी.
4. सरना धर्म कोड – इस विधेयक को सदन से पारित कर राजभवन भेजा गया. इसे भी केंद्र को 9 वीं अनुसूची में शामिल करने का आग्रह किया गया. फिलहाल विधेयक केंद्र के पास लटका है. यहाँ भी भाजपा ने लटका कर रखा है.
गहनता से गौर करें तो हेमन्त सरकार का प्रयास दिखाई पड़ता है. लेकिन हेमन्त सोरेन को भाजपा द्वारा कन्द्रीय शक्तियों व कोलिजियम साठ-गांठ की चालाकी और होशियारी में फँसाने का प्रयास लगातार होता रहा है. इन चारों मुद्दों पर हेमन्त सरकार ने पहल की. लेकिन पेंच फँसा दिया गया.
अब ऐसे में क्या होना चाहिए ?
भाजपा को इन मामलों में वाक ओवर मिल जा रहा है. उसकी होशियारी और चालाकी छुप जा रही है. आंदोलन हेमन्त सरकार के खिलाफ हो रहा है. यह ठीक है मुखिया हेमन्त हैं तो सवाल किससे करें? लेकिन भाजपा की इस होशियारी पर भी तो सवाल होना चाहिए. यदि भाजपा झारखण्ड व झारखण्डियों का हित चाहती है तो इन जन मुद्दों पर सरकार का साथ जरुर देती. लेकिन भाजपा बार – बार ऐसी होशियारी कर रही है जिससे हेमन्त सरकार की किरकिरी हो.
भाजपा के पास तीन हथियार है. केंद्र, राज्यपाल और न्यायालय जाने का रास्ता. भाजपा की अब तक के इस रवैये से ऐसा लगता है कि हेमन्त सरकार कुछ भी करे. भाजपा किसी भी परिस्थिति में खिलाफ ही जाएगी.
इसका क्या परिणाम होगा?
भाजपा की राजनीतिक पकड़ राज्य में और कमजोर होगी. पता नहीं कौन भाजपा को यह सब सलाह दे रहा है? यह हाल रहा तो भाजपा को झारखण्ड में बहुत दिक्कत होगी. आंदोलनरत नौजवानों को इन मसलों के विधिक पहलुओं, गतिविधियों, भाजपा की चालाकी पर भी गौर करना होगा. भाजपा के लिए सीधा वाक ओवर न्यायसंगत नहीं है.