देश में बना हर नया राज्य बीजेपी को पनपने का मौक़ा दिया. इसमें OBC समाज ने उसका भरभूर साथ दिया. लेकिन, बीजेपी राजनीति ने उस नए राज्य का दोहन उसी OBC के सपनों को रौंद कर किया. झारखण्ड प्रत्यक्ष उदाहरण.
राँची : देश में बना हर नया राज्य बीजेपी राजनीति को पनपने का मौक़ा दिया है. और इसमें OBC समाज ने उसका भरभूर साथ दिया है. लेकिन, बीजेपी राजनीति न केवल उस नए राज्य का दोहन वहां के मूलवासियों की अधिकार लूट कर की, OBC समाज के सपनों को बेदर्दी से रौंद कर वादा खिलाफी के रूप में किया. जिसके अक्स में फैयदा केवल समन्तियो व बाहरियों मिला. वर्तमान में इस तथ्य का स्पष्ट उदाहरण झारखण्ड में देखा जा सकता है.
झारखण्ड का 20 वर्षों के इतिहास ओबीसी वर्ग की त्रासदी के रूप में कटु सत्य आज सामने है. हेमन्त सरकार में कल्याण में ठोस पहल हुई. OBC अधिकार सुनिश्चित करने के लिए 11 नवंबर 2022 को कुल 77% SC, ST, OBC आरक्षण विधेयक विधानसभा से पारित कर 9वीं अनुसूची में भेजा गया. ज्ञात हो, इस विधेयक को बीजेपी शासित राज्य कर्नाटक सरकार के द्वारा भी पारित किया गया, जिस पर केन्द्रीय मुहर मिली. लेकिन झारखण्ड के OBC विधेयक को लौटा दिया गया.
लेकिन, राज्य की जनता ने खुशी के पल में बीजेपी का सर्वदलीय शिष्टमंडल से दूरी, उसके सहयोगी आजसू के गोल-मटोल रवैया व बीजेपी के मुखौटों की मंशा व छल को वक़्त रहते पहचान लिया. युवाओं ने विपक्ष को नियुक्ति में रोड़े के रूप में चिन्हित किया. ऐसे में विपक्ष, उसके भक्तों व विभिषनों पर उसकी चाल पूरी तरह से उल्टी पड़ी. नतीजतन, वह बौखलाहट में गोदी मिडिया के दौर में इक्की – दुकी टिमटिमाते लोकतांत्रिक मिडिया पर अपना बौखलाहट निकालते देखे जा रहे हैं.