CM के शिक्षित झारखण्ड के परिकल्पना में ज़िम्मेदार समाज की आवश्यकता

झारखण्ड : सीएम हेमन्त सोरेन के शिक्षित झारखण्ड की परिकल्पना की डगर कठिन. सीएम के उत्कृष्ट इंग्लिश मीडियम स्कूल का प्रबंधन समाज के जिम्मेदार प्रयास के बिना संभव नहीं. समाज को तय करना है क्या उसे बौधिक रूप से विकसित बच्चे चाहिए?

रांची : सीएम हेमन्त सोरेन का शिक्षित झारखण्ड की परिकल्पना कोई नहीं. यह दादा सोबरन से पिता शिबू सोरेन से झामुमो पार्टी से होते हुए उनके डीएनए में आया है. शायद यही वहज है कि झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के नेता-कार्यकर्ता शिक्षा से प्रेम करते हैं. झारखण्ड संघर्ष यात्रा के दौरान चायबासा के हाट-बाजार में, पार्टी कार्यकर्ताओं व कार्यकारी अध्यक्ष हेमन्त सोरेन के बीच शिक्षा पर हो रहे गंभीर चर्चा में उत्कृष्ट विद्यालय की समझ उभरी थी. जो अब धरातल पर आकार ले चुका है. 

CM के शिक्षित झारखण्ड के परिकल्पना में ज़िम्मेदार समाज की आवश्यकता

हालांकि, तारीख बदला है लेकिन परिस्थितियां नहीं. सीएम के दादा शिक्षा देने के इलज़ाम में शहीद हुए. दिशोम गुरु शिबू सोरेन शिक्षित झारखण्ड का सपना लिए ही अलग झारखण्ड का आन्दोलन किए. हर पीढ़ी को वैसे ही सामन्ती शोषण की चुनौतियों से गुजरना पड़ा जैसे सीएम सोरेन को गुजना पड़ रहा है. ज्ञात हो, सामन्ती राजनीति ने सीएम के इसी प्रयास को रोकने हेतु तमाम हथकंडे अपना रहे हैं. लेकिन आखिरकार चुनौतियों को पार करते हुए सीएम ने राज्य को उत्कृष्ट विद्यालय दे ही दिया. 

उत्कृष्ट विद्यालय मूलवासी समाज का वह सपना है जिसके आसरे वह खुद को कर सकता है परिभाषित

यह उत्कृष्ट विद्यालय झारखण्ड के मूलवासी समाज का वह सपना है जिसके आसरे वह देश-दुनिया के समक्ष खुद को नए सिरे से परिभाषित कर अपना विकास कर सकता है. और झारखण्ड को एक गर्व करने लायक राज्य बना सकता है. लेकिन, यह भी सच है कि प्रबन्धन की परिभाषा समाज के अनुकूल ही होता है. समाज को ही इन स्कूलों का प्रबंधन करना है. और शिक्षक-बच्चे सभी समाज से ही आते हैं. 

ऐसे में झारखण्ड व देश को सर्वोपरि मान समाज को प्रबंधन में ईमानदार व जिम्मेदार भूमिका नभाना ही होगा. उसे भ्रम से बाहर निकते हुए शिक्षा रूपी यथार्त का सिरा पकड़ गंभीरता के साथ न केवल कदम बढ़ाना होगा, वर्ग के रूढ़ीवादी समझ को पीछे छोड़ इस नए बदलाव के साथ एका बना अपने बच्चों व पढ़ी को शिक्षित करना ही होगा. ताकि सीएम समाज हित में बिना रुकावट ऐसे ही निर्भीक फैसले लेते रहे. अन्यथा झारखण्ड के सारे सपने धरे के धरे रह सकते हैं.

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