BJP शासन में समन जैसे आखिरी सच के मायने 

बीजेपी शासन में समन का आखिर सच गैर बीजेपी नेताओं के असरदार छवि को भ्रष्टाचार के कृत्रिम मुद्दा के अक्स में धूमिल करना, उसके द्वारा हो रहे जन कार्य को रोकने के प्रयास भर प्रतीत होता है.

रांची : देश में हालिया दिनों में देखा गया है कि जब बीजेपी सरकार गैर बीजेपी दलों के नेताओं को, खरीदने में, अपनी विचारधारा में बदलने में, आईटी सेल जैसे तमाम प्रक्रिया के बावजूद परास्त करने में विफल होती है. तो अचानक भारत सरकार के संस्थान उन नेताओं को समन भेजती है. और बीजेपी के विरोधी नेताओं को कई-कई दिनों तक परेशान करती हैं. इस तथ्य का स्पष्ट उदाहरण राहुल गांधी, सोनिया गांधी जैसे नेता है. 

BJP शासन में समन जैसे आखिरी सच के मायने 

तमाम प्रक्रिया के बीच गंभीर सवाल हो सकता है कि आखिर ये नेता भ्रष्टाचारी हैं तो इनकी गिरफ़्तारी क्यों नहीं होती है? इन तमाम प्रक्रियाओं का एक मात्र लक्ष्य मामलूम पड़ता है कि गैर बीजेपी नेताओं की असरदार छवि को धूमिल करने का प्रयास भर है. साथ ही मनुवाद एजेंडे से विपरीत जन कार्य कर रहा नेताओं के पग रोक कर लूट तंत्र को संरक्षण देने का प्रयास भर प्रतीत हुआ है. 

इसके अलावा, देश भर के राज्यों में नकारे जा चुके बीजेपी नेताओं और आईटी सेल को जनता के बीच वापसी करने का जुगत भर होता है. ये तमाम प्रक्रिया जनमुद्दों से दूर हो चुके बीजेपी नेताओं को आईटी सेल के माध्यम से भ्रष्टाचार के आलोक में कृत्रिम मुद्दा परोसने का प्रयास होता है. साथ ही केन्द्रीय सत्ता की विफआलता से देश भर में हो रहे किरकिरी को थामने का सुनियोजित प्रयास मालूम पड़ता है.  

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