केंद्रीय गृहमंत्री के साथ झारखण्ड के दो अहम मुद्दों पर होगी चर्चा – केंद्र की मंशा की होगी परख 

26 सितंबर, मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन समेत सर्व दलों का 10 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल की मुलाक़ात कल भारत के केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह होगी. मुलाकात में झारखंड के दो अहम मुद्दे, जातीय जनगणना और सरना धर्मकोड पर चर्चा होनी है. हालांकि, भाजपा का अबतक झारखण्ड के ज्वलंत मूल मुद्दों पर आधारित इस सर्वदलीय बैठक में शामिल होने की सूचना नहीं है.

रांची : ज्ञात हो, झारखंड सरकार संवैधानिक नियमों के अंतर्गत केंद्र को अभिभावक मानती आयी है. लेकिन, विडंबना है कि केंद्र के मंशा से ऐसा प्रतीत नहीं होता कि वह भी ऐसी ही भावना रखता है. कई मामलों में देखा गया है कि केंद्र सरकार द्वारा झारखण्ड राज्य को परेशान किया गया है. स्वयं मुख्यमन्त्री हेमन्त सोरेन ने कई बार अलग-अलग मंचों से इस मुद्दे को उठाया है. बावजूद इसके भारत की संघीय व्यवस्था पर राज्य सरकार की आस्था कायम होना, लोकतंत्र के लिए सुखद खबर हो सकती है. और इसी मंशा के तहत झारखंड के मुख्यमंत्री केंद्र के समक्ष अपनी समस्याएं निरंतर रखते आए हैं.

झारखंड के दो ज्वलंत मूल मुद्दों पर केंद्रीय गृहमंत्री साथ झारखण्ड में जातीय जनगणना के चर्चा का सर्वाधिक असर ओबीसी समुदाय के भविष्य पर पड़ेगा

राजनीतिक पहलु से इतर, कल नया दिन होगा, और झारखंड के दो ज्वलंत मूल मुद्दों पर केंद्रीय गृहमंत्री के साथ महत्वपूर्ण चर्चा होनी है. ज्ञात हो, झारखंड में जातीय जनगणना के फैसले का सवाधिक असर ओबीसी समुदाय के भविष्य पर पड़ेगा. क्योंकि अलग झारखंड के 20 वर्षों के इतिहास में यह वर्ग हाशिये पर रही है. यहीं वह वर्ग है जिसे पूर्व की 14 वर्षों के भाजपा सरकार में सर्वाधिक छला गया है. चूँकि झारखंड में ओबीसी वर्ग का जुड़ाव भाजपा से अधिक है, भाजपा इस कडवे सच को सिरे से खारिज करती आयी है. मसलन, आज केन्द्रीय गृहमन्त्री, भाजपा सत्ता के पास अवसर है साबित करना चाहिए कि उसका ओबीसी के प्रति मंशा नेक है.

झारखंड में सरना आदिवासी/धर्मकोड का मामला आदिवासी सामाज/वर्ग के अस्तित्व से जुड़ा है. हालांकि भाजपा-संघ की विचारधारा इतिहास के अक्षरों को ख़ारिज कर इस वर्ग को हिन्दू धर्म से जोड़ने का अथक प्रयास करती दिखी है. ऐसे में सरना आदिवासी/धर्मकोड के मामले में केन्द्रीय गृहमंत्री के फैसले को लेकर झारखण्ड के आदिवासी समुदाय में उत्सुकता है. ऐसे में यह महत्वपूर्ण मुलाकात झारखंड की राजनीति को नयी दिशा देने वाली साबित होगी. 

जातीय जनगणना झारखण्ड के लिए तो सरना/आदिवासी धर्मकोड आदिवासी समुदाय के लिए महत्वपूर्ण 

मसलन, जातीय जनगणना का मुद्दा झारखंड के सभी वर्गों के कल्याण से संबंधित है. तो दूसरा मुद्दा झारखंड के आदिवासी समुदाय की बरसों पुरानी मांग से जुडा़ है. ऐसे में झारखंडी मानसिकता का मानना है कि चर्चा में उनके हक के मद्देनजर स्वस्थ फैसला हो. जिससे उनके विकास का मार्ग प्रशस्त हो सके. और भाजपा को अपनी विचारधारा से परे जाकर झारखंड के पक्ष में फैसले लेना चाहिए.

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