केंद्र का डर दिखाकर अफसरों को धमकाना विपक्ष के तौर पर बीजेपी नेताओं की गलत परम्परा की शुरूआत

बीजेपी नेताओं के इस लिस्ट में दो पूर्व मुख्यमंत्री और एक सांसद शामिल. गृह मंत्रालय के मौन रहने से साफ है कि इन्हें केंद्र सरकार का प्राप्त है सर्मथन. बनती जा रही है बीजेपी नेताओं की आदत

रांची. सत्ता से बेदखल होने के बाद खाली बैठे प्रदेश बीजेपी नेताओं द्वारा झारखंड में एक नयी परम्परा की शुरूआत हुई है. जो न केवल लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए बल्कि झारखंड के विकास के लिए भी खतरनाक हैं. और बीजेपी नेताओं ने इसे अपनी आदत बना लिया है. “विपक्ष में रहकर अफसरों को केन्द्रीय सत्ता व यह बताकर डराना, कि उनकी सत्ता आएगी तो ऐसे अफसरों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी, भले ही ऐसे अफसर रिटायर ही क्यों न हो जाए”. ऐसी परम्परा की शुरूआत राज्य व देश के लोकतंत्र के लिए घातक है.

दिलचस्प यह है कि इस परम्परा कि शुरुआत किसी और ने नहीं बल्कि बीजेपी से मुख्यमंत्री रह चुके दो नेता और एक वर्तमान सांसद द्वारा किया गया है. ऐसे नेताओं में राज्य के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी, पूर्व सीएम रघुवर दास और गोड्डा सांसद निशिकांत दूबे शामिल हैं. ताजा मामला हेमंत सरकार को गिराने को लेकर कथित तौर पर रची गयी साजिश से सम्बंधित है. जिसमें बाबूलाल मरांडी ने अफसरों को हड़काया है. रविवार को उन्होंने अपने बयान में साफ़ तौर पर कहा कि अगर झारखंड के कुछ पुलिस वाले सोच रहे हैं कि ये सरकार स्थाई रहेगी, तो वो गलत हैं.

सरकार आने के बाद ऐसे अफसरों पर कार्रवाई करने की धमकी, लोकतांत्रिक व्यवस्था पर हमला है 

बीजेपी नेताओं द्वारा इस तरह की बयानबाजी की शुरूआत करना लोकतंत्र के लिए घातक है. लोकतांत्रिक व्यवस्था में जनता विचारधारा व पार्टियों के नीतियों के आधार पर सरकारें बदलती रहती हैं. लेकिन बीजेपी नेताओं द्वारा भविष्य में अपनी सरकार आने के बाद अफसरों पर कार्रवाई करने की बात कहना लोकतांत्रिक व्यवस्था पर हमला करने जैसा हैं. ऐसा नहीं है कि इसकी जानकारी केंद्रीय गृह मंत्रालय को नहीं है. पर, पूरे मामले में उसका मौन धारण करना. जाहिर करता है कि बीजेपी नेताओं को इस मामले में केंद्र का समर्थन हासिल हैं. 

दिल्ली पोस्टिंग और ‘कोबरा’ शब्द का इस्तेमाल से अफसरों को डरा रहे निशिकांत

बीजेपी नेताओं में सबसे पहले ऐसे परम्परा की शुरूआत गोड़्डा सांसद निशिकांत दूबे ने की थी. पश्चिम बंगाल चुनाव के बाद राज्य के तत्कालीन मुख्य सचिव अलापन बंद्योपाध्याय को केंद्र सरकार द्वारा दिल्ली बुलाने के निर्देश के बाद निशिकांत ने झारखंड के अफसरों को धमकी दे दी. निशिकांत दुबे ने ट्वीट कर कहा- “मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के इशारे पर नाचने वाले अधिकारियों अलटा जी, पलटा जी, भजन जी, अच्छा जी, कच्चा जी, ईजी, ऊजी सबके लिए सबक. कानून के अनुसार चलिये, कानून सम्मत काम करिये, नहीं हो दिल्ली पोस्टिंग का इंतजार कीजिये.” उन्होंने यह ट्वीट करते हुए झारखंड पुलिस को भी टैग किया है. बीते दिनों निशिकांत ने राज्य के पूर्व डीजीपी तक को ‘कोबरा’ शब्द से संबोधित कर दिया. 

रघुवर कह रहे, बचने की उम्मीद छोड दें अफसर

पूर्व सीएम रघुवर दास भी इस फेहरिस्त में पीछे नहीं हैं. उन्होंने भी अफसरों पर धमकाने वाली टिप्पणी की है. 2016 के राज्यसभा चुनाव में हॉर्स ट्रेडिंग मामले में पीसी एक्ट के तहत मामला चलाये जाने से नाराज पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने भी अधिकारियों को कहा, किसी को यह भूलना नहीं चाहिए कि यहां कुछ भी शाश्वत नहीं है.” जो अधिकारी यह सोच रहे हैं कि अभी गंदगी फैला लेंगे और 2024 तक रिटारमेंट के बाद आराम की जिंदगी बसर करेंगे, तो यह उनकी भूल है. सभी की जिम्मेदारी तय की जाएगी. बचने की उम्मीद छोड़ दें.

रिटायरमेंट के बाद भी अफसर को देख लेने की धमकी दे रहे बाबूलाल

ताजा उदाहरण के तौर पर हेमंत सरकार को कथित तौर पर गिराने को की गयी साजिश की जांच कर रहे पुलिसकर्मियों को अब बाबूलाल मरांडी ने धमकाया हैं. उन्होंने कहा है कि झारखंड पुलिस अगर ऐसा सोच रही है कि वर्तमान सरकार स्थायी है, तो यह पुलिस की गलतफहमी हैं. जब भी सरकार बदलेगी, ऐसे पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कड़ी जांच कर कार्रवाई की जाएगी, भले ही मामले में संलिप्त पुलिसकर्मी रिटायर ही क्यों ना हो जाएं. मसलन, बाबूलाल मरांडी का मुख्यमंत्री बनने का सपना जब भी चूर होता है वह ऐसे ही बौखलाहट भरे बयान देते हैं.

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