मुख्यमन्त्री हेमन्त सोरेन का पंचायतों का डिजिटलाइजेशन का आधुनिक व दूरदर्शी विजन, झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों का करेगा सशक्तिकरण. झारखण्ड में लाएगी सूचना क्रान्ति…
रांची : झारखण्ड राज्य में पंचायतों का डिजिटलाइजेशन (डिजीटलीकरण) तेजी से हो रहा है. सभी पंचायतों में युद्ध स्तर पर ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाई जा रही है. काम पूरा होते ही पंचायतों को हाई स्पीड इंटरनेट की सुविधा मिल सकेगी. डिजिटलीकरण के माध्यम से झारखंड झटके में देश दुनिया से जुड़ जायेगा. मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की यह आधुनिक सोच न केवल राज्य को नया रूप देगा, झारखण्ड में क्रान्ति ला देगा. डिजिटलाइजेशन से राज्य की हर जानकारी व रिकॉर्ड इलेक्ट्रानिक मोड में रखा जा सकेगा. जिससे प्रशासनिक कार्य में तेजी भी आएगी और पारदर्शी भी होगा.
राज्य के पंचायतों में नागरिक आय, जाति, आवासीय जैसे प्रमाण पत्र आसानी से बना सकेंगे. इसके अलावा पैन, आधार कार्ड, राशन कार्ड बनवाना भी सुलभ हो जायेगा. डिजिटल डेटा से कागजी कार्य, समय व मानव मेहनत की बचत होगी. गांव में डिजिटलीकरण बदलाव लाएगा और झारखण्ड में गांव और शहर तकनीकी रूप से एक होंगे. गाँव में रहकर नागरिक शिक्षित व जागरूक हो सकेंगे. युवा तकनीकी तौर स्किल्ड व हर क्षेत्र में दक्ष हो सकेंगे. जिससे वह देश-दुनिया के कंधे से कंधे मिलाकर चलेंगे. अपना भविष्य संवारेंगे और झारखण्ड के विकास-पहिए को भी गति देंगे.
4253 पंचायतों का डिजिटलाइजेशन दिसंबर तक हो जायेगा पूरा
मुख्यमन्त्री – शहरी क्षेत्रों के साथ ग्रामीण क्षेत्रों का विकास भी जरूरी है. झारखंड की ज्यादातर आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में ही रहती है. ऐसे में मुख्यमंत्री का पंचायतों को हाई स्पीड इन्टरनेट से जोड़ने की कवायद, राज्य के सशक्तिकरण की दिशा में उठाया गया ठोस कदम है. पंचायतों में यह सुविधा होने से ग्रामीणों को शहरों का रुख नहीं करना पड़ेगा. आज देश-दुनिया में युवा हाई स्पीड इन्टरनेट के माध्यम से ब्लोगिंग, e-कॉमर्स जैसे प्लेटफॉर्म के माध्यम स्वरोजगार कर रहे है. ऐसे में पंचायतों में यह सुविधा होने से नागरिकों को भटकना नहीं पड़ेगा. खबर है कि हेमंत सरकार रोजगार के सन्दर्भ में युवाओं को सस्ती इन्टरनेट सेवा भी मुहैया करा सकती है
हालांकि, झारखंड में यह कार्य भाजपा की डबल इंजन की सरकार, केंद्र की डिजिटल इण्डिया कार्यक्रम का फायदा उठा वृहद् रूप में कर सकती थी. लेकिन उस लोटा-पानी सरकार में नीयत की कमी रही. उसके सौतेले व्यवहार के अक्स तले 21वीं सदी में भी झारखण्ड के गाँव डिजिटल दुनिया से अछूते रहे. अम्बानी के जिओ के कैनवास ने भाजपा सरकार की प्राथमिकता सिर्फ शहर व पूंजीपति वर्ग को रिझाने के प्रयास भर ही रही. मसलन, झारखंडी मानसिकता की सत्ता में बदलाव की परिसीमा साफ़ नजर आने लगी है. जिसकी धुरी केवल झारखण्ड व झारखंडियों का विकास है.