झारखण्ड : मनरेगा से रोजगार के नये अवसर हुए सृजित – 489.82 लाख मानव दिवस का सृजन

कोरोना महामारी की चुनौतियों के बीच मनरेगा झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों के श्रमिकों के लिए सहारा बनकर उभरा है. उद्योग-धंधे ठप होने की स्थिति में मनरेगा से रोजगार ने राज्य में गरीबों के रोजी-रोटी के मद्देनजर अहम भूमिका अदा की है…

  • ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़े मनरेगा से रोजगार के अवसर
  • 2021-22 में अब तक 489.82 लाख मानव दिवस का सृजन
  • ग्रामीण क्षेत्रों में विकास देखने को मिल रहा है 

रांची : हेमन्त सरकार में झारखण्ड में मनरेगा से रोजगार के नये अवसर सृजित हुए हैं. कोरोना की चुनौतियों के बीच मनरेगा ग्रामीण क्षेत्रों के श्रमिकों के लिए सहारा बनकर उभरा है. वित्तीय वर्ष 2020-21 में 1176.1 लाख मानव दिवस का सृजन हुआ था. जबकि वर्तमान वित्तीय वर्ष 2021-22 में अब तक 489.82 लाख मानव दिवस का सृजन हो चुका है. कोरोना के दौर में जब सभी उद्योग-धंधे ठप रहे, तब विपरीत परिस्थितियों में ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा के तहत श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध हुए. 

ज्ञात हो, हेमन्त सरकार में मनरेगा मजदूरी दर भी 194 रुपये से बढ़कर 225 रुपये प्रतिदिन हुआ. मौजूदा दौर में श्रमिकों को बढ़ी हुई दर के आधार पर पारिश्रमिक का भुगतान हो रहा है. मनरेगा की योजनाएं सुचारू रूप से चले, ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत हो, विकास कार्य को गति मिले और श्रमिकों को रोजगार मिले, इसके लिए राज्य सरकार लगातार प्रयासरत है. 

योजनाओं को लेकर खासा ध्यान 

झारखण्ड में मनरेगा में बेहतर काम हो रहा है. 2018-19 में 536.59 लाख मानव दिवस का सृजन हुआ था. 2019-20 में यह बढ़कर 641.95 लाख मानव दिवस हुआ. 2020-21 में 1176.1 लाख मानव दिवस का सृजन हुआ, जबकि 2021-22 में अभी तक 489.82 लाख मानव दिवस का सृजन हो चुका है. वर्तमान वित्तीय वर्ष में यह आंकड़ा और बढ़ेगा. सरकार का मनरेगा की योजनाओं पर खासा ध्यान है. राज्य में कई जिले हैं, जहां मनरेगा की प्रगति काफी अच्छी है. इनमें सबसे ऊपर गिरिडीह जिला है. इसके बाद गढ़वा, देवघर, पलामू, दुमका, जामताड़ा, हजारीबाग, चतरा का स्थान है. 

ग्रामीण क्षेत्रों में विकास को मिला बढ़ावा 

मनरेगा के जरिये जहां श्रमिकों को रोजगार मिला है, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में विकास भी देखने को मिला है. मनरेगा के तहत कई तरह की योजनाएं चल रही हैं. इन योजनाअं में नीलांबर-पीतांबर जल समृद्धि योजना, पोटो हो खेल योजना और बिरसा हरित ग्राम योजना शामिल है. इससे श्रमिकों को काम मिल रहा है. नीलांबर-पीतांबर जल समृद्धि योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में चेकडैम, ट्रेंच कम बंड (टीसीबी) आदि का बड़ी संख्या में निर्माण किया गया है. इससे बारिश के पानी को रोकने में सहायता मिली है. बंजर व टांड़ भूमि में भी अब पानी को रोका जा रहा है. इससे खेती में सहायता मिली है.  

पोटो हो खेल योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में खेल के मैदान विकसित किए जा रहे हैं. इनमें भी श्रमिकों को रोजगार मिल रहा है. साथ ही खेल के प्रति लोगों में रुचि भी विकसित हो रही है. बिरसा हरित ग्राम योजना के तहत राज्यभर में पांच करोड़ पौधारोपण करने का लक्ष्य है. इन कामों को मनरेगा के तहत संपन्न कराया जा रहा है. सरकार का प्रयास है कि ज्यादा से ज्यादा श्रमिकों को रोजगार मिले और विकास कार्य में भी गति आये. सरकार ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने का जो लक्ष्य निर्धारित किया है उसमें मनरेगा की भी अहम भूमिका है.

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