वन क्षेत्रों विस्तार व जीवनदायनी नदियों को पुनर्जीवित हेतु हेमंत सरकार ने उठाया बड़ा कदम
झारखंड के वन क्षेत्रों की संभावनाएं देखते हुए सरकार ने रोजगार को मोड़ा पर्यटन की ओर
एयरकण्डीशनर 50 डिग्री गर्मी के बाद काम करना बन्द कर देते हैं। चिड़ियाँ 52 डिग्री तापमान में मर जाती है। इंसान का ख़ून 55 डिग्री तापमान होने पर उबल जाता है वह मर जाता है। बेतहाशा जंगलों की कटाई के कारण दुनिया भर में गर्मी बढ़ती जा रही है। मौजूदा दौर में सरकार के मुख्य कार्यों में से एक जंगलों कटाई पर रोक लगाना है। होना भी चाहिए क्योंकि पर्यावरण असंतुलन के कारण अभी भी हम कोरोना जैसे संकट से जूझ रहे हैं। लेकिन, विडंबना है कि न केन्द्र की भाजपा सत्ता और झारखंड की पूर्व रघुवर सत्ता ने अपने चहेते पूँजीपतियों की मुनाफ़े की हवस बुझाने के लिए इस ओर कभी ध्यान नहीं दिया।
लेकिन, झारखंड की वर्तामान हेमंत सरकार वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन को लेकर न केवल संजीदा हैं बल्कि ठोस कदम भी उठा रही हैं। चूँकि झारखंडी संस्कृति से तालुख रखने वाले स्वतः प्राकृतिक प्रेमी होते हैं, शायद यही वजह है कि वर्तमान हेमंत सरकार की कार्यशैली में इसकी छवि देखने को मिलती है। वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा दिए गए निर्देश इसी ओर इशारा करते हैं।
पेड़ कटाव रोकने ले लिए कड़े कदम उठाए जाए
मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन ने वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की समीक्षा बैठक में अधिकारियों को निर्देशित किया कि चूँकि झारखंड खनिज बाहुल्य क्षेत्र है, इसलिए इस राज्य में हमेशा ही खनन की कीमत वन कटाई से चुकानी पड़ी है। राजधानी रांची समेत तमाम शहरी क्षेत्रों में मध्यम आकार के पौधों को लगाने की दिशा में तत्काल कदम उठाये जाएँ। और वनों के संरक्षण और जंगलों के कटाव को रोकने के लिए कड़े कदम उठाये जाए। और चूँकि आज वन क्षेत्रों का अतिक्रमण तेजी से हो रहा है, ऐसे में वन क्षेत्र की जियो मैपिंग कर उसका सीमांकन के साथ घेराबंदी की जाए।
वन क्षेत्रों के विस्तार के लिए वन रोपण को बढ़ावा मिले
मुख्यमंत्री ने कहा कि वन क्षेत्रों के विस्तार के लिए जंगल के साथ गैर वन क्षेत्रों में भी बड़े पैमाने पर पेड़ लगाए जाएं। जहां ओपन जंगल है उसे मॉडरेट जंगल और मॉडरेट वन क्षेत्र को सघन वन क्षेत्र बनाने के लिए कार्य योजना तैयार की जाए। देवघर, पाकुड़, दुमका और धनबाद जैसे जिलों में सघन वन क्षेत्र को बढ़ाने की दिशा में विभाग पहल करें ।
राज्य में नर्सरी की संख्या बढ़ाई जाए
वर्तमान में वन विभाग द्वारा 108 नर्सरियों का संचालन किया जा रहा है। राज्य में नर्सरी की संख्या बढ़ाई जाएगी। प्रखंड स्तर पर कम से कम एक नर्सरी, जिसका आकार 5 एकड़ जमीन में हो, विकसित किया जाएगा। इन नर्सरियों मैं वैसे पौधों की व्यवस्था होगी जो किसानों को फायद पहुंचाएगी। वर्तमान में सरकारी नर्सरियों में 5 रुपए में विभिन्न प्रजातियों के फलदार पौधे उपलब्ध हैं। प्रचार प्रसार कर लोगों की रुझान इस ओर बढाने की दिशा में सरकार कार्य कर रही है।
झारखंड राज्य के वनोपज को भी बढ़ावा देने की पहल
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन चूँकि झारखंडी परिवेश में रचे-बसे है, इसलिए उन्हें भली भांति ज्ञात है कि राज्य के जनजातीय आबादी आज भी वनोपज के जरिए जीविकोपार्जन करती है। अतः वनोपज को बढ़ावा देने की दिशा में सरकार तेजी से कार्य कर रही है। इसके तहत बैर, कुसुम, पलाश जैसे पेड़ लगाए जायेंगे जिससे लाह उत्पादन को बढ़ावा में मदद मिलेगी। साथ ही श्री सोरेन ने इसकी ज़िम्मेदारी महिला समूह को देने का निर्देह दिया है।
झारखंड में पर्यटन क्षेत्र में काफी संभावनाएं
झारखंड के वन क्षेत्रों में पर्यटन की काफी संभावनाएं हैं। ऐसे में संभावना वाले वन क्षेत्रों को पर्यटन के लिए विकसित करने की दिशा में ब्लू प्रिंट तैयार की जा रही है। पर्यटन संभावित क्षेत्रों में स्थानीय युवाओं को गाइड के रूप में प्रशिक्षित किया जाएगा। जिससे झारखंड का एक नया आयाम खुलेगा और रोजगार सृजन को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही सड़कों के किनारे छायादार और फलदार पेड़ लगाने पर भी विशेष जोर दिया जा रहा है। इसके लिए उपयोगी पेड़ों की सूची तैयार की जा रही है।
झारखंडी नदियों को मिलेगा पुनर्जीवन
ज्ञात हो कि पिछली सरकार में झारखंड की नदियों के साथ व्यापक स्तर पर छेड़-छाड़ हुई। दामोदर, स्वर्णरेखा, गरगा, जुमार और कोनार समेत 11 नदियों के उद्गम स्थल से लेकर उसके तटीय इलाकों तक बड़े पैमाने पर अतिक्रमण हुए। वर्तमान सरकार ने राज्य के तमाम जीवनदायनी नदियों के उद्गम स्थल से लेकर उसके तटीय इलाकों तक वृक्षारोपण की योजना तैयार की है। जिससे नदियों में प्रदूषण स्तर में कमी आएगी और मिट्टी कटाव रोका जा सकेगा।
राज्य सरकार के अन्य महत्वपूर्ण कदम
- सभी प्रमंडल में बायोडायवर्सिटी पार्क निर्माण की योजना बनाई गई है। रांची के आसपास के पहाड़ियों का हरियालीकरण किया जाएगा।
- राज्य वन्य प्राणी आश्रयणी और नेशनल पार्क के चारों ओर 9 इको सेंसेटिव जोन बनाने की योजना भी तैयार की गई है।
- स्कूल नर्सरी योजना के तहत हर जिले के एक या दो स्कूलों में 1000 पौधे हर वर्ष लगाने की योजना भी तैयार की गई है।
झारखंड के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 33.82 प्रतिशत वन है। अलग राज्य बनने के बाद 1625 वर्ग किलोमीटर में वनों का विस्तार हुआ है। वन क्षेत्र के अंतर्गत 81.42 प्रतिशत प्रोटेक्टेड फारेस्ट और 18. 58 प्रतिशत में रिज़र्व फारेस्ट है।
- वन विभाग द्वारा वर्ष 2020 -21 में 106 लाख मानव दिवस सृजित किया गया है।
- वर्ष 2020 -21 में 204 लाख पौधे लगाए जाने की दिशा में पहल की जा रही है।
- मुख्यमंत्री जन वन योजना के तहत निजी जमीन पर 75% अनुदान पर फलदार वृक्ष लगाए जाते हैं। इस वित्त वर्ष में अब तक एक हजार एकड़ जमीन में फलदार वृक्ष लगाए जा चुके हैं।