मनरेगा में बढ़ी मजदूरी, रोजगार के अवसरों से मानव दिवस सृजन में भी हुई वृद्धि

10 करोड़ 11 लाख मानव दिवस का सृजन, हेमंत सरकार के फैसले से मनरेगा श्रमिक वर्ग के चेहरे पर आयी मुस्कान

रांची : झारखण्ड सरकार ने मनरेगा मजदूरों की न्यूनतम मानदेय में वृद्धि की है। ज्ञात हो कि केंद्र सरकार की ओर से मनरेगा मजदूरों को 194 रुपये का मानदेय निर्धारित है। झारखण्ड सरकार ने अपने खाते से मानदेय में 31 रुपये की वृद्धि की है। जिससे अब राज्य में मनरेगा मजदूरों को 225 रुपये मजदूरी मिल सकेगी। 

जाहिर है हेमन्त सरकार का यह फैसला जनहित के मद्देनजर मजदूरों के चेहरे पर मुस्कान लानेवाला साबित होगा। मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन शपथ ग्रहण के बाद ही यह साफ हो गया था कि हाशिए पर खड़ी जनता सरकार के प्राथमिकता में है। जिसके दायरे में मजदूर, किसान व गरीबी रेखा के नीचे खड़ा वर्ग हैं। मसलन, मजदूरों के मजदूरी में हुई यह वृद्धि श्रमिक वर्ग का हौसले में वृद्धि करेगी।

सरकार की योजनाओं से जुड़ सकेंगे मजदूर, काम के लिए भटकना नहीं पड़ेगा

ज्ञात हो पिछले एक साल के कार्यकाल में राज्य सरकार मजदूरों के हित में कई योजनाएं संचालित की है, जिससे मजदूरों को बुनियादी स्तर पर फायदा पहुंचा है। इनमें बिरसा हरित ग्राम योजना, पोटो हो खेल योजना, नीलांबर पीतांबर जल समृद्धि योजना प्रमुखता से शामिल हैं। मसलन, तमाम योजनाओं के जरिये अधिक मानव दिवस सृजित होंगे। मनरेगा मजदूरों को अधिक काम मिलेगा और ऐसे में मजदूरी वृद्धि निश्चित रूप से उनके जीवन स्तर में सुधार लाएगा।

  • बिरसा ग्राम हरित योजना के तहत बड़ी संख्या में फलदार वृक्षों को लगाने का लक्ष्य रखा गया है। 
  • पोटो हो खेल योजना के तहत खेल के कई मैदान बनेंगे। जिसके तहत राज्य में खेल का विकास होगा। 
  • नीलांबर पीतांबर जल समृद्धि योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में जल संरक्षण से संबंधित योजनाएं संचालित होंगी। 

अब तक 10 करोड़ 11 लाख मानव दिवस का हो चुका है सृजन

सरकार द्वारा श्रमिकों के उत्थान के लिए किये गए प्रयास अच्छा प्रतिफल देने को तैयार है। राज्य में अब तक 10 करोड़ 11 लाख मानव दिवस का सृजन किया जा चुका है। इनमें से 8.50 करोड़ मानव दिवस का सृजन तो कोरोना काल में ही किया जा चुका था। बता दें कि सरकार ने कोरोना त्रासदी में तकरीबन 8.50 लाख प्रवासी मजदूरों की राज्य वापसी और उन्हें काम मुहैया कर बड़ी उपलब्धि हासिल की है। ऐसे में सरकार के कार्य ने स्वतः जता दिया है कि वह हाशिए के छोर पर पड़ी वर्ग के उत्थान के लिए प्रतिबद्ध है।

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