राज्यहित में न कह कर अगर इसे हेमंत का राजनीतिक माइलेज कहेंगे, तो मध्यप्रदेश पर क्यों खामोश है विपक्ष
देश भर में खनिज संपदा संपन्न राज्य है झारखंड और एमपी, दोनों सीएम चाहते हैं कि संसाधनों पर हो राज्य के युवाओं का अधिकार
हजार हजार तो किन्नरों ने किया
कभी जमीनी रूबरू हो तो, जानें II
उपरोक्त बातें राज्य के युवाओं की स्थिति पर फिट बैठती है। राज्य गठन के लगभग 20 वर्ष होने को है। लेकिन आज भी स्थानीय युवा के सामने रोज़गार सबसे बड़ी चुनौती है। रोज़गार नहीं मिलने पर राज्य से बाहर जाने पर उनकी स्थिति क्या होती है, यह घर लौटे प्रवासी मज़दूरों से दिख गया है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन झारखंडी छात्रों के रोज़गार की चिंता करते हैं। वे न केवल राज्य के खनिज संसाधनों का इस्तेमाल राज्य हित में करना चाहते हैं, बल्कि स्थानीय युवाओं को घर पर रोज़गार देने के पक्षधर है।
पूर्व की सरकारों द्वारा स्थानीय युवा ठगे गए
पूर्व की सरकारों द्वारा रोज़गार पहल की बात करें, तो स्थानीय युवा-युवतियों कितने ठगे गए, यह सभी जानते हैं। कैसे मोमेंटम झारखंड, रोज़गार मेला, 1985 के स्थानीय नीति के नाम पर युवाओं को ठगा गया। हेमंत अपने वादों को पूरा करना चाहते हैं। वे चाहते हैं कि पूर्व की स्थानीय नीति में जो शिल्पियों थी, उसमें संशोधन हो। हेमंत का यह पुरस्कार स्वागत योग्य है।
विपक्ष को लगता है कि हेमंत अपने सब प्रयास का राजनीतिक माइलेज लेना चाहते हैं। तो उनसे यह सवाल पूछना चाहिए कि जब बीजेपी शासित मध्यप्रदेश अपने मूल निवासियों के लिए सरकारी नौकरी आरक्षित कर सकता है, तो झा .खंड क्यों नहीं। सभी जानते हैं कि मुख्यमंत्री ने विधानसभा चुनाव में ही स्थानीय युवाओं के रोज़गार की बात की थी। सत्ता भी उन्हें युवाओं के सहयोग से मिली थी। ऐसे में अगर वे अपने चुनावी वादों को पूरा कर रहे हैं, तो यह सही भी है।
प्रदेश के संसाधनों पर राज्य के युवाओं के पहले हक की बात भी हेमंत करते हैं। मंगलवार को हुई 7 वीं अंडों के खनन में सहायक बैठक। यह निर्णय भी स्वागत योग्य है। मध्यप्रदेश राज्य भी खनिज संपदा है। सीएम शिवराज चौहान ने यह भी कहा कि राज्य के संसाधनों पर पहला हक राज्यवासियों का होगा। कहा जा सकता है कि दूरदर्शी सोच रखने वाले हेमंत को पता है कि झा जैसे खंड जैसे छोटे राज्य के विकास के लिए संघीय अर्थव्यवस्था का राज्यहित में उपयोग जरूरी है।