वीर शहीद निर्मल महतो नाम भाजपा को क्यों खटकता है!

झारखंड राज्य आंदोलन के बड़े सिपाहसालार ‘वीर शहीद निर्मल महतो’ झारखंड के उन अमर विभूतियों में से हैं, जो राज्य के लिए अपनी शहादत दी। ये वही निर्मल दा हैं, जिन्होंने दिशोम गुरु शिबू सोरेन के साथ महाजनी प्रथा के खिलाफ, कंधे से कंधा मिलाकर झारखंड आंदोलन में वो जान फूंकी थी, जिससे पूरा राज्य अलग झारखंड की लड़ाई में एक साथ एक ही ताल पर चल पड़ा था। 

निर्मल दा वह विचार हैं जिससे आज भी पूँजीपति वर्ग घबराते हैं। 

पूंजीपति वर्ग उनके आन्दोलन की गति से इतने घबरा गए कि सन् 1987 में जमशेदपुर के बिष्टुपुर, चमरिया गेस्ट हाउस के पोड़ियों पर गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी। निर्मल दा वह विचार बन गए जिससे आज के पूंजीपति वर्ग भी घबराते हैं। 

आज की पीढ़ी भले ही उन्हें ठीक से न जानती हो, लेकिन आंदोलन के दिनों के उनके मित्र आज भी उन्हें न केवल हृदय से याद करते हैं, बल्कि उनकी ऐतिहासिक कहानी सुनना-सुनाना पसंद करते हैं। और झारखंड के रगों में उन्हें व उनके विचारों को ज़िन्दा रखने की भरपूर कोशिश करते हैं।

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी उनके उन्ही दीवानों में से एक हैं। वह भी उनके विचारों के मुरीद हैं। झारखंड के शहीदों के नाम व उनके विचारों को जीवित रखने के लिए उनकी सरकार पीएमसीएच का नाम बदलकर शहीद निर्मल महतो के नाम पर रख रहे हैं। जाहिर है यह पूँजीपतियों के पोषकों को नहीं सुहायगा। वही हुआ भी धनबाद से बीजेपी सांसद पीएन सिंह और बीजेपी विधायक राज सिन्हा इस अमर विभूति के लिए अपमान जनक टिप्पिणि करने से नहीं चुके। 

नतीजतन, वीर शहीद निर्मल महतो के खिलाफ भाजपा नेताओं के अपमान जनक बयान के खिलाफ झारखंडी चेतनाओं ने मोर्चा खोल दिया है। साथ ही कुर्मी समाज भी आक्रोशित हो उठा है और भाजपा को झारखंडी इतिहास पढने की सलाह दे डाली है। 

मसलन, भाजपा चाहे तो घोड़ा का नाम बदल कर गधा रख सकती है, जिसमे घोड़े वाली कोई बात बेशक न हो, लेकिन वहीँ यदि दूसरे दल गधा का नाम बदल कर घोड़ा रखे तो भाजपा को आपत्ति होती है।   

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