झारखण्ड : हेमन्त सरकार ने “सरकार आपके द्वार” और विधानसभा शीतकालीन सत्र में 1932 आधारित स्थानीय नीति पुनः पारित कर दर्शाया कि वह राज्य के भविष्य संवारने को प्रतिबद्ध.
रांची : झारखण्ड में बीजेपी का डबल इंजन शासन हो. उस सरकार के 5 वर्ष के दिन सामान्य हो. प्राकृतिक मेहर भी राज्य पर हो. फिर भी राज्य में भूख से मौतें हो. मूलवासी भात-भात कह यम के जबड़े में समाये. तो अबोध भी समझ सकता है बीजेपी सरकार की नीतियां मूलवासियों के हक में नहीं बल्कि बाहरियों की मददगार रही थी. और सीएम हेमन्त के ‘सरकार आपके द्वार’ कार्यक्रम का हर वर्ष आवेदनों के रिकॉर्ड टूटने का सच लिए हो, तो राज्य के हुए मूलवासियों के साथ पक्षपात के पराकाष्ठा समझी जा सकती है.
ऐसे में सीएम हेमन्त की उपस्थिति झारखण्ड के आदिवासी-मूलवासियों व युवाओं के भविष्य संवारने का सच लिए हो. सीएम स्वयं कहे कि उनकी सरकार राजधानी से नहीं गांव-मोहल्लों से चल रही है. महाअभियान के माध्यम से हर व्यक्ति के दरवाजे तक योजनाएं पहुंचाने का प्रयास दिखे. वह सरकार सदन में 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति पुनः पारित कर 9वीं अनुसूची में भेजे. और सीएम की मंशा में समाज के अंतिम व्यक्ति तक का सशक्तिकरण का सच उभरे. तो सच समझा जा सकता है.
हर वर्ष चलेगा यह सरकार आपके द्वार अभियान
हेमन्त सरकार में “सरकार आपके द्वार” कार्यक्रम मूलवासियों के हक-अधिकार देने का पहचान लिए हो. सीएम स्वयं कहे कि यह कार्यक्रम प्रति वर्ष आयोजित होगा. यह अभियान अपने पहले वर्ष, 2021 में 30 लाख आवेदन बटोरे, वर्ष 2022 में 50 लाख. और तीसरे वर्ष 55.50 लाख से अधिक आवेदन के रिकॉर्ड स्तर को छुए और 19.20 लाख आवेदनों का निष्पादन शिवरों में हो जाए. तो सीएम हेमन्त की सरकार में जन आकांक्षाओं की पूर्ण होने की तीव्रता समझी जा सकती है.
सरकार आपके द्वार कार्यक्रम के शिविरों में पदाधिकारियों, जन प्रतिनिधियों, नेता, कार्यकर्ताओं और लोगों की उत्साह स्पष्ट दिखे. सीएम मंच से कहे कि अलग राज्य के दो दशकों तक राज्य के लोगों की समस्याओं को प्राथमिकता नहीं मिली. और सीएम जब जन दर्द और बेबसी को शीतकालीन सत्र के समापन अभिभाष्ण में उभारे और विपक्ष का पूरा कुनबा सदन से भाग खड़े हो. और यह सिलसिला हर सत्र का सच हो. तो सीएम का चुनौतियों के बीच राज्य को संवारने का जद्दोजहद समझी जा सकती है.