क्या बीजेपी और उसके सामन्ती नेता-नेत्री झारखण्ड को मुर्ख समझाता है? यदि ऐसा नहीं है तो फिर 1932 के खिलाफ खड़े निशिकांत दुबे के द्वारा भ्रष्टाचार के आरोपी महारानी के आसरे जन समर्थन जुटाने का प्रयास क्यों ?
देवघर : सामन्तवाद के कई मुँह होते हैं. एक का पर्दाफास होता है तो दूसरे मुँह के साथ सामने आ जाता है. जिसके आसरे वह भ्रम फैलाने का प्रयास निरंतर करता दिखता है. ऐसा ही एक नया मुँह झारखण्ड के फर्जी डिग्रीधारी के संसदीय क्षेत्र में बसुंधरा राजे के रूप में दिखा. बीजेपी के फर्जी डिग्रीधारी सांसद झारखण्डवासियों को मुर्ख बनाने के लिए पुराना सामन्ती पैंतरा अजमाते दिखे. लेकिन वह भूल गए कि झारखण्ड अब न समझ नहीं बल्कि सभी सामन्ती पैंतरों को समझता है.
ज्ञात हो, राजस्थान में भ्रष्टाचार की पूरक महारानी से प्रसिद्ध बीजेपी नेत्री बसुंधरा राजे के मुँह से सरकार को भ्रष्टाचारी कहलवाने का प्रयास हुआ. क्या बीजेपी झारखण्ड वासियों को अब भी नसमझ समझता है? क्या झारखण्ड नहीं समझता कि जिसपर 45000 करोड़ के खनन घोटाला का आरोप हो, जो अपने राज्य में हाशिये पर हो, उसे संथाल क्यों बुलाया गया? क्या संताल नहीं समझता कि 1932 के खिलाफ खडा फर्जी डिग्रीधारी बाबा आदिवासियों को महारानी का चेहरा दिखा चुनाव लड़न चाहता है.
झामुमो का पूर्व सीएम वसुंधरा राजे सिंधिया को स्पष्ट जवाब
झारखण्ड में झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के द्वारा राजस्थान के पूर्व सीएम वसुंधरा राजे सिंधिया को खरा जवाब दिया गया है. झामुमो केंद्रीय समिति सदस्य, सुप्रियो भट्टाचार्य ने स्पष्ट कहा है कि विदेश भागने वाले आईपीएल भ्रष्टाचारी ललित मोदी को संरक्षण देने वाली महारानी वसुंधरा राजे सिंधिया के मुंह से देवघर के पवित्र भूमि में भ्रष्टाचार शब्द शोभा नहीं देता है. जो महारानी झारखण्ड की जनता को भ्रष्टाचार का पाठ पढ़ाना चाहती है, उस पर खुद भ्रष्टाचार का आरोप है. और बीजेपी उन्हें सीएम पद का दावेदार तक नहीं मानती.
और वर्तमान में बीजेपी अपने महारानी के नेतृत्व में चुनाव लड़ने के सोच से भी डर रही हो. उसे झारखण्ड बुलाकर जन समर्थन जुटाने प्रयास झारखण्ड बीजेपी का दिवालियापन है. संताल फूलो-झानो की पवित्र भूमि है. यहाँ पूंजीवाद और उपनिवेशवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले लोग वास करते हैं. ऐसे ऐतिहासिक धरती पर सामंतवादी विचारधारा कुछ भी कह चले जाएं, राज्यवासी बर्दास्त नहीं कर सकते. सुप्रियो ने कहा कि मुद्दा विहीन भाजपा का जनसंपर्क अभियान उसके पूर्व शासन की विकलांगता को दर्शाता है.