भास्कर रिपोर्ट – गुजरात में पिछले 14 वर्षों में तक़रीबन 6,000 करोड़ का कोयला घोटाला सामने है. झारखण्ड में जब बीजेपी के कोयला लूट पर लगाम लगा तो बालू के आड़ में आदिवासी सीएम को फांसने का प्रयास.
रांची : देश व राज्यों के आरएसएस के बीजेपी शासन में विचित्र प्रकार के घोटाले सामने आते रहे हैं. व्यापम, लोन के माद्यम से बैंक धन लूट, लैंड बैंक व नीतियों के अक्स में ज़मीन लूट, खनीज संपदा लूट, पीएम केयर फण्ड, सीएसआर फण्ड, इत्यादि फेहरिस्त में शामिल है. तमाम सच के बावजूद केन्द्रीय बीजेपी शासन के द्वारा भारत के जाँच एजेंसियों के माध्यम से गैर भाजपा शासित राज्यों को सबूत के अभाव में परेशान करने का सच देश के सामने है.
भास्कर के रिपोर्ट के अनुसार, गुजरात में पिछले 14 वर्षों में तक़रीबन 6,000 करोड़ रुपए का कोयला घोटाला सामने आया है. और यह गुजरात की बीजेपी सरकार की कई एजेंसियों के मिली बह्गत से हुआ है. ज्ञात हो, जैसे झारखण्ड के अडानी पॉवर प्लांट की बिजली राज्य को नहीं दिया गया ठीक वैसे ही गुजरात के इंडस्ट्रीज को कोयला न देकर दूसरे राज्य के उद्योगों को ज्यादा कीमत पर बेच 5-6 हजार करोड़ रुपए का घोटाला करने का सच सामने आया है.
गुजरात में जिन उद्योगों के नाम पर कोयला निकला उन तक पहुंचा नहीं
ज्ञात हो, कोरोना संकट में मोदी सरकार राज्य सरकारों को अँधेरे में रख कर कोयला खदानों की नीलामी की हडबडी में दिखी. झारखण्ड ने इसका विरोध किया. भास्कर के रिपोर्ट से नीलामी की हडबडी का अंदाजा लगाया जा सकता है. कोल इंडिया की विभिन्न कोयला खदानों से जिन उद्योगों के लिए कोयला निकला उन उद्योगों तक कोयला पहुंचा ही नहीं. जिसका असर उत्पादन पर पड़ा और उद्योगों के हासिये पर जाने का सच आज देश के सामने है.
झारखण्ड में भी पूर्व के बीजेपी शासन में कोयला लूट की यही कहानी रही है. जब हेमन्त शासन में बीजेपी व उसके नेताओं की इस काले खेल पर लगाम लगा तो जाँच एजेंसियों के माध्यम से सीएम हेमन्त को बालू लूट व अन्य फर्जी मामलों में फांसने का प्रयास शुरू हुआ. मसलन, तमाम परिस्थियों के मद्देनजर सीएम हेमन्त का कहना कि केंद्र सरकार को कोयला, लोहा जैसे खनिज को माइनर व बालू को मेजर मिनिरल केटेगरी में डाल देना चाहिए, स्थिति स्पष्ट कर सकती है.
केन्द्रीय शासन के माध्यम से इस काले खेल को दिया गया अंजाम
रिपोर्ट के अनुसार इस घोटाले के माध्यम केंद्र सरकार नीति बनी है. साल 2008 में देशभर की स्मॉल इंडस्ट्रीज को सस्ती दरों पर अच्छी गुणवत्ता वाला कोयला मुहैया कराने वाली जो नीति लागू की गई थी. उसके तहत गुजरात की स्मॉल इंडस्ट्रीज को हर महीने कोल इंडिया कोयला मुहैया कराई जाती थी. लेकिन, गुजरात सरकार के द्वारा नियुक्त फर्जी एजेंसियों के माध्यम से यह घोटाला हुआ है.