हरमू में सरना स्थल। विधानसभा से पहली बार सरना धर्मकोड पास। धुमकुड़िया भवन की नींव रखने से जनजाति समाज की बढ़ी उम्मीदें.
रांची. झारखंड जनजाति बाहुल्य राज्य है. यहां की कुल आबादी में करीब 27-28% हिस्सा आदिवासी समाज का हैं. राज्य गठन के प्रमुख कारणों में से एक यह भी था कि संयुक्त बिहार में इनके विकास, परम्परा व सभ्यता-संस्कृति को बचाने की ठोस पहल नहीं हुई. समाज को आशा था कि झारखंड गठन के बाद इनका विकास होगा. मगर राज्य गठन के 20 वर्ष बाद भी विकास का हर पैमाना यहीं बताता है कि आज भी जनजाति समाज पिछड़ा है. साथ ही इस समाज को विस्थापन का दंश भी झेलना पड़ा है, इनके वनक्षेत्र तक उजाड़ दिए गए.
विडंबना है कि 20 साल के झारखंड के इतिहास में, बतौर मुख्यमंत्री,राज्य की बागडोर 6 लोगों ने संभाली. जिसमे 5 जनजाति समाज से ही रहे. फिर भी समाज का पिछड़ना एक चिंतनीय व गंभीर विषय है. ऐसे में मौजूदा दौर में, आदिवासियत की रक्षा के मद्देनजर मुख्यमंत्री सोरेन के प्रयास समाज के लिए राहत भरी खबर हो सकती है. जहाँ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा कई ठोस व निर्णायक कदम उठाये जा रहे हैं. नतीजतन, समाज की उम्मीदें श्री सोरेन से बढ़ी है. जहाँ समाज को लग रहा है कि हेमंत सरकार में इनका उत्थान होगा.
ऐसा लगना स्वाभाविक भी माना जा सकता है. क्योंकि हेमंत सोरेन के नेतृत्व में पहली बार जनजाति समाज के उत्थान के मद्देनजर ठोस कदम उठाए गए हैं. समाज की सांस्कृतिक, आर्थिक व सामाजिक अस्तित्व को बचाने व विकास की बयार को अंतिम पायदान तक पहुंचाने के लिए गंभीरतम प्रयास हो रहे हैं. हरमू में सरना स्थल. सरना धर्मकोड पारित. राजधानी में केन्द्रीय धुमकुड़िया भवन की नींव समेत कई जिलों में कई ज़मीनी स्तर के काम हो रहे है.
1.47 करोड़ की लागत से बनेगा ‘धुमकुड़िया सामुदायिक‘ भवन, इससे पहले सरना स्थल का भी कर चुके हैं उद्धार
मुख्यमंत्री श्री सोरेन ने जनजाति समाज के हित में ‘धुमकुड़िया सामुदायिक’ भवन जैसे ऐतिहासिक धरोहर का शिलान्यास किया. यह भवन करीब 1.47 करोड़ की लागत से, 2 एकड़ में, राजधानी के करमटोली में एक साल में बनाया जाएगा. समाज के बुद्धिजीवियों ने इसे हेमंत सरकार का एक अनूठा व ऐतिहासिक कदम बताया और ख़ुशी जाहिर की है.
श्री सोरेन ने कहा कि यह प्रयास आने वाली पीढ़ी को सामाजिक संस्कारों से जोड़ने का काम करेगी. जनजाति समुदाय में ‘धुमकुड़िया‘ संस्कारों व रीति रिवाजों को सीखने के लिए उपयोग में लाये जाते रहे हैं. यहां पर चर्चा एवं विचार-विमर्श किए जाते है. ‘धुमकुड़िया‘ की परंपरा और संस्कृति को अक्षुण्ण रखना हम सभी की जिम्मेदारी है. ज्ञात हो, इससे पहले हेमंत सोरेन ने राजधानी रांची के हरमू में एक नींव रखी थी जो आज सरना स्थल के रूप में जाना जाता है.
पहली बार सरना धर्मकोड को विधानसभा से पास कराने की हुई पहल
झारखंड के जनजाति समाज की बरसों से की जाती रही मांग, ‘सरना धर्मकोड’ पर हेमंत सोरेन के प्रयास से ही एक्शन लिया गया. विधानसभा के विशेष सत्र में धर्मकोड को पास कर केंद्र के समक्ष प्रस्तुत किया गया. बता दें कि जनजाति समाज की सभ्यता, संस्कृति और व्यवस्था अन्य वर्ग-समुदायों से अलग है. मसलन, समाज द्वारा जनगणना में अपनी जगह स्थाई करने के लिए वर्षों से मांग की जा रही है. चूँकि अब आदिवासी धर्म कोड की मांग से संबंधित प्रस्ताव केंद्र के पास है. उसकी जिम्मेदारी बनती है वह समाज को इनका हक दें.
ज्ञात हो, झारखंड के इतिहास में पहली बार किसी मुख्यमंत्री द्वारा हार्वर्ड इंडिया से लेकर नीति आयोग गवर्निंग काउंसिंल की बैठक तक में प्रधानमंत्री के समक्ष अलग सरना धर्म कोड की मांग मजबूती से की गयी.
शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और सभ्यता-संस्कृति को लेकर लिये जा रहे है निर्णय.
आदिवासी की सभ्यता-संस्कृति को बचाने के लिए पहली बार हेमंत सरकार में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिये जा रहे हैं. इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, आजीविका व कौशल विकास के लिए कुछ महत्वपूर्ण फैसला शामिल हैं.
- विदेशों के प्रतिष्ठित शैक्षिक संस्थान से उच्च शिक्षा लेने के लिए पहली बार जनजाति छात्रों को मौका दिया गया है. श्री सोरेन के प्रयासों से मारंग गोमके जयपाल सिंह मुंडा पारदेशीय छात्रवृत्ति योजना की शुरूआत हुई. जहां हर साल जनजाति समाज के 10 छात्रों को विदेशों में, यूनाइटेड किंगडम ऑफ ग्रेट ब्रिटेन एंड नॉर्थन आयरलैंड में अवस्थित चयनित विश्वविद्यालयों में शिक्षा लेने का मौका मिला है.
- अपने इलाकों में ही जनजाति लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मिल सके, इसके लिए कल्याण अस्पताल, पहाड़िया स्वास्थ्य केंद्र, आयुर्वेदिक चिकित्सा केंद्र का संचालन किया जा रहा है. इसमें पहाड़िया और आयुर्वेदिक चिकित्सा केंद्र से सुदूर इलाकों के लिए आदिवासी समुदाय के लोगों को बुनियादी सुविधा उपलब्ध करायी जा रही है.
- जनजाति संस्कृति-सभ्यता को बचाने के लिए मांझी-मानकी हाउस, धुमकुड़िया भवन का निर्माण जिलों के चयनित स्थानों पर किया जाना है. इसकी शुरूआत राजधानी से हुई है. भगवान बिरसा मुंडा से जुड़ी ऐतिहासिक स्थल सेंट्रल जेल म्यूजियम को संरक्षित किया जा रहा है.
- जनजाति लोगों की जीविका सुचारू रूप से चलती रहे, इसके लिए राज्य में मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना की शुरूआत हुई है. योजना से जनजाति समाज के कुल 20,000 लाभुकों को पशुपालन के लिए आर्थिक मदद मिल सकेगी.