जान की परवाह न कर मुख्यमंत्री जायजा लेने को घूम रहे हैं शहर, बीजेपी नेता घर बैठे रच रहे हैं षड़यंत्र

जान की परवाह किये बगैर मुख्यमंत्री स्थिति का जायजा लेने को घूम रहे हैं शहर, जबकि बीजेपी नेता घर बैठे रच रहे हैं सरकार को बदनाम का षड्यंत्र 

सीमित संसाधनों के बीच, कोरोना महामारी में जीवन रक्षा मद्देनजर  बेहतर काम करने को प्रयासरत है मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन 

रांची। कोरोना संक्रमण से होने वाली मौतों के मद्देनजर, झारखंड में हेमंत सरकार द्वारा घोषित स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह का पालन यदि मजबूती से हो. सीमित संसाधनों के बीच उस मुख्यमंत्री के प्रयास एक बार फिर जनता को बेहतर इलाज व सुविधाएं उपलब्ध करा रहे हों, बल्कि जान का प्रवाह न कर वह मुख्यमंत्री स्थिति का जायजा लेने को स्वयं लगातार शहर भ्रमण करने से न चूके. और हर स्तर पर हर वह कार्य करे जिसे महामारी में जनता को राहत मिल सके. तो मुख्यमंत्री देश भर में एक अच्छे मुखिया के उदाहरण हो सकते हैं. लेकिन सवाल यह नहीं है, लोग तो हेमंत के कार्यप्रणाली से वाक़िफ़ हैं. बल्कि घर बैठे जब बीजेपी नेता त्रासदी में उस मुख्यमंत्री को बदनाम करने का षड्यंत्र रचने से न चुके तो जन रक्षा के अक्स में राज्य में बड़ा सवाल जरुर हो सकता है. 

शहर की स्थिति आम जनता के लिए कैसी है, जान्ने के लिए शहर भ्रमण था जरूरी

ज्ञात हो, राज्य में कोरोना संक्रमण को ढलान में धकेलने में सुरक्षा सप्ताह के कारगर साबित होने के मद्देनजर, झारखंड सरकार ने इसे आगामी 13 मई तक बढ़ाने का फैसला लिया है। दरअसल, आंकड़ों से परे मुख्यमंत्री यह फैसला लेने से पूर्व स्वयं शहर की स्थिति का जायजा लेना चाहते थे. मसलन, उन्होंने शहर भ्रमण किया आपदा को देखते हुए फसला लिए. हालांकि, ऐसा करना उनके लिए जानलेवा हो सकता था, लेकिन मुख्यमंत्री जनता के जीवन को संकट में डालने से पहले खुद को संकट में डालना बेहतर समझा. जो एक अच्छे मुखिया कि निशानी का उदाहरण हो सकता है. ज्ञात हो कि मुख्यमंत्री के पुत्र कोरोना संक्रमित हो चुके हैं. इसलिए उन्हें जनता के दुखों का भान है.

बीजेपी मानसिकता बाज न आते हुए राज्य को मदद पहुंचाने के बाजाय लगातार रच रहे हैं सरकार को बदनाम करने की साजिश

सीएम के निर्णय को झारखंडी जनता ने खुले मन से समर्थन किया है. जो विचारधारा के मातहत भाजपा पच नहीं रहा. ज्ञात हो कि संक्रमण के रोकथाम के लिए मुख्यमंत्री ने शुरुआत में ही सर्वदलीय बैठक बुलाई थी। बैठक में उपस्थित बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने राजनीति से परे राज्य को हर संभव मदद देने का आश्वासन दिया था. जरुरत पड़ने पर केंद्र से भी बात करने का भरोसा दिलाया गया गया था. लेकिन, महज दो दिन बाद ही बीजेपी नेता का बयान आना कि झारखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था भगवान भरोसे है. भाजपा के लिए राजनीति हो सकती है लेकिन ऐसे बयान जनता की हिम्मत तोड़ने के लिए काफी हो सकती थी. और युद्ध के मैदान में ऐसा करना देशद्रोह के बराबर होता है.

पूरे देश को आईसीयू में डालने वाली मानसिकता उस झारखंड में कहे स्वास्थ्य व्यवस्था भगवान भरोसे है. तो उस मानसिकता की नीचता का यह पराकाष्ठा ही हो सकता है. क्योंकि कोरोना काल से पहले की सत्ता तो उसी भाजपा की थी. तो फिर सस्ती लोकप्रियता बटोरने के बजाय उस मानसिकता को बताना चाहिए कि आखिर झारखंड की स्थिति ऐसी क्यों है? और केंद्र झारखंड के साथ क्यों सौतेला व्यवहार करता रहा है? क्या संक्रमण भाजपा नेता कार्यकर्ताओं बक्श दे रहा है. यदि वह गन्दी राजनीति के बजाय सरकार की ईमानदारी से मदद करती. तो शायद भाजपा नेता लक्ष्मण गिलुआ आज हमारे बीच होते. मसलन, हेमंत सत्ता का बिना केंद्र के समक्ष गिडगिडाए आत्मनिर्भर हो जनता के लिए कार्य करना भाजपा को पच नहीं रहा है.

केंद्र ने आखिर नहीं भेजा 17000 ऑक्सीजन सिलेंडर, अगर भेजता तो झारखंड सरकार का कद बड़ा होता – जो भाजपा के लिए आपाच्य था  

ऑक्सीजन होते हुए भी देश में लोगों की जान जाए यह मुख्यमंत्री नहीं चाहते. जीवन रक्षा के मद्देनज, मुख्यमंत्री ने संघीय व्यवस्था के मातहत केंद्र सरकार से 17,000 ऑक्सीजन सिलेंडरों का सहयोग मांगा। चूँकि, इससे हेमंत सरकार का कद देश भर में बड़ा हो जाता, मदद देना केन्द्रीय सत्ता ने उचित नहीं समझा. मुख्यमंत्री कुछ बोल पाते, षड़यंत्र के तहत बीजेपी नेता द्वारा पहले ही हेमंत सरकार की कार्यशैली को ले कर भ्रमित करने वाले बयान आने लगे. मसलन, केंद्र तो आपदा से निपटने में पूरी तरह विफल है ही. राज्य एक दूसरे का मदद करना चाहते हैं तो उसे संसाधन मुहैया कराने के बजाय अपने आईटी सेल के माध्यम से राज्यों को बदनाम करने से नहीं चूक रही भाजपा.

रेमडिसिवर इंजेक्शन पर भी राजनीति व षड्यंत्र करने से बाज नहीं आयी बीजेपी

इनकी गन्दी मानसिकता की फेहरिस्त लम्बी है, ग्यात हो बांग्लादेश से रेमडेसिवीर इंजेक्शन खरीदने को लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने केंद्रीय मंत्री को पत्र लिखा था. यह भी भाजपा नेताओं को नहीं पचा. शायद यही वजह रही कि बीजेपी नेताओं को बयान देने में 14 दिन लग गए कि बांग्लादेश की किसी कंपनी ने झारखंड या किसी अन्य राज्य को इंजेक्शन देने के लिए केंद्र को कोई भी आवेदन नहीं दिया है। मसलन, भाजपा-संघ किसी भी हाल में नहीं चाहता कि झारखंडी जनता को आसानी से रेमडेसिवीर इंजेक्शन मिले. वह चाहता है कि कुछ और लोग मरे. तभी तो हेमंत सरकार केंद्र के समक्ष गिडगिडाएगी. क्योंकि उस मानसिकता को पता है कि हेमंत जनता को दुखी नहीं देख सकते.

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