झामुमो विधायक ने पिछली सरकार को आइना दिखाते हुए उठाये जन मुद्दे

झामुमो विधायक सुदिव्य कुमार सोनू ने पिछली सरकार को आइना दिखाते हुए उठाये जन मुद्दे

लोकतंत्र का नया सच कुछ इसी परिभाषा में परिभाषित होनी चाहिए, जहाँ लोकतंत्र के पारंपरिक खम्भों का एहसास जनता के चुने हुए नुमाइंदे कराये कि सरकार के नजर में सबका हक बराबर का है। हर कोई बराबर का नागरिक है, क्योंकि सभी का मत बराबर का होता है। झामुमो के गिरिडीह विधायक श्री सुदिव्य कुमार सोनू ने कुछ इसी अंदाज़ में पिछली सरकार को आइना दिखाते हुए झारखण्ड की स्थिति को सदन में पेश किया। प्रस्तुत है उसके मुख्य अंश। विस्तार के लिए वीडियो लिंक में देख सकते हैं।

  • झारखण्ड में मनरेगा की स्थिति देश भर में बदतर है, न्यूनतम मजदूरी अन्य राज्यों से काफी कम है, उन्हें सम्मान पूर्वक मजदूरी दिलाने के प्रयास किय जाएँ।
  • श्वेतपत्र  यह दर्शाता है कि पिछली सरकार ने 33179 करोड़ की राशि केवल 8 विभागों में खर्च की, नतीजतन आवास योजना के वाल डब्बा बन कर रह गया। हेमंत सरकार ने 50 हज़ार अतिरिक्त राशि का प्रावधान कर केंद्र सरकार की विफलता को ढकने का काम किया है।
  • झारखण्ड का बजट पूर्णतयः झारखंडियों के हितों पर केन्द्रित बजट है, इसके लिए मुख्यमंत्री जी को आभार।
  • अबतक झारखण्ड में शासन व ठेकेदारों का गठजोड़ रहा है, उनके सर पर किसके हाथ थे इसका जांच कर खुलासा हो।
  • अनुबंधकर्मी वित्त वर्ष बदलते ही खुद को लाचार न महसूस करे इसके लिए ठोस कदम उठाया जाए।
  • सड़क निर्माण की गुणवत्ता की जांच केवल एक जिला नहीं बल्कि राज्य स्तर पर हो।
  • पिछली सरकार में साई मंदिर निर्माण में भी घोटाले हुए,  इसकी भी जांच हो। 
  • पूर्वर्ती सरकार के बाधाओं को हटाते हुए गरीब जनता तक योजनाओं को पहुंचाया जाए। 

मसलन,  किसी चुने हुए नुमाइंदे का मतलब कहीं ना कहीं बहुसंख्य लोगों से जुडे सवालों को उठाना होता है। लेकिन नयी परिस्थितियों ने उन नुमाइंदो का कारपोरेट पूँजी के गठजोड़ ने व्यवसायिकरण कर दिया है। इसमें आम जनता की आवाज़ गुम हो कर रह गयी है। जिससे वह खुद सदन में जनता के आईने के रूप में नहीं रख पाते, जिसका ख़ामियाज़ा आम जनता को भुगतना पड़ता है। लेकिन इसी बीच कोई नेता जब इस प्रकार जनता के दुखती राग को सदन में पेश करता है तो असल में वह लोकतंत्र के संभावनाओं को फिर से जागृत कर रहा होता है।

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