जेपी पटेल ने अपने पिता स्व. टेकलाल महतो से किया वादा तोड़ दिया  

स्व. टेकलाल महतो के छठी पुण्यतिथि पर बनासो के महतो बीएड कॉलेज में स्थापित उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित करते हुए उन्हीं के विधायक पुत्र जेपी पटेल ने कहा था, “अपने पिता के अधूरे सपने को किसी हाल में पुरा करेंगे और क्षेत्र के विकास के लिए लगातार संघर्ष करते रहेंगे”। साथ ही यह भी कहा था कि वे पिता के विचारधारा पर  चलते हुए आम लोगों की सेवा हमेशा करते रहेंगे।

पर भाग्य को कुछ और ही मंजूर था, जिस दुर्भाग्य ने झारखण्ड को आन्दोलन काल से ही अपना ग्रास बनाती रही वही परिस्थिति फिर सामने आ खड़ा हुआ है। जेपी पटेल लोभवश में पड़कर एनडीए से हाथ मिलाते हुए अपने पिता से किया वादा ऐसे वक़्त में तोड़ दिया, जब झारखंड अराजकता, बेरोज़गारी आदि जैसी भंवर में फंसा है और झारखंड को इस मझधार से निकलने के लिए स्व. टेकलाल महतो जैसी महापुरुषों के विचारधारा की सबसे अधिक ज़रूरत है। निश्चित रूप से आज उस महापुरुष की आत्मा आज अपने पुत्र के निर्णय को देख कोस रही होगी।

स्व. टेकलाल महतो एक प्रखर नेता होने के साथ उन चुनिंदा विधायकों में शामिल थे जिन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली सरकार से खुली बगावत की थी | महतो ने अलग झारखण्ड के लिए आंदोलन में भूमिका निभाई थी और दिशोम गुरु शिबू सोरेन के संघर्ष काल के साथियों  में से एक थे और ताउम्र झारखंड मुक्ति मोर्चा दल के नेता के में जाने जाते रहे हैं।

ऐसा वक्त झारखंड मुक्ति मोर्चा ने पहले भी  1983, जनवरी में हुए महाधिवेशन के बाद देखा था जब विरोधी इस दल को दो खेमों में बांटने में सफल हो गए थे। और स्व. टेकलाल महतो दुसरे गुट में भले ही चले गए थे पर कभी भी अपनी विचारधारा नहीं बदले। बहरहाल,  इस दल के विचारधारा में वह ताक़त थी जिसके दम पर शिवा महतो के  प्रयासों से ये फिर एक हो गए और हमारी पीढ़ी को झारखंड सौगात के रूप में दिए।

मसलन हर मंच से अपने पिता को याद कर रहे जय प्रकाश पटेल यह भूल कर रहे हैं कि टेकलाल महतो का नाम लेकर वह उनके समर्थकों को भाजपा-आजसू को वोट देने के लिए मना लेंगे। टेकलाल महतो एक जीवंत विचारधारा हैं और उन्हें माननेवाले उसी विचारधारा के पौधे हैं। उनके विचार-पुत्र कभी भी उन्हें धोखा नहीं देंगे चाहे उन्हें बरगलाने वाला उनका पुत्र ही क्यों न हो।

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