देखना है जोर कितना बाजुए रघुवर में है : विपक्षी एकता

आज 16 जुलाई दिन सोमवार, झारखण्ड के विधानसभा में मानसून सत्र रिमझिम बारिश के बीच शुरू  हुआ। नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन एवं तमाम विपक्षी विधायकों ने भूमि अधिग्रहण संशोधन कानून पर चर्चा करने की मांग की जिसे नकार दिया गया। हो हल्ले के बीच विधान सभा सत्र स्थगित कर दिया गया। इससे पहले की झारखण्ड में 16 जुलाई को सफल हुए महाधरना का हाल सुनाऊ। बता दूं कि विधानसभाध्यक्ष सत्र की शुरुआत करने से पूर्व सत्तादल एवं तमाम विपक्ष के साथ बैठक आहूत कर इस बात पर चर्चा करते हैं कि कैसे सदन गंभीरतापूर्वक चले सके। जिसमे इस बार इक्की-दुक्की को छोड़ तमाम विपक्ष ने भागेदारी नहीं निभाना चाही।

दरअसल सच्चाई यह है कि विपक्ष को लगने लगा है कि स्पीकर सदन को ठीक से नहीं चलाते साथ ही उनका झुकाव सत्तापक्ष की ओर अधिक होता है। पूर्व में कई मामलों में उनकी कार्यवाही संदिग्ध रही है। नेता प्रतिपक्ष हेमन्त सोरेन पहले भी स्पीकर पर गंभीर आरोप लगा चुके हैं। विधायकों के दल-बदल का मामला करीब तीन वर्षों से अधिक अवधि से चल रहा है लेकिन विधानसभाध्यक्ष महोदय हल निकालने में असमर्थ साबित हुए हैं। इसका फायदा सीधे तौर पर सत्ता दल उठा रहे हैं, और वे तो चाहते ही हैं कि यह मामला ऐसे ही लटका रहे। इन्हीं कारणों से विपक्ष ने स्पीकर द्वारा आयोजित कार्यक्रम से दूरी बनायी रखी।

भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक को निरस्त करने की मांग के साथ झारखण्ड प्रदेश के संपूर्ण विपक्ष ने 16 जुलाई को राजभवन के समक्ष महाधरना बुलाकर रघुवर सरकार पर जमकर हमला बोल दिया। साथ ही इस क़ानून के प्रति अपने तेवर कड़े कर लिए है। जैसे-जैसे दिन बीतता गया राज भवन के समक्ष जनसैलाब उमड़ता गया। स्थिति यह हो गई कि लोकसभा सदस्य, विधायक एवं दिग्गज नेताओं तक को बैठने की जगह नहीं मिली। अंततः जो जहाँ थे वे वहीँ मजबूरन जमीन पर बैठ गए। यहाँ तक कि नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन का अधिकतर वक़्त उस उमड़े जनसैलाब को व्यवस्थित करने में ही गुजरा। आज लोगों के बीच हेमंत सोरेन जी की चिरपरिचित लोकप्रियता देखने लायक थी। लोग बेसब्री से उनकी तस्वीर और वह लम्हे को अपने कैमरे में कैद कर ले जाना चाह रहे थे। पत्रकारों तक को जगह नहीं मिल पा रही थी उन्हें भी बैठ जाना पड़ा। अपने नेता के लिए ऐसी पागलपंथी बहुत कम देखने को मिलती है। पूरे दिन बारिश होती रही पर लोग इससे बेपरवाह तबतक डटे रहे जबतक हेमंत सोरेन का भाषण ना हो गया। पूरी रांची की यातायात व्यवस्था लगभग थम गयी और सभी गाड़ियाँ रेंगती देखी गयी।

तमाम विपक्षी दल के नेता, लोकसभा सदस्य, विधायक, समाजसेवी आदि उपस्थित थे, केवल बाबूलाल मरांडी किसी कारण बस उपस्थित ना हो सके। सभी विपक्षी दल के शीर्ष नेताओं ने भूमि संशोधन विधेयक के खिलाफ अपनी आवाज को और बुलंद किया। तथा साथ ही वहां मौजूद जन सैलाब को इस काले क़ानून के बारे में विस्तार से समझाने का प्रयास किया। वाकई विपक्ष का कार्यक्रम यह दर्शाता है कि वे जन भावना के अनुरूप भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक को बिलकूल हलके में नहीं ले रहे है। अधिक बयान करने से अच्छा है कि आप खुद ही निचे दिए गए वीडियो लिंक में देख सकते हैं कैसे हज़ारो लोगों का हुजूम सरकार के इस जन-विरोधी काला कानून के विरुद्ध उठ खड़ा हुआ था। हाँ यह तो निश्चित हो गया अब रघुवर सरकार की ख़ैर तो बिलकुल नहीं है। इस भीड़ ने रघुवर के साथ-साथ दिल्ली का भी सिंहासन हिलने पर मजबूर कर दिया। प्रस्तुत है लिंक…

 

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