झारखण्ड का सूरज 3 सालों में ऐसा डूबा, जनता ने देखा न अब तक सवेरा

 

झारखण्ड के लिए इस बार का मानसून बुरी खबर ले कर आया है, जहाँ एक तरफ मुख्यमंत्री रघुवर दास भूमि अधिग्रहण विधेयक पर सदन में चर्चा तक नहीं करना चाह रहे, वहीँ झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के साथ-साथ झारखण्ड के तमाम विपक्षी पार्टियाँ यहाँ की जन भावना के अनुरूप इस काले कानून पर लगातार चर्चा करने को कह रही है लगता है इस वर्ष मानसून भी इस प्रदेश से रूठी हुई है। बरसात के मौसम में अबतक प्रदेश में धान का रोपा शुरू हो जाना चाहिए था लेकिन सही अनुपात में बारिश नहीं होने के कारण यहाँ के खेत अबतक सूखे पड़े है और जबतक खेतों में पानी के जमाव से कीचड नहीं बनेगा तबतक धान की खेती संभव नहीं हो पायेगी। मजेदार बात यह है कि सरकार का ध्यान इस गंभीर परिस्थिति पर होने के बजाय प्रदेश को लगातार धर्मांतरण जैसे मुद्दे को हवा देकर यहाँ की जनता को बांटने एवं भटकाने के प्रयास में रमा हुआ है। ऐसे कई मुद्दे है जिसपर सरकार को घिरने का डर लग रहा है, जैसे की यहाँ की जनता को अब ये आभास होने लगा है कि बिजली के बिल अधिक आने लगा है, उनका यह भी कहना है कि सरकार द्वारा दिया सब्सिडी का प्रलोभन झूठा है, जबकि बिल तो फिर भी उन्हें दोगुनी चुकाना पड़ता है। इन सबसे इतर जो दो प्रमुख खबर प्रदेश के गर्भ से निकल कर आ रही है वह हैं कि रिलायंस फ्रेश से जब्त किए गए अंडे जांच में घटिया और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हुए और दूसरी यह कि हिंदुत्व का राग अलापने वाली सरकार वर्षों से उपयोग हो रही श्मशान घाट को बजबुरन बदल रहे हैं चिल्ड्रेन पार्क में।

दरअसल, साकची स्थित रिलायंस फ्रेश से जब्त किए गए अंडे जांच में घटिया और स्वास्थ्य के लिए अत्याधिक हानिकारक पाए गए। झारखण्ड के फूड लेबोरेटरी का कहना है कि अंडे पुराने होने के वजह से डिकंपोज (सड़) हो गए थे और बदबू भी दे रहे थे। रिपोर्ट के अनुसार अंडे में अमोनिया मिला है। रिपोर्ट में कहा गया कि अंडा नमक युक्त सॉल्यूशन में तैरने लगा, जबकि फ्रेश अंडा तल में बैठ जाता है। अंडे का भीतरी भाग ड्राई मिला, जो नहीं होना चाहिए। अंदर की पीली जर्दी भी खराब पायी गयी। जबकि फ्रेश अंडे में अमोनिया नहीं होता। अंडों की जांच के दो और सैंपल लिए थे जिसकी जांच रिपोर्ट अभी आनी बाकी है। स्वास्थ्य विभाग की प्रधान सचिव ने आनन-फानन में विभिन्न जिलों के मल्टी स्टोरेज मॉल, किराना दुकानों आदि से सैंपल कलेक्ट करने का निर्देश दिया। जबकि खाद्य आपूर्ति मंत्री, सरयू राय का कहना है कि उन्हें अभी रिपोर्ट नहीं मिली है मिलते ही दोषियों पर कार्यवाही जरूर होगी। वे यहाँ के लोगों की सेहत से खिलवाड़ नहीं होने देंगे। चूँकि यह प्रकरण अंबानी से जुड़ा था इसलिए सरकार ने जल्द बाजी कर मामले को निपटाने की दिलचस्पी दिखाई अन्यथा अन्य मामलों की तरह यह भी लटकी रहती।

झारखण्ड के गिरिडीह जिले के भाजपा के निर्वाचित मेयर ने वषों से उपयोग हो रहे श्मशान घाट की ज़मीन को चिल्ड्रेन पार्क में बदलने का जबरन निर्णय ले लिया और इस सन्दर्भ में शीघ्रता दिखाते हुए चिल्ड्रेन पार्क निर्माण की आधारशिला भी रख दी।  साथ ही इस परियोजना की चार दिवारी के लिए ज़मीन की खुदाई भी शुरू कर दी। वहां के स्थानीय लोग इसका विरोध लगातार कर रहे हैं परन्तु नगर निगम प्रशासन पर इसका कोई असर नहीं हो रहा। ग्रामीणों का कहना है कि यह श्मशान घाट है और वे इसका प्रयोग वर्षों से दाहसंस्कार अनुष्ठान संपन्न हेतु करते आ रहे हैं। स्थानीय जनता भाजपा मेयर के इस जनविरोधी कदम का विरोध धरना प्रदर्शन एवं रैलियों के माध्यम से कर रही है। साथ ही वहां की जनता ने 14 जुलाई, शनिवार को उस स्थान पर चिता जलाकर भी किया। उनके इस विरोध प्रदर्शन को कई राजनितिक दल समर्थन भी कर रहे हैं। परन्तु नगर निगम प्रशासन पर कोई इसका असर नहीं हो रहा।

इससे इतर झारखण्ड राज्य की अन्य स्थितियों परअगर गौर करें तो दयनीय मालूम पड़ती है। चारों तरफ का मंजर भयावह है। आज करोड़ों बेरोज़गार युवा काम की तलाश कर रहे, कारखानों में खटने वाले मज़दूर, खेती से उजड़कर शहरों में आने वाले या आत्महत्या करने के लिए मजबूर किसान, और रोज़गार के सपने पाले करोड़ों छात्र लम्बे समय से अपने हालात बदलने का इन्तज़ार कर रहे हैं। आज भारत की 50 फ़ीसदी आबादी 25 साल से कम उम्र की है और देश के श्रम बाजार में हर साल एक करोड़ नये मज़दूरों की बढ़ोत्तरी हो रही है। लेकिन प्रदेश की इस श्रम शक्ति को रघुवर सरकार रोज़गार देने में असमर्थ है जिससे आने वाले समय में बेरोज़गारों की संख्या में गुणात्मक वृद्धि होने वाली है। वैसे भी वर्तमान में प्रदेश के ज़्यादातर मज़दूर ठेके के तहत अनियमित रोज़गार पर बिना किसी संवैधानिक श्रम अधिकार के बदतर परिस्थितियों में काम करके अपने दिन गुज़ार रहे हैं। वे अपने अधिकारों के लिए, यानि रोज़गार और सम्माननीय काम की परिस्थितियों के लिए संगठित होकर सड़कों पर आने लगे हैं। इन परिस्थितियों में जनता को मूल मुद्दों से भटकाने के लिए हिन्दू-मुसलमान के नाम पर, दलित-ब्राह्मण के नाम पर 11 जिला बनाम 13 जिला या धर्मांतरण के नाम पर एक दूसरे के ख़िलाफ़ भड़काकर उन्हें आपस में बाँटने के प्रयास भी सरकार बढाती जा रही है। इस सरकार ने इन तीन वर्षों में इस प्रदेश का सूरज ऐसा डूबाया है कि यहाँ की जनता अबतक सवेरा के लिए तरस गयी है। इसलिए यहाँ की जनता को यह अच्छी तरह से समझ लेना चाहिए कि आपस में लड़ाने वाली हर ताक़त का विरोध करना ज़रूरी है ताकि राज्य की व्यापक आबादी अपनी वास्तविक माँगों के लिए संगठित होकर आगे आ सके, जिससे समाज के हालात में वास्तविक बदलाव आ सके।

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