झारखण्ड : पुरानी पेंशन योजना पुनर्बहाल के नाम पर बीजेपी-आजसू ने राज्यकर्मियों को कई दफा ठगा. लेकिन अंततः उनकी समस्या हल हेमन्त सरकार में हुआ. और उनका बुढ़ापा सुरक्षित हुआ.
रांची : लोकतंत्र में जन नेता को जनता उसके कल्याणकारी फैसले के लिए याद करे, आभार जताए, इससे बड़ी उपलब्धि उसके लिए हो नहीं सकता. ज्ञात हो, झारखण्ड समस्याओं का अंबार का सच लिए प्रदेश है. साथ ही केन्द्रीय शक्तियों का मौजूदा सीएम हेमन्त सोरेन के पैरों को रोकने का भी सच लिए है. जिसके अक्स में समस्या निवारण में विलम्ब होने का सच हो. ऐसे चुनौतियों के बीच भी यदि जनता उस सीएम के ठोस फैसले का आभार एक वर्ष बाद भी जताए तो उसकी संवेदनशीलता और गंभीरता समझी जा सकती है.
ज्ञात हो, हेमन्त सरकार में झारखण्ड में राज्यकर्मियों के लिए पुरानी पेंशन योजना पुनर्बहाल एक वर्ष पूर्व ही कर दिया गया. सीएम हेमन्त का यह फैसला राज्य के कर्मियों के लिए कितनी जरुरी थी इसका आंकलन इससे किया जा सकता है. कि पुरानी पेंशन योजना के पुनर्बहाल होने के एक वर्ष पूर्ण होने पर राज्यकर्मियों के द्वारा एक दुसरे को बधाई देकर खुशियां मनाई जा रही है. और उनके द्वारा झारखण्ड राज्य के सीएम को हेमन्त सोरेन के प्रति आभार व्यक्त किया जा है.
मालूम हो कि देश के सरकारी कर्मियों की भांति झारखण्ड राज्य के राज्यकर्मियों के द्वारा द्वारा पूर्व के बीजेपी शासनों में पुरानी पेंशन योजना के पुनर्बहाल के लिए लंबी लड़ाई लड़ी गयी. कई दफा राज्यकर्मियों को बीजेपी द्वारा भ्रमित कर उनके वोट भी ऐंठे गए. लेकिन, पुरानी पेंशन की समस्या का हल नहीं निकला गया. और उनका बुढ़ापा घोर अन्धकार में जाता रहा. लेकिन सीएम हेमन्त के शासन में ओपीएस पुनर्बहाल हुआ और राज्यकर्मियों की समस्या का निदान हुआ. जिसे उनके बुढ़ापे को ठोस आसरा व सुरक्षा मिली. ऐसे में उनका सीएम का आभार जताना कई मायने में जायज़ है.