झारखण्ड: BJP-AJSU की नीतियाँ बाहरियों को समर्थन करती है. AIMIM केवल एक वर्ग की बात करता है जससे ध्रुवीकरण बढ़ता है. जबकि JMM गठबंधन की नीतियां सर्वजन हितकारी है.
रांची : लोकतान्त्रिक राजनीतिक दल एक ऐसा संगठन होता है जो समाज के हर वर्ग के संवैधानिक अधिकार, मूल समस्या और स्वतंत्रता की सुरक्षा के प्रति जिम्मेदार भाव से कार्य करता है. यह दल केंद्र सरकार की नीतियों को जांच कर समाज में लोक्तान्त्रिक विचारों को प्रसारित करता है. यह दल जनता कर प्रतिनिधित्व कर उनके बीच लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों का पालन कर देश-राज्य के विकास में भूमिका निभाता है. इसका मुख्य उद्देश्य सार्वजनिक हित में प्रणाली को सुधारना होता है.
झामुमो गठबंधन लोकतंत्र के कितने करीब
सीएम हेमन्त सोरेन के नेतृत्व में झारखण्ड मुक्ति मोर्चा गठबन्ध की सरकार का शिक्षा, चिकित्सा, रोजगार सृजन, रिक्त पदों पर नियुक्तियां, महिला सशक्तिकरण, सभी के लिए पेशन, कर्मचारी समस्या निवारण, अनुबंध कर्मियों को रहात, कृषि-कृषक, खेल, औद्योगिकीकरण, पर्यटन व राज्य में सौहार्द-शांति व दबे-कुचले आरक्षित वर्गों के विकास में ठोस पहल केन्द्रीय पक्षपात के बीच करती दिखी है. जो इस दल के लिए लोकतांत्रिक होने का साबुत है.
झारखण्ड पदों एवं सेवाओं की रिक्तियों में आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2022. झारखण्ड स्थानीय व्यक्तियों की परिभाषा और परिणामी सामाजिक सांस्कृतिक और अन्य लाभों को स्थानीय व्यक्तियों तक विस्तारित करने के लिए विधेयक, 2022. झारखण्ड (भीड़ हिंसा एवं भीड़ लिंचिंग निवारण) विधेयक, 2021″. सरना धर्म कोड विधान सभा से पारित कर 9वीं में भेजा. महामहिम राज्यपाल केके द्वारा संदेश संलग्न के बगैर तमाम विधेयकों को लौटाए जाने पर भी इनका प्रयास जारी है.
ज्ञात हो, इस गठबंधन ने विधेयकों के आलोक में, अनुच्छेद-200 के वैधानिक ज़रूरत के तहत राज्यपाल के संदेश संलग्न प्राप्ति के लिए राज्यपाल सचिवालय से विधेयकों को पुनः विधानसभा भेजने का अनुरोध किया है. जिसके अक्स में वह त्रुटियों का निराकरण कर पुनः विधानसभा में विधेयक को पेश करने मंशा जनहित में रखती है. यहीं नहीं वह इस विकट समस्या के मद्देनज़र केन्द्र से संघर्ष की चेतना राज्य की जनता में भर रही है. ताकि राज्य का यह महत्वपूर्ण मुद्दे राष्ट्रीय बने.
बीजेपी-आजसू गठबंधन और AIMIM लोकतंत्र के कितने करीब
राज्य गठन के बाद अधिकांश सत्ता बीजेपी की रही है और आजसू की लगभग सभी सत्ता में भागीदारी रही है. ज्ञात हो, बीजेपी-आजसू गठबंधन की सत्ता में झारखण्ड में न केवल समस्याओं का जंजाल बना, मूलवासी अधिकारों से वंचित किये गए और राज्य में बाहरियों का वर्चस्व बढ़ा. राज के मानव तस्करी जैसे अपराध बड़े और बेटियां न्याय से वंचित रही. साथ ही शिक्षा, चिकित्सा जैसे मूल भूत अधिकार से राज्य वंचित हुआ और राज्य के अनुबध पर नियुक्त बहनों और युवाओं पर पुलिसिया जुल्म और बर्बरता बढ़े. जो इन्हें लोकतांत्रिक दल होने से दूर करती है.
यही नहीं, आजसू के उपस्थिति और मंजूरी में राज्य में 1985 का स्थानीय निति बनाने का प्रयास हुआ. वहीँ AIMIM जैसे दल ने केवल एक वर्ग की ही करती रही. राज्य में मोबलीचिंग विधेयक के पारित होने पर भी AIMIM सुप्रीमों के द्वारा हेमन्त सरकार को प्रोत्साहित ना करना उसके लोकतांत्रिक होने पर सवालिया निशान खड़े होते हैं. साथ ही केवल चुनावों में उसकी उपस्थिति और भाषण का अंदाज सामाजिक ध्रुवीकरण को प्रोत्साहित करता है जो बीजेपी की साम्प्रदायिक राजनीतिक शैली से मेल खाती है और बीजेपी को चुनावों में फायदा पहुँचाती दिखती है.