टपक सिंचाई से कम पानी खपत में होती है खेती, दोगुना मुनाफ़ा कमा रहे झारखण्ड के किसान

झारखण्ड के 9 जिलों के 30 प्रखण्डों में पर्यावरण अनुकूल टपक सिंचाई से सब्जी उत्पादन में किसानों को हो रहा है फायदा. महिला वर्ग भी बन रहीं है सफल किसान…

रांची : अबतक परंपरागत तरीके से खेती करने के तौर पर रांची जाना जाता था. लेकिन ओरमांझी की महिला किसान सुनीता देवी को सिंचाई में वैज्ञानिक तकनीक से बदलाव लाने से उत्पादन में बहुत फ़र्क देखने को मिला. कम पानी की खपत वाली टपक सिंचाई पद्धति से खेती कर दूसरे किसानों के समक्ष मिसाल पेश की है. सुनीता ग्रामीण विकास विभाग अंतर्गत झारखण्ड स्टेट लाईवलीहुड प्रमोशन सोसाईटी के तहत झारखण्ड बागवानी सघनीकरण टपक सिंचाई परियोजना से जुड़कर खेती में अच्छी आमदनी कर रही हैं.

सुनीता कहती हैं, टपक सिंचाई योजना से उनकी जिंदगी में बदलाव आया है. उसके पास सिंचाई के लिए सिर्फ एक कुआँ था, जो अक्सर सूख जाता था. नतीजतन उसकी सिंचाई पूरी तरह मौसमी बारिश पर निर्भर करती थी. लेकिन, सरकारी मदद दे ड्रिप लग जाने के बाद खेती करना उसके लिए आसान हो गया है. अब वह बहुफसली खेती करने सक्षम है. और उसे खेती से सालाना 1.5 लाख तक की आमदनी हो जाती है. जिसे उसका व आस-पास के किसानों का रुझान खेती के तरफ बढ़ गया है. 

कम मेहनत, कम लागत और कम पानी में हो रहा है बढ़िया उत्पादन 

सुनीता के  तरह ही झारखण्ड बागवानी सघनीकरण टपक सिंचाई परियोजना ने राज्य की हजारों महिला किसानों के जीवन में बदलाव की नई कहानी लिखी है. पश्चिमी सिंहभूम के तांतनगर प्रखण्ड के चिरची गांव निवासी संकरी परंपरागत तरीके से खेती कर सालाना 20-25 हज़ार रुपये अर्जित करती थी, अब वह टपक सिंचाई परियोजना से जुड़कर सालाना 80-90 हज़ार रुपये का मुनाफा कमा रही हैं .

कृषि कार्यों से उद्यमी बनते झारखण्ड के कृषक

राज्य के 9 जिलों के 30 प्रखण्ड में इस परियोजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है. अब तक पूरे राज्य में करीब 11800 किसान सूक्ष्म टपक सिंचाई एवं अन्य सुविधाओं को लेकर अच्छे उत्पादन से ज्यादा कमाई कर उद्यमिता के पथ पर हैं. अबतक इस परियोजना से जुड़ने के लिए करीब 23 हजार किसानों का पंजीकरण किया जा चुका है. राज्य सरकार की प्राथमिकताओं में किसानों को सुविधाओं से लैस करना है, ताकि झारखण्ड के कठिन भौगोलिक परिस्थितियों में भी उन्हें सिंचाई में कोई कतिनाई का सामना ना करना पड़े.

ग्यात हो, राज्य के किसानों को टपक सिंचाई के जरिए कम पानी में बेहतर फसल उपजाने के लिए प्रशिक्षण एवं सुविधा मुहैया करायी जा रही है. जिसका उद्देश्य राज्य के कृषकों को स्थायी एवं पर्यावरण अनुकूल कृषि के जरिए सब्जी उत्पादन में बढ़ोतरी दर्ज करवाना है. सरकार अपने उद्देश्य में सफल होती दिख रही है, जिससे हजारों कृषक जो पहले साल में एक फसल पर निर्भर रहते थे, और बाकी माह प्रवासी मजदूर बन दूरे राज्य पलायन करते थे. वह अब साल में तीन-चार फसल उपजाकर राज्य में ही अच्छी कमाई कर रहे हैं.

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