किसानों के मेहनत को बेहतर उत्पाद में बदलने, उनकी क्षमतावर्धन करने, आधुनिक खेती की ओर बढने के लिए झारखण्ड में कृषक पाठशाला की शुरुआत. उन्नत खेती की दिशा में नयी संस्कृति व क्रान्ति लाने हेतु हेमन्त सरकार ने आगे कदम बढ़ाया है.
रांची : एक तरफ राज्य का विपक्ष जनता का ध्यान सम्प्रदायिकता की दिशा में मोड़ने का अथक प्रयास करती दिखती है, तो वहीं राज्य सरकार प्राकृतिक महामारी से जूझते हुए राज्य में उत्पादन बढाने पर ध्यान केन्द्रित करती दिखती है. तमाम परिस्थितियों के बीच भी हेमन्त सरकार राज्य के नीव को मजबूत करने की दिशा में बढ़ चली है. जिसके अक्स में हेमंत सरकार द्वारा वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए कृषि क्षेत्र में फसल उत्पादन को बढ़ाने के लिए, उन्नत कृषि प्रौद्योगिकी प्रदर्शित करने के लिए, बिरसा विकास योजना के अन्तर्गत कृषक पाठशाला एवं बिरसा ग्राम को विकसित करने की योजना पर कार्य शुरू दिया गया है.
कृषि क्षेत्र में कृषक पाठशाला की आवश्यकता क्यों? और इसके उद्देश्य
ज्ञात हो, झारखण्ड में 75% आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है जिनकी जीविका मुख्यतः खेती पर निर्भर है. जाहिर है ऐसे में झारखण्ड की जीविका का मुख्य आधार कृषि एवं कृषिसंबद्ध गतिविधियां है. कृषि एवं कृषिसंबद्ध के दायरे में फसल उत्पादन, पशु पालन, मत्स्य पालन आदि शामिल है. इसमें फसल उत्पादन 54.20% के साथ प्रमुख उपक्षेत्र है. राज्य की अर्थव्यवस्था में रोजगार व आजीविका सृजन में कृषि की हिस्सेदारी अधिक है. इसी ताक़त को गति दे और मजबूत करना हेमन्त सरकार की प्रमुख प्राथमिकता है. मसलन, सरकार किसानों की मेहनत को तकनीकी शिक्षा से दक्ष कर उन्नत खेती की दिशा में नयी संस्कृति व क्रान्ति लाने के लिए आगे कदम बढ़ा है.
कृषक पाठशाला के माध्यम से कृषि, पशुपालन एवं मत्स्य पालन आदि में कृषकों की क्षमता विकास व प्रत्यक्षण पर वैज्ञानिक तरीके से प्रशिक्षित करने की कार्ययोजना तैयार किया गया है. कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग तथा सरकार के अन्य विभागों के तालमेल से यह लक्ष्य तय किया गया है. उसमें मलचिंग तकनीक द्वारा बिरसा गांव में क्लस्टर आधारित सिंचाई सुविधा विकसित करना, फॉरवर्ड लिंकेज सेवा के माध्यम से लाभुक कृषकों को आर्थिक सुदृढ करना है. साथ ही फसल की कटनी के बाद की आधारभूत संरचना उपलब्ध कराना है, जिससे उत्पाद सुरक्षित रहे. कृषकों को कृषि से सम्बंधित सरकारी विभागों की योजनाओं से जागरूक करना भी शामिल है.
बिरसा विकास योजना के मॉडल में सरकार की योजना
समेकित बिरसा विकास योजना के मॉडल के पहले चरण में 17 कृषक पाठशाला राज्य के विभिन्न कृषि प्रक्षेत्रों में विकसित किया जाएगा. फिर अगले तीन वर्षों में चरणबद्ध तरीके से 100 कृषक पाठशाला विकसित की जाएगी. प्रत्येक कृषक पाठशाला में 3 से 5 बिरसा गांव को क्लस्टर एप्रोच के अन्तर्गत आच्छादित किया जाएगा. कृषक पाठशाला में बिरसा गांव के 50-100 (प्रति गांव) किसानों की क्षमता विकसित करने हेतु प्रशिक्षण व टिकाऊ खेती के बारे में वैज्ञानिक रूप से प्रशिक्षित किया जाएगा.
साथ ही किसानों के उत्पाद को कृषक पाठशाला के माध्यम से सप्लाई चेन, कस्टम हयरिंग सेंटर एवं मार्केट लिंकेज की सुविधा उपलब्ध करायी जाएगी. इसके लिए सरकार द्वारा संचालित सभी योजनाओं का अभिषरण भी किया जाएगा. क्लस्टर आधारित मलचिंग सुविधा, ड्रीप एरिगेशन, बॉवेल, रोड, डिलिवरी पाईप, समरसेबुल पम्प, कैरेट एवं अन्य स्टोरेज सुविधाएं उपलब्ध करायी जाएंगी.
योजना में भूमिका निभाने वाली इकाइयां
कृषि निदेशालय द्वारा तीन वर्षों के लिए कृषि, उद्यान, पशुपालन एवं मत्स्य से संबंधित विशेषज्ञ एजेन्सी को सूचीबद्ध किया जाएगा. कृषि निदेशालय द्वारा तीन वर्षों के लिए राज्य स्तरीय 3-4 सदस्यीय पीएमयू गठन किया जाएगा. कार्यकारी एजेन्सी एवं गठित पीएमयू को कार्य एवं दायित्व दिया जाएगा. कृषक पाठशाला की सफल स्थापना के लिए विभिन्न प्रकार के कार्य एवं प्रत्यक्षण जो कृषि, पशुधन एवं मत्स्य इत्यादि से संबंधित होगा, उसे एजेन्सियों के द्वारा सम्पादित किया जाएगा. उसके माध्यम से कृषकों का प्रशिक्षण एवं क्षमता विकास कर बिरसा गांव के कृषक एवं मजदूरों को परिश्रमिक पर लेना एवं उनके द्वारा किए गए कार्य का भुगतान किया जाएगा.
कृषक पाठशाला की देख-रेख एवं सुव्यवस्थित रखना, बिरसा कृषि विश्वविद्यालय से तकनीकी विशेषज्ञ के रूप में प्रशिक्षक को परिभ्रमिक मानदेय पर लेना शामिल होगा. प्रशिक्षण कार्यक्रम एवं प्रशिक्षण सामग्री हेतु सहयोग प्रदान करना और मार्केट लिंकेज हेतु योजना तैयार करना भी समाहित होगा.
राज्य स्तरीय 3-4 सदस्यीय गठित पीएमयू के कार्य
कृषि निदेशालय द्वारा तीन वर्षों के लिए राज्य स्तरीय 3-4 सदस्यीय पीएमयू का गठन किया जाएगा. पीएमयू सभी योजनाओं का प्रबंधन एवं अनुश्रवण में सहयोग, कार्यकारी संस्थाओं की पहचान एवं उनके कार्य में सहयोग, कार्यकारी संस्थाओं के साथ सहयोग कर प्रशिक्षण कार्यक्रम एवं प्रशिक्षण सामग्री, कृषि उत्पाद हेतु मार्केट लिंकेज की व्यवस्था, सभी योजना हेतु रोड मैप, कार्य योजना एवं रणनीति, सभी निदेशालयों एवं विभाग के साथ समन्वय स्थापित कर ससमय क्रियान्वयन, ग्रामीण हाट से समन्वय स्थापित कर मलचिंग एवं सिंचाई सुविधाओं से बिरसा ग्राम का विकास, कार्यकारी एजेन्सी एवं जिला के पदाधिकारी के साथ नियमित रूप से फ़ॉलोअप, आधारभूत संरचना हेतु स्थल की पहचान एवं चयन, कार्यकारी एजेन्सी के साथ समन्वय स्थापित कर परियोजना क्षेत्र में बेसलाईन कृषक पाठशाला के चयन हेतु सर्वे करेगा.
कृषक पाठशाला की रूप-रेखा
कृषि, पशुधन एवं मत्स्य उत्पादन हेतु प्रत्यक्षण 10 एकड़ क्षेत्र में उच्च मूल्य वाले कृषि फसलों का कृषि कार्य किया जाएगा. 7.5 एकड़ क्षेत्र में फलदार पौधों का रोपन किया जाएगा. 50 बकरी, 25 सूअर, 500 वॉयलर चिक्स, 400 लेयर चिक्स, 500 बत्तख एवं 10 गाय का पालन किया जाएगा, जिसके लिए शेज, फ्लोर, यूरिन टैंक एवं फॉडर का निर्माण किया जाएगा. मलचिंग की तकनीक अपनाते हुए मैक्रॉएरिगेशन की व्यवस्था की जाएगी.
कृषक पाठशाला में सिंचाई हेतु जेनरेटर के साथ बॉवेल शेड डिलिवरी एवं समरसेबुल की व्यवस्था, 10000 वर्ग फीट का पॉली हाऊस का निर्माण, मधुमक्खी पालन हेतु 100 बॉक्स का निर्माण, 10 किलो प्रतिदिन मसरूम उत्पादन की क्षमता का विकास, 2 एकड़ क्षेत्र में मत्स्य उत्पादन का कार्य किया जाएगा. पारंपरिक पद्धति से खेती करने वाले किसानों की कृषि उत्पादन और उनकी आय बढ़ाने हेतु, किसानों का क्षमता विकास करना अवश्यक है. कृषक पाठशाला आधुनिक कृषि तकनीक की खेती में नयी खेती संस्कृति व क्रान्ति में संचार केंद्र बनेंगे.