नाबार्ड सेमिनार में हेमन्त-किसानों के उत्पादों को पूरा मूल्य व मार्केट दिलाएगी सरकार

नाबार्ड सेमिनार- 2019-20 में राज्य के किसानों के बीच मात्र 2033 करोड़ रूपये का कृषि ऋण बाँटा गया जबकि पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में 7,000 करोड़, 2021-22 में सरकार 7,000 करोड़ रूपये उपलब्ध कराने का करेगी प्रयास …

ग्रामीण कारीगरों और महिला समूहों के उत्पादों के विपणन को लेकर सरकार उठा रही कदम

नाबार्ड सहकारिता और कृषि क्षेत्र की आर्थिक मज़बूती के लिए सक्रिय भागीदारी निभायें -मुख्यमंत्री

रांची। कोई ग्लोबल एग्रीकल्चर समिट जैसा ताम-झाम नहीं, कोई ढपोरशंखी वादे नहीं और न ही योजनाओं के व्यापक प्रचार, लेकिन फिर भी झारखंड अपने लक्ष्य की ओर सधे क़दमों से बढ़ रहा है। निश्चित रूप से झारखंड के मिट्टी में वह ताकत मौजूद है, जो झारखंड वासियों को सही फैसले व बदकिस्मती को मात देकर फिर से खड़ा होने की ताकत देती है। इसे कई बार इस प्रदेश के महापुरुषों ने सिद्ध किया है। और अब झारखंड के मुख्यमंत्री सिद्ध करते नजर आते हैं। जहाँ वह कोरना जैसे मुसीबत से राज्य को उबारते हुए बिना हो-हल्ले के राज्य के विकास रथ को लगातार हांके जा रहे हैं।

इसी कड़ी में, नाबार्ड सेमिनार में हेमन्त सोरेन का कहना कि राज्य के हर क्षेत्र में व्यापक संभावनाएं हैं, क्योंकि यहां के जिले की अपनी खासियतें हैं। खनिज के अलावा कृषि, पशुपालन, मछली पालन, पर्यटन, खेल, कला संस्कृति जैसे असीम संभावनाएं मौजूद है। तमाम क्षेत्रों में राज्य को आगे ले जाने की कवायद निश्चित रूप से उनके आत्मा में झारखंडी संस्कृति के कसावट को दर्शाता है। शायद इन्हीं वजहों से उनका मानना है कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देकर राज्य में विकास की गाथा लिखी जा सकती है। जो नाबार्ड द्वारा झारखंड राज्य लिए जारी फोकस पेपर जिक्र बिंदुओं से मेल खाती है।

उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए सरकार कई नयी योजनाये ला रही है 

राज्य के किसानों और महिला समूह के उत्पादों को बेहतर बाजार उपलब्ध कराने के लिए सरकार लगातार कार्य कर रही है। इस बाबत झारक्राफ्ट द्वारा पलाश ब्रांड के जरिए इन उत्पादों को बाजार उपलब्ध कराया भी जा रहा है। अब सरकार की मंशा उत्पादित वस्तुओं को मॉल और शॉपिंग कॉम्प्लेक्स में उपलब्ध कराना है। साथ ही फूड प्रोसेसिंग को भी राज्य में बढ़ावा देने का कार्ययोजना सरकार बना रही है।

मुख्यमंत्री ने लॉकडाउन के दौरान सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं से मिल रहे फ़ायदों का जिक्र करते हुए, कई जल्द शुरू होने आले नई योजनाओं के संकेत भी दिए। कोरोना काल में जिन्होंने बेहतर कार्य किया है उसका आकलन करते हुए सरकार नेजो कार्य योजना बनाई है, उसमें किसानों मज़दूरों और ग़रीबों के कल्याण का विशेष ध्यान रखा गया है। जो झारखंड को लक्ष्य पाने की ओर बढ़ाएगा।

 बैंक अपनी आमदनी का हिस्सा राज्य में खर्च करें 

राज्य के किसान ज्यादा रासायनिक उर्वरकों का उपयोग नहीं करते हैं। सरकार और वित्तीय संस्थायें अगर सम्लित प्रयास करें तो राज्य में जैविक कृषि को बढ़ावा दिया जा सकता है। राज्य के सभी 35 लाख किसानों के पास किसान क्रेडिट कार्ड होना चाहिए। 10 बीघा जमीन के मालिक आदिवासी किसान को बैंक 20,000 रु तक का कृषि लोन नहीं देती है। खेती, पशुपालन, मत्स्य पालन, फल-फूल की खेती के लिए KCC जारी होना चाहिए।

शायद इन्हीं वजहों से मुख्यमंत्री ने बैंकों को सुझाव दिया कि बैंक यहां से जो आमदनी करते हैं उसका ज्यादातर हिस्सा राज्य के विकास में खर्च करें। उन्होंने कहा कि राज्य के विकास में बैंकों का अहम योगदान हैं। ऐसे में बैंकों को चाहिए कि सरकार के साथ हर कदम पर सहयोग करें ताकि जरूरतमंदों को इसका लाभ मिल सके। मुख्यमंत्री का साफ़ मानना है कि बैंकों के साथ सरकार का व्यवहार-व्यापार बैंकों द्वारा जारी की जाने वाली KCC व लघु ऋण पर निर्भर करेगा

नाबार्ड के कार्यों की सराहना 

मुख्यमंत्री ने कहा कि 1982 में नाबार्ड गठन के बाद कृषि एवं ग्रामीण विकास के क्षेत्र में अपने कार्यों के बदौलत देश भर में विश्वसनीयता बनायी है। नाबार्ड द्वारा सवर्प्रथम प्रारंभ किया गया स्वयं सहायता समूह कार्यक्रम बाद में हर सरकार ने अपनाया। ग्रास रूट पर ज़रूरतमंदों को आगे बढ़ाने में मदद कर रही है। उन्होंने कहा कि नाबार्ड ने विकास कार्यों के अधिकतर हिस्से को छुआ है। इस मौके पर नाबार्ड ने राज्य में चलाई जा रही गतिविधियों की जानकारी से मुख्यमंत्री को अवगत कराया।

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